धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेता पहुंच रहे हैं लेकिन कांग्रेस के लिए धर्म संकट की स्थिति

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Ravindra Vyas
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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेता पहुंच रहे हैं लेकिन कांग्रेस के लिए धर्म संकट की स्थिति

Chhatarpur. बुंदेलखंड के बागेश्वर धाम से "हिंदू राष्ट्र" की निकली एक और चिंगारी अब सियासी शोलों में बदल रही है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिससे ना सिर्फ बुंदेलखंड की राजनीति प्रभावित हो रही बल्कि संपूर्ण देश प्रदेश में इसकी आहट सुनाई दे रही है। धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इसे संपूर्ण सनातन एकता का प्रतीक मानते हुए लोगों से आव्हान भी करते हैं कि शादी कर तीन चार बच्चे पैदा करो और उसमे दो को राम जी के काज में लगा दो। हमें हिंदू राष्ट्र के लिए आगे आना होगा। "हिंदू राष्ट्र" और सनातन की बात करने वाले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में बीजेपी ही नहीं कांग्रेस के नेता भी हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। बीजेपी नेताओं और विधायकों की बात तो ठीक किंतु कांग्रेस के विधायकों और टिकिट के दावेदारों के सामने अब बड़ा धर्म संकट खड़ा हो गया है। 



धर्म और जाति के आधार पर बटोर रही सुर्खियां



दरअसल,  बीते  तीन दशकों में भारत में  सनातन और हिंदुत्व की राजनीति देश में मजबूत हुई है। इसे मजबूती भी ऐसे ही नहीं मिली है इसके पीछे बाकायदा एक वैचारिक संघर्ष और संगठन है। इस विचार को हवा देने वाले संगठनों को जनता ने खुले तौर पर स्वीकारा भी है। समाज में हिंदुत्व के प्रति बढ़ती स्वीकारता को वोट बैंक की राजनीति में बदलने का कार्य बीजेपी ने किया। यही कारण है कि एक दशक पहले तक जो राजनैतिक दल सिर्फ मजारों पर चादर चढ़ाने जाते थे वह भी अब मंदिरों में माथा टेकने को मजबूर हो गए। इसके बाद भी जब उनका राजनैतिक उद्देश्य पूर्ण नहीं हुआ तो अब एक नया खेल देश प्रदेश में शुरू किया गया है। सनातनियों को जाति और वर्ग में बांटने का। आए दिन कोई ना कोई नेता हिंदुओं की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंचाने का दुःसाहस करता है। नेताओं के ये बयान मीडिया में चाहे जितनी सुर्खियां बटोर लें पर जमीनी हकीकत इसके उलट  देखने को मिलती है।



बागेश्वर धाम के साथ दिख रहे दोनों दलों के नेता



राजनीति के इन हालातों में कांग्रेस के विधायकों और नेताओं के सामने "इधर कुआं उधर खाई" वाली स्थिति बना दी है। ऐसे में रामनवमी के त्यौहार ने इनके सामने बड़ी धर्म संकट की स्थिति खड़ी कर दी है। इस दिन देश के साथ बुंदेलखंड के हर नगर और कसबे में बड़ा धार्मिक आयोजन होता है, बुंदेलखंड के तो सभी नगर इन दिनों राम मय बन गए हैं। हर शहर अयोध्या की तरह सज संवर रहा है। ऐसे दौर में अगर कांग्रेसी नेता खुल कर इनके साथ सम्मलित होते हैं और धीरेंद्र कृष्ण शात्री के बयान का समर्थन करते हैं , तो उनको अपने परंपरागत वोट बैंक खोने का डर सता रहा है। दूसरी तरफ अगर इस आयोजन से दूरी बनाते हैं तो हिंदू विरोधी होने का आरोप उन पर लगता है। यही कारण है कि जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ बागेश्वर धाम आये थे और पत्रकारों ने हिंदू राष्ट्र पर उनसे सवाल किया तो उन्होंने गोलमोल  जबाब देते हुए कहा था कि भारत अपने संविधान के अनुसार चलता है बाबा साहेब अंबेडकर ने जो संविधान बनाया था वह संविधान भारत का है। बुंदेलखंड के अगर छतरपुर जिले के ही कांग्रेस विधायकों की बात की जाए तीन में से एक तो खुले आम धीरेंद्र शास्त्री के साथ हैं दूसरे, लुका छिपे तौर पर उनके पास आते जाते हैं  तीसरे एक विधायक ऐसे हैं जो धीरेंद्र शास्त्री से पर्याप्त दूरी बनाए हुए हैं। 



