संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट बेंच में कालिंदी, सेटेलाइट और फीनिक्स कॉलोनियों में भूमाफिया चंपू अजमेरा, नीलेश अजमेरा, हैप्पी धवन, निकुल कपासी, महावीर जैन और चिराग शाह के साथ ही योगिता अजमेरा और अन्य को लेकर सोमवार (एक मई) को एक घंटे तक सुनवाई हुई। इसमें चंपू, हैप्पी, कपासी और जैन तो पेश हुए, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नीलेश नहीं आया। वहीं चिराग की ओर से मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया गया। फिलहाल हाईकोर्ट ने यही कहा है कि वह इस मामले में आदेश जारी कर रहे हैं। इसमें पेश नहीं होने वाले नीलेश को लेकर वारंट जारी होने की बात भी सुनवाई के दौरान कही गई है। ताकि उसे पेश किया जा सके। अभी हाईकोर्ट से सुनवाई के बाद औपचारिक आदेश जारी होना बाकी है।
पहले पेश होने पर ही हुई बहस
हाईकोर्ट सुनवाई के दौरान पहले हाईकोर्ट ने एक-एक कर सभी भूमाफियाओं को नाम लेकर बुलाया, और फिर उनसे पूछा की। आपको पता है कि सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर आपको जमानत दी है और यदि यह सैटलमेंट नहीं करते हैं तो आपके साथ क्या होगा? इस पर सभी चुपचाप सुनते रहे और फिर अधिवक्ताओं ने कहा कि हमारे अधिकांश सैटलमेंट हो चुके हैं। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कालिंदी में महावीर जैन, निकुल कपासी, प्रवीण चौहान यह नौकर लोग थे। मुख्य आरोपी तो चंपू, हैप्पी, चिराग, नीलेश यह है। इस पर चंपू के अधिवक्ता ने कहा कि कालिंदी में चंपू का लेना-देना नहीं है। हाईकोर्ट ने फिर सुप्रीम कोर्ट का आर्डर दोहराया जो सैटलमेंट नहीं करेंगे, उनकी जमानत रद्द होगी। शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि हम पहले ही आवेदन लगा चुके हैं कि जमानत निरस्त हो, यह कुछ नहीं कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें...
नीलेश पर 17 केस हैं, ईनाम भी घोषित हो चुका है
नीलेश के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से उसकी कोई जमानत नहीं है। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि कैसे होगी, वह अभी तक फरार है। पकड़ा ही नहीं गया है। उस पर 17 केस दर्ज हैं और दस हजार का ईनाम भी घोषित हुआ था। भोपाल पासपोर्ट ऑफिस से उसकी जानकारी हमने मांगी हुई है।
फिर वही गोल-गोल घूमी सैटलमेंट पर कहानी
हाईकोर्ट में सुनवाई दौरान आरोपियों की ओर से कहा गया कि कालिंदी गोल्ड कॉलोनी में 96 में से हमने 72 केस सैटलमेंट कर दिए हैं। उधर, जिला प्रशासन की रिपोर्ट की बात करें तो केवल 27 केस ही सैटलमेंट बताए गए हैं। आरोपियों की ओर से 24 एफिडेविट पेश किए गए और कहा गया कि यह सब हमने सैटलमेंट कर दिए हैं। वहीं शासकीय अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि यह सभी फिर गोल-गोल घुमाकर वही कहानी बता रहे हैं। किसी तरह के सैटलमेंट नहीं हुए है। इस पर बहस हुई कि इसे प्रिंसिपल रजिस्ट्रार और प्रशासन के साथ एक कमेटी बनाकर या हाईकोर्ट जैसा उचित समझे इन्हें क्रास चेक करा ले और सभी के बयान ले लें और इसकी रिपोर्ट पुटअप की जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हम इस संबंध में आदेश जारी करेंगे।
खुद ही कर लिया राशि लौटाने का कैलकुशेलन, लोग 10-15 साल से परेशान
भूमाफियाओं की ओर से बताया गया कि हमने लोगों के प्लाट दे दिए हैं। जिनकी राशि थी उनके डीडी बना दिए हैं। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि इन्होंने 11 लोगों के बीच में 67 लाख के डीडी देने की बात कही है। जो जमीन देने की बात कह रहे हैं, वह विवादित है। ऐसे में लोगों को न्याय मिलेगा कैसे? लोगों को 10-15 साल हो चुके राशि दिए, अब लोग प्लॉट चाहते हैं और यह मामूली राशि देकर छूटना चाहते हैं। लोगों ने एफिडेविट देकर चेक लेने से मना कर दिया है।
जमीन किसान से ली उसे पैसे नहीं दिए, जिसे बेची उसे जमीन नहीं दी
सुनवाई के दौरान सैटेलाइट हिल कॉलोनी को लेकर दो किसान भी पहुंचे। इन्होंने साफ कहा कि चंपू और उनकी पत्नी योगिता अजमेरा ने धोखाधड़ी की है। हमसे करीब आठ एकड़ जमीन खरीदी लेकिन राशि नहीं दी और हमारी जमीन को कॉलोनी में बताकर फर्जी नक्शा पास कराकर लोगों को बेच दी। हम सालों से सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर, भटक-भटक कर परेशान हो चुके हैं। पहले इनसे लड़ो और फिर जमीन प्लाटहोल्डर को मिल जाए तो फिर उन्हें अपनी जमीन से भगाओ। हम कब तक लडेंगे। शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि इनकी धोखाधड़ी पैटर्न यही है कि- जमीन किसान से ले लो, पूरी राशि मत दो और फिर जमीन पर प्लॉट काटकर बेच दो। उससे भी राशि ले लो, लेकिन जमीन मत दो। ऐसे में किसी का सैटलमेंट हो ही नहीं सकता क्योंकि प्लॉट होल्डर को प्लाट दे भी दिया तो वह किसान के साथ स्वामित्व को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझ जाएगा। हाईकोर्ट ने सभी बातों को ध्यान से सुनने के बाद कहा कि हम आदेश जारी करेंगे।