संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के शराब कारोबारी और गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष रिंकू उर्फ मनजीत सिंह भाटिया को इंदौर एयरपोर्ट से शाम 7 बजे गिरफ्तार कर लिया है। बताया जाता है कि वो दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने की तैयारी में था और संभवत: दिल्ली से वो विदेश भागने की तैयारी कर रहा था। इंदौर एरोड्रम टीआई संजय शुक्ला ने पुष्टि करते हुए कहा कि एयरपोर्ट पर कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया और पुलिस के पास इसकी सूचना पहुंची, इसके बाद तत्काल टीम मौके पर पहुंची और उसे पकड़कर थाने ले आई।
रिंकू भाटिया पर था 10 हजार का इनाम
भाटिया पर धार जिले के आईएएस एसडीएम नवजीवन पंवार और नायब तहसीलदार राजेश भिड़े पर शराब माफिया द्वारा किए गए हमले के मामले में आरोपी बनाया गया है। पुलिस 21 सितंबर की रात को इंदौर में उसके घर पर भी गिरफ्तारी के लिए पहुंची थी लेकिन तब परिजनों ने बताया कि वो 5 दिन के लिए बाहर गए हैं। इसके बाद वो सामने नहीं आया। बाद में भाटिया ने मोबाइल भी बंद कर लिया था। फरार होने पर पुलिस ने 10 हजार का इनाम भी घोषित किया था।
13 सितंबर को हुआ था हमला
जानकारी के अनुसार शराब माफिया सुखराम कनेश द्वारा जिस शराब का 13 सितंबर को अवैध परिवहन किया जा रहा था वो बड़वानी से भाटिया के ही ठेके से जारी हुई थी और इसे माफिया अन्य जगह ले जा रहे थे। माना जा रहा है कि शराब माफिया और भाटिया के भी संबंध थे। इसी कारण से उन्हें ये शराब मिली थी। इसी शराब को पकड़ने के लिए जब एसडीएम अपनी टीम के साथ वाहन के पीछे गए तो माफियाओं ने नायब तहसीलदार को उठा लिया और अपने साथ ले गए, गाड़ियां भी फोड़ी गई। इसके बाद में नायब तहसीलदार को छोड़ा गया।
भाटिया का ये पहला मामला नहीं
रिंकू भाटिया पर अवैध शराब परिवहन का ये पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी उन पर कई केस दर्ज हुए हैं। राउ थाने में भी उन पर एक केस दर्ज है। माना जा रहा है कि गुजरात बॉर्डर के करीब के प्रदेश के जिलों में ये ठेके लेते हैं और फिर शराब का अवैध परिवहन कर गुजरात महंगे दामों पर बिकवाते हैं। इसके लिए अवैध परिवहन किया जाता है। ऐसे ही एक मामले को पकड़ने गए धार एसडीएम, तहसीलदार पर माफिया ने हमला कर दिया।
होटल भी तोड़ने का आदेश कागजों में दब गया
इसके पहले श्रावण माह में कांवड़ यात्रियों के साथ मारपीट के मामले में शराब कारोबारी रिंकू (मंजीत) भाटिया बुरी तरह उलझ गए थे। उनके बलराज रिट्रीट पर ही कांवड़ यात्रियों को पीटा गया था, इस मामले को मंत्री उषा ठाकुर द्वारा उठाए जाने के बाद पंचायत ने उनके रिट्रीट को अवैध मानते हुए नोटिस भी जारी किया था और सील भी किया था लेकिन बाद में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।