GWALIOR. मध्य प्रदेश के मुरैना स्थित लेपा गांव में 5 मई को दो पक्षों के बीच हुए जमीनी विवाद में 6 लोगों की मौत हो गई है। जिले के सिहोनियां थाना क्षेत्र के गांव लेपा-भिड़ौसा में दो पक्षों के बीच खूनी संघर्ष हो गया। गांव में 6 लोगों की हत्या के बाद से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। इस घटना ने चंबल को कलंकित कर दिया। इस क्षेत्र में यह कोई पहला मामला नहीं, बल्कि यहां आए दिन ऐसी घटनाएं घटती रहती है। इस खूनी परंपरा को मिटाने के लिए यहां गुर्जर व क्षत्रिय समाज ने पहल की। कुछ मामलों में सफलता भी मिली, लेकिन आज भी ऐसी घटनाओं पर लगाम नहीं लगी है। अब वहीं पंचायत गांव-गांव घूमकर शांति की पहल पर विचार कर रही है।
ऐसे शुरू हुई शांति की पहल
गुर्जर और क्षत्रिय के लोगों द्वारा बनाई गई इस पंचायत का सफलता मिल रही थी। यह पंचायत दोनों पक्ष, जो कभी एक-दूसरे के खून के प्यासे थे, वह साथ-साथ शांति से रह रहे हैं। इसमें संत हरिगिरी महाराज की भी अहम भूमिका रही। क्षत्रिय महासभा की टीम चंबल से लेकर राजस्थान व उप्र तक में ऐसे विवादों को समाज की पंचायत के जरिए सुलझाया गया है। लेपा हत्याकांड के बाद समाज अब शांति की इस पहल को और अधिक तेजी से गांव-गांव तक पहुंचाने पर विचार कर रहा है।
जमीन को लेकर हुआ था विवाद
रायपुर जखोना गांव के सोवरन सिंह तोमर, रामनाथ सिंह तोमर का अपने ही परिवार के रामेश्वर सिंह तोमर व शेरसिंह तोमर से जमीन व खेत के रास्ते को लेकर विवाद ऐसा विवाद था, कि दोनों में कई बार खूनी संघर्ष हो गया। दोनों पक्षों ने गांव खाली कर दिया। महिला, बच्चे व मवेशियों तक को रिश्तेदारों के पास भेज दिया। 7 साल से चले आ रहे विवाद को क्षत्रिय महासभा ने 4 बार पंचायत कर सुलझाया।
ये भी पढ़ें...
दोनों पक्षों के बीच था खूनी संघर्ष
भिंड जिले की अटेर तहसील के खड़ेरी गांव में देवेंद्र सिंह व बृजेंद्र सिंह का उनके ही परिवार के सदस्य श्यामवीर सिंह, भोलेसिंह भदौरिया से जमीन को लेकर झगड़ा चल रहा था। 2018 में हुए खूनी संघर्ष में दोनों पक्षों से 1-1 व्यक्ति की जान चली गई। क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वृंदावन सिंह सिकरवार व प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने 5 माह में कई बार दोनों पक्षों को बैठाकर समझाइश दी। बीते साल दोनों पक्षों का राजीनामा हो गया।
मुआवजा दिलाकर राजीनामा हुआ
मुरैना जिले के चुरैला गांव में गुर्जर समाज के दो परिवारों जमीन को लेकर 9 साल से विवाद था। 6 साल पहले खूनी संघर्ष में एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के युवक की हत्या कर दी। दूसरा पक्ष भी बदले लेने पर उतारू था। डेढ़ साल पहले गुर्जर समाज के संत, समाजसेवियों ने गांव में पंचायत बुलाई। आरोपित पक्ष से मुआवजे दिलाकर राजीनामा करवाकर दुश्मनी का अंत कराया।