BHOPAL. प्रदेश में हाल ही में धड़ाधड़ 4 आईएएस, 1 आईएफएस और रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ लोकायुक्त ने और एक आईएफएस के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज कर लिया हो, लेकिन दोनों जांच एजेंसियां इन अफसरों के खिलाफ सीधे जांच नहीं कर सकती। इसके लिए उन्हें बाकायदा प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजना होगा। इस प्रस्ताव का परीक्षण विभाग से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक होगा, जब सभी स्तर पर ये मान लिया जाएगा कि संबंधित अफसर ने भ्रष्टाचार किया है तब ही जांच एजेंसियों को इनके खिलाफ जांच करने की अनुमति दी जाएगी। इस प्रक्रिया में कहीं भी किसी स्तर पर परीक्षण के दौरान माना जाता है कि संबंधित अफसर के खिलाफ की गई शिकायत में पुख्ता तथ्य नहीं है तो मुख्यमंत्री को अधिकार होगा कि वे जांच एजेंसियों को जांच की अनुमति न दें।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में विस्तार
दरअसल केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार ने 5 मई 2022 को एक सर्कुलर जारी कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1986 में धारा 17 ए को जोड़ दिया है। ये धारा कहती है कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और फस्र्ट क्लास के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच करने से पहले जांच एजेंसियों को मुख्यमंत्री से अनुमति लेना होगी। जबकि वर्ग 2 से लेकर वर्ग 4 तक के अधिकारी एवं कर्मचारियों के खिलाफ जांच की अनुमति विभाग के प्रमुख अधिकारी द्वारा दी जाएगी। बहरहाल अब देखना होगा कि लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू कितने अफसरों की जांच की अनुमति लेने में कामयाब हो पाती है।
सीधे जांच का अधिकार छिना
ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त ऐसी एजेंसी हैं, जो सरकारी विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार की सीधे जांच करती थीं। ज़रूरत पड़ने पर ही विभागों से मामले में दस्तावेज और प्रतिवेदन मांगा जाता है लेकिन इस सर्कुलर के बाद ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त पावर लैस हो गए हैं। हालांकि लोकायुक्त ने कड़ी आपत्ति के बाद राज्य सरकार 2021 में इस सर्कुलर को निरस्त कर चुकी थी, लेकिन इसके बाद सरकार ने मई 2022 में केन्द्र सरकार के निर्देशों का हवाला देते हुए नए सिरे से सर्कुलर जारी कर जांच एजेंसियों के अधिकार छिन लिए।
लोकायुक्त ने इनके खिलाफ दर्ज की शिकायत
लोकायुक्त ने अब तक 4 आईएएस और 1 रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज की है। इनमें तत्कालीन साडा सीईओ और वर्तमान निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर, उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ क्षितिज सिंह और तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कर इनसे जवाब मांगा है। रिटायर्ड आईएएस राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ भी हाल ही में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज की गई है। वहीं एक आईएफएस सत्यानंद के खिलाफ भी उद्यानिकी विभाग में घोटाला करने के मामले में प्रकरण दर्ज किया गया है। लोकायुक्त को इनके खिलाफ जांच करने से पहले सरकार को पूरा प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजना होगा। सीएम की अनुमति के बाद ही जांच शुरु कर सकते हैं।