संजय गुप्ता, INDORE. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भूमाफियाओं से पीड़ितों को प्लॉट देने में जुटे जिला प्रशासन पर भूमाफियाओं खासकर चंपू (रितेश) अजमेरा की चालबाजी भारी पड़ रही है। सेटेलाइट और फीनिक्स में उसके द्वारा फंसाए गए पेंच के चलते हाईकोर्ट में बीती सुनवाई में सख्ती के बाद भी किसी पीड़ित को कोई राहत मिलते नहीं दिख रही है। हालांकि कालिंदी गोल्ड में चिराग शाह पर हुई सख्ती के बाद गुरुवार को विनित कुलकर्णी, विजय उटेकर, ओमप्रकाश पिपलोदिया और ओमप्रकाश सोनी को प्लॉट पर कब्जा मिला है। यहां पर प्रशासन कुछ करने की स्थिति में दिख रहा है, लेकिन यहां भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस के दौरान ही साल 2021 में 80 हजार वर्गफीट जमीन का टुकड़ा जो कालिंदी गोल्ड के बीच में ही है, वह पुलक बिल्डकॉन के पार्टनर अनोखीलाला पाटीदार के नाम हो गई है, यदि यह जमीन प्रशासन के कब्जे में आती है तो इससे लगभग सभी पीड़ितों को प्लाट मिलने की स्थिति बन जाती है। बताया जा रहा है कि यह पाटीदार डमी व्यक्ति होकर मात्र एक रिपेयरिंग काम करने वाला व्यक्ति है।
चंपू के पास कई तरह के खातों से पहुंचती रही लाखों की राशि
द सूत्र के पास मौजूद एक आडिट रिपोर्ट में साफ है कि किस तरह विविध कंपनियों के माध्यम से राशि चंपू के पास पहुंची। उदाहरण के तौर पर
- 1- फीनिक्स के एडीएफसी खाते 00363220009800 से एक करोड़ की राशि रितेश उर्फ चंपू के बैंक आफ बडौदा के खाता नंबर 24550100010585 में पहुंची। वहां से यह गोल्ड सिटी डेवलर्स के पास गई और फिर आईडीबीआई के गोल्ड सिटी खाते में गई और फिर नीलेश अजमेरा (चंपू के भाई) के आईडीबीआई के खाते नंबर 601104000371827 के पास गई।
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एक-दूसरे को उलझाने के लिए भूमाफिया दे रहे शपथपत्र
महावीर जैन के सामने आए शपथपत्र के बाद सभी भूमाफिया प्रशासन के नोटिस के बाद प्लाट या राशि देने की जगह एक के बाद एक शपथपत्र दे रहे हैं औऱ् इसमें दूसरे साथी भूमाफिया पर जिम्मेदारी ढोलते हुए अपने आप को मासूम और पीड़ित बताया जा रहा है। महावीर जैन के बाद जितेंद्र उर्फ हैप्पी धवन ने भी शपथपत्र दे दिया है, जिसमें फिर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा गया है और साथ ही कहा गया है कि वह तो कई लोगों को राशि देने को तैयार है लेकिन वह प्लाट मांग रहे हैं, इसलिए इनकी राशि का चेक मैं प्रशासन के पास जमा कराने के लिए तैयार हूं।
फीनिक्स में पुराने पीड़ित हैरान, अपने वालों को राहत दे रहा चंपू
