प्रकाश पर्व पर कीर्तनकार ने कमलनाथ के आने पर ली आपत्ति, कहा- सिखों दंगों के आरोपी मंच पर आए, अब इंदौर भी नहीं आऊंगा

author-image
Vivek Sharma
एडिट
New Update
प्रकाश पर्व पर कीर्तनकार ने  कमलनाथ के आने पर ली आपत्ति, कहा-  सिखों दंगों के आरोपी मंच पर आए, अब इंदौर भी नहीं आऊंगा

संजय गुप्ता, INDORE. प्रकाश पर्व के अवसर पर खालसा कॉलेज में हुए कीर्तन आयोजन में उस समय विवाद की स्थिति बन गई, जब कीर्तनकार ने पूर्व सीएम कमलनाथ के वहां आने को लेकर मंच से ही विरोध जता दिया। पहले तो उनके आने पर कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कनपुरी वहां से जाने लगे, लेकिन उन्हें समाजजनों ने रोक लिया और मंच पर जाकर कीर्तन का अनुरोध किया। वह मंच पर तो गए लेकिन उन्होंने कहा कि मैं कीर्तन नहीं करूंगा, जहां पर सिख दंगों  के आरोपी मंच पर आते हैं। आप लोगों को पता है कि आप क्या काम कर रहे हैं। मैं कसम खाता हूं अब कभी इंदौर नहीं आऊंगा। 



समाज के सचिव को जमकर सुनाया



इससे पहले समाज के पदाधिकारियों ने पूर्व सीएम कमलनाथ को सरोपा सौंपा और सम्मान किया। कमलनाथ यहां कुछ देर रुके और फिर चले गए लेकिन उनके जाते कीर्तनकार कनपुरी भड़क गए।  पंजाब से आए कीर्तनकार कनपुरी ने समाज के सचिव राजा गांधी को जमकर सुनाया। उन्होंने हजारों लोगों की उपस्थिति में उन्हें कहा कि शर्म करो जिसने सिखों के घर बर्बाद कर दिए, जो 1984 का आरोपी है तुम उसके गुणगान गा रहे हो हो।



सभा में मच गया हंगामा



कीर्तनकार यहीं नहीं रूके, उन्होंने कहा कि 1984 में जिस बंदे के कहने पर हजारों सिखों का कत्ल होता है, दुकानें जला दी जाती हैं, हमारी माता-बहनों की इज्जत पर हाथ डाला जाता है, उस बंदे का सम्मान हम कर रहे हैं। इस हंगामे के बीच गांधी ने अपनी सफाई में भी कुछ कहा, जिसकी आवाज दब गई। 



वीडियो हो गया वायरल



इस पूरी घटना का वीडियो भी लोगों ने बना लिया और यह तेजी से पूरे समाज में वायरल हो गया है। हालांकि आयोजनकर्ता अब इस पूरे विवाद को ठंडा करने में लगे हैं और उनका कहना है कि ऐसा कोई मसला नहीं हुआ है, हालांकि वीडियो के बाद उनके पास कहने को लिए ज्यादा कुछ नही बचा है।



आखिर क्या है पूरा मामला



1984 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे हुए थे। दिल्ली में भी बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ था। इसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दंगों में 15,000 सिखों की हत्या कर दी गई थी। अकेले दिल्ली में ही करीब 7  हजार निर्दोषों को मार दिया गया था। कई कांग्रेसी नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने दंगों को भड़काने में अहम भूमिका निभाई थी। इसमें एक नाम मप्र के पूर्व सीएम कमलनाथ का भी है। कमलनाथ पर आरोप है कि उन्होंने भीड़ को भड़काया था। कहा जाता है कि रकाबगंज गुरुद्वारे के सामने कमलनाथ ने भीड़ को उकसाया था जिस कारण भीड़ ने गुरुद्वारे में घुसकर कई सिखों की हत्या कर दी थी। इस मामले में मोदी सरकार ने एसआईटी का भी गठन किया गया है। कमलनाथ पर पार्टी के दिल्ली के नेताओं जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार के साथ 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भीड़ को उकसाने का आरोप था. चश्मदीदों का कहना था कि उन्होंने दिल्ली के रकाबगंज गुरूद्वारे के बाहर भीड़ को भड़काया जिसके कारण बवाल शुरू हुआ और उनके सामने ही दो सिख युवकों की हत्या हुई। मामले की जांच नानावटी आयोग ने की और कमलनाथ को बेनिफिट ऑफ डाउट दिया गया।  बताया जाता है कि तब आयोग ने दो लोगों की गवाही सुनी थी, जिसमें तत्कालीन इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर संजय सूरी शामिल थे और सूरी ने कहा था कि कमलनाथ मौके पर मौजूद थे। बाद में कमलनाथ ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि वो मौके पर थे मगर उनके वहां होने का उद्देश्य दंगा भड़काना नहीं बल्कि उपस्थित भीड़ को शांत कराना था। इसमें ये माना गया था कि कमलनाथ के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।



सज्जन कुमार को उम्रकैद 



इस मामले में कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। दिल्ली से लोकसभा सांसद रह चुके कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पर हत्या, साजिश, दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप था। पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद से वह मंडोली जेल में सजा भुगत रहे हैं। सज्जन कुमार ने 1980 में अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ते हुए दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश को हराया था। लोकसभा चुनाव में इस जीत ने उन्हें तत्कालीन कांग्रेस नेता संजय गांधी की नजरों में ला लिया था। इसके बाद वह उनके करीबियों में शुमार रहे।

1991 में सज्जन कुमार भारतीय जनता पार्टी के साहब सिंह वर्मा को शिकस्त देते हुए बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद बने थे। साहिब सिंह वर्मा वही नेता हैं, जो बाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री भी बने थे। सज्जन कुमार को 2004 में भी कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था और उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी जीता था।

2009 में कांग्रेस ने सिखों की नाराजगी के मद्देनजर टिकट नहीं दिया था।



पंजाब के प्रभारी पद से कमलनाथ को हटाया गया था



सिख दंगों में कमलनाथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से घिरे हैं। वे सिख संगठनों के निशाने पर रहते हैं। कहा जाता है कि सिख समुदाय का एक बड़ा वर्ग आज भी उनसे नाराज रहता है। इसकी कई बानगी देखी गई है।  2016 में जब कमलनाथ को पंजाब चुनावों का प्रभारी बनाया गया तो भारी बवाल हो गया था।  उस दौरान पंजाब में सत्ताधारी पार्टी, अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने उन पर जमकर हमला बोला था। 2016 में लिए गए उस फैसले के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मुखर होकर इस बात को कहा था कि कमलनाथ को पंजाब का इंचार्ज बनाकर कांग्रेस ने सिख कम्युनिटी को ठेस पहुंचायी है और उनके दर्द को ताजा कर दिया है। वहीं आम आदमी पार्टी ने अकाली दल से दो हाथ आगे निकलते हुए यहां तक कह दिया था कि कमलनाथ को '84 के सिख विरोधी दंगों में उनकी भूमिका के लिए कांग्रेस अवॉर्ड दे रही है। बाद में विवाद बढ़ता देख कमलनाथ को पंजाब प्रभारी के पद से हटा दिया गया।


MP News इंदौर न्यूज Kirtankar opposes Kamal Nath Kamal Nath oppose in Prakash Parv Kirtankar took objection to Kamal Nath Indore News इंदौर प्रकाश पर्व में हंगामा इंदौर प्रकाश पर्व में कमलनाथ का विरोध कीर्तनकार ने कमलनाथ पर ली आपत्ति कमलनाथ पर भड़के कीर्तनकार. मप्र न्यूज