ग्वालियर. सम्राट मिहिर भोज (Mihir Bhoj Caste) गुर्जर थे या राजपूत? इस पर दो पक्षों में विवाद की स्थिति बनी हुई है। इसी को लेकर 29 सितंबर को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा (Akhil Bharatiya Kshatriya Mahasabha) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस प्रेस वार्ता में संगठन के पदाधिकारियों ने सम्राट मिहिर भोज को क्षत्रिय बताते हुए, अपना पक्ष सामने रखा। पीसी में महासभा के वरिष्ठ पदाधिकारी राजेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि जनहित में हम चाहते हैं कि मिहिरभोज क्षत्रिय समाज से तालुल्क रखते हैं, प्रतिमा से गुर्जर (Gurjar) शब्द हटा लिया जाए, इतिहास से छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए। प्रतिमा पर सम्राट मिहिरभोज ही लिखा जाना चाहिए।
गुर्जर समाज और प्रशासन को समझौता गलत- महासभा
उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय का निर्णय था कि शिला पट्टिका ढंक दी जाए। इस पर प्रशासन ने गुर्जर समाज से मीटिंग की। इस मीटिंग में गुर्जर समाज ने प्रस्ताव दिया कि पट्टिका से छेड़छाड़ नहीं होगी। प्रशासन ने गुर्जर समाज से गलत समझौता किया है। यह कोर्ट की अवमानना है। उन्होंने अपील की है कि कोई अप्रिय घटना नहीं होनी चाहिए। कोई दंगा फंसाद नहीं होना चाहिए।
क्षत्रिय महासभा की मुख्य मांगे
1. सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर किसी भी समाज विशेष का नाम ना लिखा जाए और लिखे गए 'गुर्जर समाज' के नाम को भी हटाया जाए।
2. यदि गुर्जर समाज खुद को क्षत्रिय मानता है तो छोड़ दे आरक्षण (Reservation)।
3. सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की और प्रशासन से अपील की कि यदि कोई भी व्यक्ति इस मामले को लेकर अशांति फैलाने की कोशिश करता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाए और गुर्जर समाज द्वारा बीते दिनों किए गए चक्का जाम को लेकर नामजद FIR.करने की मांग रखी।