फीनिक्स टाउनशिप, लसूडिया थाना क्षेत्र की टाउनशिप में चंपू अजमेरा ने यहां मूल कंपनी को ही मात्र एक करोड़ रुपए के लोन नहीं चुकाने के बदले डिफाल्टर घोषित करवा लिया है। इसके चलते जिन्हें प्लाट मिल भी रहे उनकी रजिस्ट्री नहीं हो रही है। कंपनी का आर्बिट्रेशन केस भी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में चल रहा है और अप्रैल में सुनवाई है। इस मामले में जिला प्रशासन चंपू अजमेरा की पत्नी योगिता पर भी किसी प्रकार का दबाव नहीं बना रहा है, जबकि कई एफआईआर, केस में वह चंपू के साथ आरोपी बनी हुई है। योगिता केवल यह कथन देकर बची हुई हैं कि मेरा चंपू के काम से कोई वास्ता नहीं है और मुझे पता भी नहीं कि वह क्या करते हैं। केवल इसी कथन पर प्रशासन ने उसे बख्शा हुआ है, जबकि वह भी केसों में आरोपी है।
फीनिक्स पर एफआईआर करने वालों को राहत नहीं
उधर जिन लोगों के भी यहां केस निपटना बताया जा रहा है, इसमें भी खबर यह आ रही है कि जिन्होंने फीनिक्स की धोखाधड़ी में सबसे पहले चंपू और अन्य पर एफआईआर कराई थी उन्हें अब तक राहत नहीं मिली। इसमें पुष्पा वर्मा, डॉक्टर वीरभान, तेजराम बाके, मनीष बोरिया, रश्मि नीमा, पुष्पा जैन, दिनेश ब्रृजधावने, अवधेश त्रिपाठी, नीराज प्रजापति, रश्मि खर्चे, सतीश भाटिया, मोहन श्रीवास्तव, सचिन सोनी, प्रतिभा तिवारी आदि पीड़ित शामिल है। लेकिन कई ऐसे लोगों को राहत मिली है, जिन्होंने इनके बाद शिकायत की थी। कहा जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे भी है जो चंपू से ही किसी ना किसी तरह जुडे हुए थे, ऐसे में इनका सेटलमेंट चंपू ने बिना ना नुकुर के कर दिया, जिससे उसका काम दिखे और क्लीन चिट पा जाए। फीनिक्स कंपनी में चंपू के साथ ही योगिता, नीलेश अजमेरा, पवन अजमेरा, चिराग शाह, विकास सोनी, रजत बोहरा, अमरीष चौरसिसया, निकुल कपासी व अन्य डायरेक्टर रहे हैं। कई मामलों में चंपू ने चिराग पर मामले ढोल दिए हैं, जिससे उनके केस निपटे हुए वह बता सके।
सेटेलाइट में इस तरह चल रहा है चंपू का खेल
सेटेलाइट कॉलोनी में मामला कैलाश गर्ग और चंपू के बीच बैंक लोन को लेकर फंसा हुआ है, जिसके चलते किसी पीडित को राहत दिलाने में प्रशासन ज्यादा कामयाब होते नहीं दिख रहा है। गर्ग तो प्रशासन के नोटिस पर भी सामने आने को तैयार नहीं है और खुद भी कोर्ट में अपील लगा रखी है। उधर प्रशासन सेटेलाइट में किसी को प्लाट पर कब्जा दिलवा रहा है तो वहां पर गर्ग के व्यक्ति आकर उन्हें हटा रहे हैं। गर्ग का कहना है कि चंपू की जिम्मेदारी है, वह निपटे, उधऱ् चंपू का कहना है कि गर्ग ने बैंक लोन लिया है, तो वही अब पीड़ितों को निपटाए।
बीती सुनवाई में प्रशासन ने यह बताई थी स्थिति
फीनिक्स- इसमें कुल 81 पीड़ित सामने आए हैं, जिसमें से 56 के पास रजिस्ट्री है और 25 के पास भुगतान की रसीद है। मामले में रजिस्ट्री वालों में से छह को कब्जा दिया गया है और 43 को रसीद के पेठे भुगतान हुआ है। कुल 81 केस में 49 का निराकरण बताया गया। इसे लेकर प्रशासन ने बताया कि कंपनी लिक्विडेशन में चली गई है, उनका कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही कब्जा मिलने वालों को रजिस्ट्री हो सकेगी।
- सेटेलाइट- इसमें कुल 71 पीड़ित सामने आए हैं, जिसमें से 49 रजिस्ट्री वाले और 22 रसीद वाले थे। जिसमें से 27 को कब्जा दिया गया है और छह को राशि दिलाई गई। है। कुल 71 में से 33 का निराकरण बताया गया।