ग्वालियर में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- शरद यादव मेरे नेता थे, मैं सदैव उनसे मार्गदर्शन लेता रहता था

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ग्वालियर में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- शरद यादव मेरे नेता थे, मैं सदैव उनसे मार्गदर्शन लेता रहता था

देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. गोविंद सिंह ने समाजवादी नेता शरद यादव के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे मेरे नेता थे। उन्होंने ही छात्र जीवन में मुझे राजनीति से जोड़ा और मैं जीवनभर उनसे मार्गदर्शन लेता रहा। उनका निधन भारतीय राजनीति की और मेरी निजी भी बड़ी क्षति है।



वे संबंधों को परखते थे और संबंधों को निभाना भी जानते थे



डॉ. सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा कि शरद यादव अब हमारे बीच नहीं रहे। वे 75 वर्ष की उम्र में ही चले गए। स्व. शरद यादव एक क्रांतिकारी नेता थे। मैंने उनके साथ प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में छात्र राजनीति की। वे जिन्दा दिल इंसान थे। संबंधों को परखते थे और संबंधों को निभाना भी जानते थे। वे किसी भी दल में रहे हो, लेकिन उनके संबंध सभी दलों के नेताओं से थे। मेरे तो उनसे पारिवारिक संबंध रहे। इन्हीं संबंधों के चलते वे कई बार मेरे विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के दौरान भी आए। मुझे यह कहने में भी कोई संकोच नहीं है कि वे एक तरह से मेरे नेता भी रहे। 



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हम दोनों ही प्रख्यात समाजवादी चिंतक लोहिया के अनुयायी थे



प्रख्यात समाजवादी चिंतक स्व. राम मनोहर लोहिया के शरदजी और मैं दोनों ही अनुयायी रहे और समाजवाद के झण्डे तले राजनीति का ककहरा सीखा। स्व. शरद यादव  से मेरे बहुत ही घनिष्ठ संबंध रहे। जब भी मैं दिल्ली गया। उनसे मिलकर जरूर आया। स्व. शरद यादव और मेरे राजनीतिक दल भले अलग-अलग थे, लेकिन मेरे उनसे राजनीति से हटकर संबंध रहे। मैंने जबलपुर में उनकी छत्रछाया में ही छात्र राजनीति प्रारंभ की और बड़े-बड़े छात्र आंदोलन भी उनकी सरपरस्ती में हुए। वे संबंधों में राजनीति को आड़े नहीं आने देते थे। राजनीति अपनी जगह और संबंध अपनी जगह। यही शरद जी की खूबी थी। 



मैंने स्व. शरद यादव के दिल में इंसानियत को देखा है



डॉ. सिंह ने कहा मैंने लगभग आठ वर्ष पूर्व विधानसभा में भी यह स्वीकार किया था कि हां शरद यादव मेरे नेता थे और शरद यादव मेरे नेता है। मैंने स्व. शरद यादव के दिल में इंसानियत को देखा है। मैं उनके संघर्षों का चश्मदीद गवाह हूं। वे गरीब, शोषित, पीड़ित लोगों के नेता थे और उनके लिए सड़कों पर संघर्ष करने से नहीं चूकते थे। वह समय ही ऐसा था कि हजारों छात्र उनकी एक आवाज पर सड़कों पर उतर जाते थे। वे स्वाभिमानी थे और उनका आत्मबल बहुत मजबूत था। वे छात्र राजनीति से लेकर संसद की राजनीति तक किसी से कभी न डरते थे और न ही दबते थे। आज वे हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनका व्यक्तित्व और कृतित्व हमारे बीच हमेशा रहेगा। आंदोलनों के शिखर पुरूष के रूप में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। मेरी ओर से स्व. शरद यादव जी को विनम्र श्रद्धाजंलि। इस दुःख की घड़ी में ईश्वर उनके परिवार को संबल प्रदान करें।


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