संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में पीड़ितों को सालों से चक्कर कटवा रहे भूमाफिया इस मामले को फिर से लटकाने के चक्कर में घूम रहे हैं। वकीलों की हड़ताल के दौरान भी हाईकोर्ट खुला हुआ है और व्यक्गित पेशी कर फरियादी अपना पक्ष रख सकते हैं। भूमाफिया इस मौके का फायदा उठाने के लिए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सोमवार सुबह 10.30 बजे पहुंच गए। भूमाफिया कोशिश में थे कि ये लंबा समय लेकर मामले को खींच दें, लेकिन हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि इस मामले में सुनवाई वो 5 अप्रैल को फिर से करेंगे। इस दौरान हाईकोर्ट में निकुल कपासी, महावीर जैन और हैप्पी धवन मौजूद रहे।
सिर्फ मामले को आगे बढ़ाना चाहते हैं भूमाफिया
जानकारी के अनुसार इस दौरान हाईकोर्ट ने भूमाफिया से पूछा कि आपके वकील नहीं आए, तो उन्होंने कहा कि तबीयत खराब हो गई है। इस पर कहा गया कि एक साथ सभी की तबीयत खराब हो गई। वहीं इस दौरान 3 फरियादियों ने भी उपस्थिति दर्ज कराई और भूमाफिया पर जमकर आरोप लगाए। एक फरियादी ने कहा कि मुझे और परिवार को 4 प्लॉट देने का करार करने और भुगतान के बाद भी सालों से अटकाया जा रहा है। किसी भी तरह की राहत नहीं दे रहे हैं, हमें अपने प्लॉट चाहिए। अन्य फरियादियों ने भी यही आरोप लगाए। शासन की ओर से कहा गया कि भूमाफिया किसी को राहत देना नहीं चाहते हैं और केवल मामले को आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि वकीलों की हड़ताल के चलते मामले को आगे बढ़ाना पड़ा।
1-2 नहीं पूरी 38 याचिकाएं साथ में लिस्ट थीं
सोमवार (27 मार्च) को 1-2 नहीं भूमाफिया से जुड़ी हुई कुल 38 अलग-अलग याचिकाएं एक साथ लिस्ट थीं। इसमें रितेश उर्फ चंपू अजमेरा से लेकर उसकी पत्नी योगिता अजमेरा, भाई निलेश अजमेरा, निकुल, हैप्पी उर्फ जितेंद्र धवन, महावीर जैन, चिराग सभी जुड़े हुए हैं। मुख्य तौर पर ये याचिकाएं बाणगंगा थाने में पीड़ितों द्वारा की गई शिकायतों पर दर्ज हुए केस को लेकर जुड़ी हुई है।
19 अप्रैल को भी लगी हुई है सुनवाई
हाईकोर्ट में भूमाफिया से जुड़ी हुई 90 से ज्यादा याचिका चल रही हैं। इसमें अलग-अलग तारीख दी हुई हैं, कुछ याचिका पर तारीख 19 अप्रैल से लगी हुई है। वहीं इस मामले में सोमवार को जिन 38 केस में सुनवाई नहीं हुई, उन्हें अब 5 अप्रैल को फिर सुना जाएगा।
जमानत निरस्ती का आवेदन दे चुका प्रशासन
इस मामले में द सूत्र के लगातार मुद्दा उठाने के बाद जिला प्रशासन, शासन सभी भूमाफिया की जमानत निरस्त करने का औपचारिक आवेदन दे चुका है और सख्ती दिखाते हुए कह चुका है कि इन भूमाफिया ने पीड़ितों को लाभ देने की जगह जमानत के मजे लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जिन शर्तों के आधार पर इन्हें जमानत दी थी, उनका पालन नहीं किया गया है। इसलिए जमानत निरस्त की जाए, इनके शपथ पत्र भी झूठे निकले हैं, जिसके आधार पर इन्होंने पीड़ितों के फर्जी सेटलमेंट बताए।
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3 कॉलोनियों के 255 पीड़ितों का मामला
ये मामला कालिंदी गोल्ड, सेटेलाइट हिल और फिनिक्स 3 कॉलोनियों के 255 पीड़ितों से जुड़ा हुआ है। इन्हें दस साल से भी राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 में इस शर्त पर भूमाफिया को जमानत दी थी कि वे बाहर आकर सभी पीड़ितों का सेटलमेंट करेंगे। बाद में पीड़ितों को झूठे शपथ पत्र दिए गए कि निराकरण कर रहे हैं, जिसके आधार पर 55 फीसदी तक पीड़ितों का निराकरण पहुंच गया, लेकिन बाद में सभी वादे से मुकर गए और ये निराकरण प्रतिशत 30-35 फीसदी तक ही रह गया।