BHOPAL. मध्यप्रदेश में एक बार फिर व्यापमं का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की शिकायत पर एसटीएफ की एफआईआर दर्ज करने के मामले के बाद नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने व्यापमं महाघोटाले की जानकारी मांगी है। डॉ. सिंह ने डीजीपी को पत्र लिखकर व्यापमं घोटाले के संबंध में आठ साल पहले की गई शिकायत की कॉपी मांगी है। वहीं मीडिया विभाग के चेयरमैन केके मिश्रा ने भी व्यापमं के संबंध में सवाल उठाए हैंं।
व्यापमं पर फिर बवाल
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने 8 साल पहले हुई एक शिकायत के आधार पर हाल ही में दर्ज की गई एक एफआईआर को लेकर दस्तावेजों की मांग की है। इसके साथ नेता प्रतिपक्ष ने शिकायतकर्ता द्वारा दी गई सभी प्रमाणित दस्तावेजों की प्रतिलिपि भी पुलिस से मांगी है। उन्होंने डीजीपी को लिखे इस पत्र की प्रतिलिपि एसटीएफ शाखा के प्रभारी विपिन माहेश्वरी को भी दी है। एसटीएफ ने हाल ही में एक एफआईआर दर्ज की है, जिसमें गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में 2008 और 2009 में एडमिशन पाने वाले कुछ छात्रों के फर्जी होने का तथ्य स्वीकार किया है।
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केके मिश्रा ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने व्यापमं महाघोटाले को उजागर करते हुए लगाए गए अपने पहले आरोपों को फिर दोहराया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को कलंकित कर देने वाला महाघोटाला सरकार के संरक्षण के बिना हो ही नहीं सकता है। उन्होंने सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं।
- क्या मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर तत्कालीन राज्यपाल के विरुद्ध एफआईआर नहीं हुई, उनके ओएसडी जेल नहीं गए?
- क्या मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के ओएसडी प्रेमप्रकाश, जो मुख्यमंत्री के सरकारी निवास पर ही रहते थे, के खिलाफ एफआईआर के बाद जिला न्यायालय, भोपाल से उन्हें जमानत नहीं मिली?
- क्या शिवराज कैबिनेट के तत्कालीन मंत्री स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी लंबे समय तक जेल नहीं रहे?
- क्या कई कनिष्ठ-वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस अधिकारियों सहित उनके पुत्र-पुत्रियों ने इसमें गंगा स्नान नहीं किए?
- क्या जब विभिन्न विशेष न्यायालयों द्वारा इस महाघोटाले में शामिल सैकड़ों अपात्रों, दोषी छात्रों-छात्राओं को सजाएं सुनाई जा रहीं हैं, यदि पैसा देकर प्रवेश/नियुक्ति पाने वाले जेल जा रहे हैं तो पैसा लेने वाले बाहर क्यों हैं?
- क्या यह भी झूठ है कि MCI के सचिव रहे यू.सी. उपरीत ने अपनी गिरफ्तारी के बाद अपने बयान में यह कहा था कि "हम चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनते ही उन्हें 10 करोड़ रु.भेज देते थे, उस वक्त चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय का प्रभार किसके पास था?