सुबह विवेक तन्खा ने बार काउंसिल और एसोसिएशन को लिखा पत्र, दिए ये 3 सुझाव, शाम को वकीलों की हड़ताल स्थगित; अब कल की मीटिंग पर नजरें

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Sunil Shukla
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सुबह विवेक तन्खा ने बार काउंसिल और एसोसिएशन को लिखा पत्र, दिए ये 3 सुझाव, शाम को वकीलों की हड़ताल स्थगित; अब कल की मीटिंग पर नजरें

BHOPAL. वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने एमपी स्टेट बार काउंसिल और सभी बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को मंगलवार, 28 मार्च को पत्र लिखकर प्रदेश में बार और बेंच के बीच चल रहा गतिरोध दूर करने के लिए आंदोलन स्थगित करने की अपील की थी। उन्होंने काउंसिल और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सदस्यों को 3 सूत्रीय सुझाव देते हुए मुद्दों के समाधान के लिए 29 मार्च को नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों से चर्चा कराने की पहल का प्रस्ताव दिया था। तन्खा ने प्रदेश के वकील समुदाय को संबोधित पत्र में अपने सुझावों पर विचार करने का आग्रह करते हुए लिखा कि दुनिया में ऐसा कोई भी मुद्दा नहीं है जिसे बातचीत से सुलझाया नहीं जा सकता।



'बार और बेंच का संघर्ष किसी के हित में नहीं है'



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तन्खा ने स्टेट बार काउंसिल और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सदस्यों को लिखे पत्र में कहा कि मेरे लिए कानून का पेशा और कानून की सर्वोच्चता एक जुनून और एक सपना है। खासकर मध्यप्रदेश के सभी वकील मेरे दिल के बहुत करीब और प्रिय हैं। ऐसे में जब मैं प्रदेश के 90 हजार वकीलों को बेचैनी और उथल-पुथल की स्थिति में पाता हूं तो इससे मुझे चिंता और दुख होता है। 5 जनवरी 2023 के ऑफिस मेमोरेंडम के कारण वकीलों को पेश आ रही मुश्किलों से हम वाकिफ हैं। प्रदेश के 53 जिलों में बार और बेंच के साथ गतिरोध की स्थिति देखकर मुझे बेहद दुख और अफसोस होता है। इस तरह के संघर्ष किसी के हित में नहीं है। मैं अपने वकील मित्रों के लिए 3 सुझाव देना चाहता हूं।



मुद्दों के समाधान के लिए तन्खा के सुझाव




  • पहला- क्या बार आज शाम तक, यदि संभव हो तो, जल्द से जल्द आंदोलन को स्थगित करने पर विचार करना चाहेंगे।


  • दूसरा- आंदोलन स्थगित किए जाने पर 29 मार्च को शाम 4:30 बजे सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ न्याय पालिका के साथ बातचीत की व्यवस्था की जा सकती है। दिल्ली में इस बातचीत के लिए स्टेट बार काउंसिल और चारों हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि चर्चा के लिए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं। 

  • तीसरा- बार और बेंच न्याय के रथ के दो पहिए। सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की जरूरत है। मुझे यकीन है कि यदि खुले दिमाग से बातचीत होगी तो ऐसे मुद्दों का समाधान संभव है। इस पहल में सभी बकाया मुद्दों पर चर्चा और समाधान करने की क्षमता है।



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    'हम सभी इंसाफ के योद्धा हैं'



    मैं दोहरा सकता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ इस संवाद से बार काउंसिल या बार एसोसिएशन की किसी अन्य पहल का अनादर नहीं होगा। मैं दिखाना चाहता हूं कि ये वकीलों और इंसाफ से जुड़ा मुद्दा है जो समाधान के लिए दोस्ताना हाथ बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। हम सभी एक समुदाय के प्रतिनिधि हैं, वॉरियर ऑफ जस्टिस यानी इंसाफ के योद्धा।


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