कांग्रेस में अंतरकलह का बोलबाला



छतरपुर में रामालय का शुभारंभ करने के बाद अब राम नवमी के दिन भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के छतरपुर में रहने की बात कही जा रही है। उनकी इस उपस्थिति के कारण पिछले कुछ दिनों से राजनैतिक हलकों में खासी  बेचैनी देखी जा रही है। कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि अगर शास्त्री जी इस आयोजन में रहेंगे तो इसका सीधा लाभ बीजेपी को न सिर्फ छतरपुर जिले में मिलेगा बल्कि बुंदेलखंड के साथ प्रदेश और देश में भी मिलेगा। असल में कांग्रेस ने इस बात को बेहतर तरीके से समझ लिया है कि बीजेपी ऐसे मुद्दे पर चुनाव मैदान में आती है कि जिनमे समाज की मूल समस्याएं गायब हो जाती हैं। चाहे वह महंगाई ,भ्रष्टाचार, बेरोजगारी ,किसानों की समस्या  हो , स्वास्थ्य सेवाएं अथवा लॉ एंड ऑर्डर की। इससे निपटने के लिए कांग्रेस हर मंच से इन बातों को उठा रही है। कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान  भी गति नहीं ले पाया। बुंदेलखंड अंचल का दौरा करने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के कार्यक्रम में भी पार्टी की अंतरकलह, पार्टी के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। होली जैसा त्यौहार जो आपसी गिले शिकवे दूर करने का होता इसमें भी राजनैतिक दूरियां पार्टी नेताओं में देखने को मिली। 



वसूली अभियान से बीजेपी के प्रति नाराजगी



बुंदेलखंड के किसान इन दिनों प्रकृति के प्रकोप की सजा तो भुगत ही रहे हैं , उसपर सरकार की कृपा से बिजली कंपनियों का वसूली अभियान उन्हें बीजेपी से दूर ले जा सकता है। ये अलग बात है की बीजेपी इन सब मुद्दों पर मरहम लगाने में महारत हासिल किये हुए है। बुंदेलखंड के सागर ,दमोह ,निवाड़ी ,टीकमगढ़ , छतरपुर और पन्ना जिले के  अनेकों गांवों में किसनों की फसलें ओला, पानी से तबाह हुई। बीजेपी ने इस मुद्दे को छोड़ा नहीं। सागर जिले में तत्काल सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव, गोविंद राजपूत और भूपेंद्र सिंह, वहीं पन्ना जिले में ब्रजेंद्र सिंह सक्रिय हो गए। ये लोग सीधे किसानों के बीच पहुंचे। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सागर के बीना क्षेत्र में पहुंच कर किसानों की समस्याएं सुनीं। बुंदेलखंड में बीजेपी को पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं के खिसकने का जो डर उमा भारती के कारण था, अब उसमे भी बीजेपी ने मरहम लगाने का कार्य किया है। उमा भारती को राजी करने के बाद रविवार को बीजेपी के निष्काषित नेता प्रीतम लोधी की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा  के सामने घर वापसी हो गई।



दरअसल चुनावी दौर में वे तमाम लोग सक्रिय हो जाते हैं जो चार साल घर में बैठे रहते हैं| ऐसा ही कुछ बुंदेलखंड इलाके में लोगों को देखने को मिलता है। पार्टी के मठाधीशों को अपनी जाती और बिरादरी के लोगों की याद आने लगती है। तमाम तरह के जातीय संगठन सक्रिय हो जाते हैं। इन दिनों ऐसे तमाम तरह के संगठनों की सक्रियता चुनावी रण में क्या असर दिखा पाएगी यह तो आने वाला वक्त बताएगा।


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