Jabalpur. जबलपुर में बीते साल न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में हुए भीषण अग्निकांड के बाद करीब 36 अस्पतालों का पंजीयन निरस्त कर दिया गया था। जिनमें से 12 अस्पताल ऐसे हैं जिन पर अब भी ताला डला हुआ है। अस्पतालों के संचालक सीएमएचओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मापदंड पूरे नहीं कर पा रहे। शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों को दो दर्जन अस्पतालों ने तो पूरा कर लिया था और उन्हें खोलने की परमीशन भी दे दी गई। लेकिन जो अस्पताल बंद पड़े हैं वे परमीशन के लिए लगातार कोशिशें कर रहे हैं। इन अस्पतालों को बंद हुए 8 महीने से ज्यादा समय बीत चुका है।
इन अस्पतालों में न डॉक्टर, न स्टाफ
दरअसल सूत्र बता रहे हैं कि सीएमएचओ कार्यालय ऐसे अस्पतालों को ही परमीशन दे रहा है जिनके पास नगर निगम की फायर एनओसी है और जिनका अपना स्वयं का स्टाफ है। इसके अलावा भी अन्य मापदंड पूरा करने वाले अस्पतालों को परमीशन दी जा रही है। बंद पड़े अस्पताल ऐसे हैं जिनमें कॉल करने पर ही डॉक्टर मरीज को देखने पहुंचते हैं। वैसे तो यह सिस्टम बड़े अस्पतालों में भी है लेकिन उनमें कई डॉक्टर अपने चेंबर में मरीजों का रूटीन चेकअप भी करते हैं।
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लगवा रहे कई सिफारिशें
बताया जा रहा है कि चिकित्सा अधिकारियों के पास इन अस्पतालों को खुलवाने के लिए कई सिफारिशें भी पहुंच रही हैं। लेकिन चिकित्सा अधिकारी अबकी बार किसी प्रकार का जोखिम लेने के विचार में नहीं दिखाई पड़ रहे। उनका साफ कहना है कि सभी मापदंड पूरे किए जाऐंगे, तभी अस्पताल खोलने की परमीशन दी जा सकती है।
सीएमएचओ कार्यालय के जांच अधिकारी डॉ आदर्श विश्नोई ने बताया कि जिन अस्पतालों ने पूरे मापदंड कर लिए हैं उन्हें खोलने की परमीशन दी है। लेकिन जो इतने समय बाद भी कोई मापदंड पूरे नहीं कर पा रहे हैं उन अस्पतालों को बंद ही रखा जाएगा। शहर में इस तरह के करीब 12 अस्पताल हैं जिन्हें फिलहाल खोलने की अनुमति नहीं है।