रिटायर डीजी जेल ने बिल्डर बेटे के कारण 30 साल की दोस्ती को दुश्मनी में बदला, लोकायुक्त में केस दर्ज होने से उछला बिल्डर का नाम

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रिटायर डीजी जेल ने बिल्डर बेटे के कारण 30 साल की दोस्ती को दुश्मनी में बदला, लोकायुक्त में केस दर्ज होने  से उछला बिल्डर  का नाम

संजय गुप्ता, INDORE. रिटायर्ड डीजी जेल और आईपीएस संजय चौधरी के खिलाफ आय से ज्यादा कमाई के मामले में लोकायुक्त में केस दर्ज होने के बाद अब सभी की नजरें उनके 30 साल पुराने दोस्त और पांच साल पुराने दुश्मन पर चली गई है। यह बिल्डर हैं इंदौर के किरण देशमुख, जिन्हें केडी नाम से जाना जाता है। दोनों की दोस्ती से लेकर दुश्मनी तक का किस्सा काफी पुराना है। कहा यह भी जाता है कि जब दोस्त, दुश्मन बनता है तो फिर मुश्किलें काफी बढ़ जाती है, क्योंकि उसे आपके सभी राज, ताकत और कमजोरी पता होती है। इस मामले के बाद यह चर्चा इंदौर से लेकर भोपाल तक चल रही है कि देशमुख के पास चौधरी के कई राज, दस्तावेज मौजूद थे, जो अब लोकायुक्त में केस दर्ज होने का बड़ा कारण बन गए हैं, क्योंकि यह दस्तावेज ऐसे हैं जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता है।





पहले बात दोस्ती की…





देशमुख और चौधरी दोनों की दोस्ती 30 साल से भी ज्यादा पुरानी है। दोनों ने साथ में पढ़ाई करने के साथ ग्वालियर से इंजीनियरिंग भी साथ—साथ की। इसके बाद चौधरी का आईआईटी दिल्ली में एमटेक के लिए चयन हो गया, वह दिल्ली चले गए और फिर आईपीएस बन गए। देशमुख बिल्डर लाइन में आ गए। दोनों की पारिवारिक दोस्ती बरकरार रही, यहां तक कि देशमुख के ही एक परिजन की बेटी से चौधरी के बड़े बेटे राहुल की शादी हुई और यह रिश्ता भी उन्होंने कराया, यहां तक कि दूसरे बेटे रोहित की शादी के लिए उन्हीं की अहम भूमिका रही। दोनों के रिश्ते 2015-16 तक काफी मधुर और पारिवारिक के साथ ही आर्थिक रूप से भी मजबूत रहे।





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बात बिगड़ना शुरू हुआ तब तक चौधरी ने अपने बेटे रोहित को देशमुख के साथ बिल्डरशिप में पार्टनर बनाने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने इस सहर्ष स्वीकार कर लिया, लेकिन इसके बाद संबंध बिगड़ने लगे, कहा जाता है कि आर्थिक हितों के टकराव शुरू हो गए, क्योंकि दोनों पक्षों को प्रॉफिट ज्यादा चाहिए था, नुकसान का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने लगे। बात उस समय बिगड़ गई, जब प्रोजेक्ट को पास कराने के लिए सुविधा शुल्क देने का बात आती तो रोहित पिता की पहुंच की बात कहकर यह देने से मना करने लगे। वहीं, देशमुख बिजनेस को व्यावहारिक तरीके से चलाने का बात कहते थे। 





कुछ प्रोजेक्ट भी इस दुश्मनी की भेंट चढ़ गए





आगे जाकर आरोप लगने लगे कि देशमुख, चौधरी को आर्थिक नुकसान दे रहे हैं। इसके बाद हालत यहां तक बिगड़ गए कि देशमुख पर एक धोखाधड़ी का केस एमआईजी थाने में दर्ज हो गया। वहां पुलिस ने चौधरी की खातिर उनकी जमकर खबर ली, बात जेल तक जाने की आ गई थी, लेकिन तबीयत खराब होने पर वह एमवाय में एडमिट हुए और बाद में जमानत हुई। वहीं, कुछ प्रोजेक्ट भी उनके इस दुश्मनी की भेंट चढ़ गए, जिससे देशमुख को भारी नुकसान हुआ।





डीजीपी बनने से रोकने के लिए कर दी शिकायत





इन सभी से टूट चुके देशमुख को जब खबर लगी कि संजय चौधरी डीजीपी बनने की रेस में हैं तो उन्होंने एक लंबा-चौड़ा शिकायतों का पुलिंदा ऊपर तक पहुंचा दिया, क्योंकि डर था कि वह डीजीपी बन गए तो हालत और खस्ता हो जाएगी, जीना मुहाल हो जाएगा। चौधरी डीजीपी बनने से चूक गए। दोनों के बीच बढ़ती दुश्मनी का किसी ने लाभ लिया तो बीच में किसी ने समझौता बैठक भी कराई, इसके बाद कहा जाता है कि दोनों ने अपने-अपने रास्ते ले लिए, लेकिन इस नई शिकायत और लोकायुक्त में केस दर्ज होने के बाद एक बार फिर देशमुख का नाम उछलकर बाहर आ गया।





मेरा कोई हाथ नहीं, अब हमारे रास्ते अलग-अलग





हालांकि द सूत्र से चर्चा में देशमुख ने कहा कि हमारी अब पहले जैसी दोस्ती नहीं है, लेकिन कोई दुश्मनी भी नहीं है। हम दोनों के रास्ते अलग-अलग हो गए हैं। उनका बेटा भी अब मेरे साथ काम नहीं करता है। किसने शिकायत की और क्यों केस हुआ, यह तो लोकायुक्त वाले ही बता सकते हैं, लेकिन मेरी कोई भूमिका नहीं है। मैं कभी उनका अहित नहीं चाहता और न ही सोचता हूं।



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