BHOPAL. प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में 23 मार्च को साल में सिर्फ 1 बार ही भर्ती और चयन परीक्षा की फीस जमा करने की घोषणा की। बेरोजगारों पर आर्थिक बोझ ना पड़े, इसलिए वो सिर्फ साल में 1 बार परीक्षा फीस जमा करेगा, उसके बाद सालभर में अभ्यर्थी मध्यप्रदेश शासन के अधीन आयोजित होने वाली जितनी परीक्षाएं देना चाहता है, दे सकता है। इसके लिए उसे अलग से कोई शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे सुनकर आप चौंक जाएंगे।
सरकार के लिए ESB ने कमाए 677 करोड़
सरकार की इस घोषणा से पहले कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी (पहले नाम व्यापमं और पीईबी) सरकार के लिए किसी कमाऊ पूत से कम नहीं था। 14 सालों में बेरोजगारों से एम्प्लॉय सलेक्शन बोर्ड ने 677 करोड़ का शुद्ध प्रॉफिट बनाया। ईएसबी ने प्रदेश के बेरोजगारों से ना सिर्फ अपना खजाना भरा, बल्कि सिर्फ 2 बार की परीक्षाओं से ही स्कूल शिक्षा विभाग को 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि कमाकर दी।
263 परीक्षा में 1.86 करोड़ अभ्यर्थी हुए शामिल
वर्ष 2008-09 से वर्ष 2021-22 यानी 14 सालों में ईएसबी ने कुल 263 भर्ती और चयन परीक्षाओं का आयोजन किया। इन परीक्षाओं में 1 करोड़ 86 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। जिनसे ईएसबी ने 1150 करोड़ रुपए कमाए, हालांकि परीक्षाओं को आयोजित करने में 473 करोड़ रुपए खर्च भी हुए। बावजूद इसके ईएसबी के खजाने में इन परीक्षाओं से 677 करोड़ रुपए पहुंचे। बेरोजगार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय हुंका ने कहा कि पूरे प्रदेश में ईएसबी पैसा कमाने की संस्था बनकर रह गई है। जबकि कर्मचारी चयन मंडल को सिर्फ उतना पैसा लेना चाहिए जितना खर्च हो रहा है। बेरोजगारों से कमाना कहां का न्याय है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा में बेरोजगारों पर दोहरी मार
ईएसबी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में सबसे ज्यादा आवेदन शिक्षक पात्रता परीक्षा में ही आए। यहां स्कूल शिक्षा विभाग ने 2 बार की परीक्षाओं में विभागीय शुल्क भी ईएसबी से वसूल करवाया, जबकि अन्य परीक्षाओं में ये शुल्क नहीं वसूला गया। अनारक्षित वर्ग से 100 रुपए और आरक्षित वर्ग से 50 रुपए विभागीय शुल्क के नाम पर स्कूल शिक्षा विभाग ने लिए। आपको जानकर हैरानी होगी कि शिक्षक पात्रता परीक्षा 2020 वर्ग-3 में 5.50 करोड़ और शिक्षक पात्रता परीक्षा 2023 वर्ग 1 और 3 में 4.50 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राशि वसूल की गई। सिर्फ 2 बार की परीक्षा में ही स्कूल शिक्षा विभाग ने 10 करोड़ रुपए विभागीय शुल्क के नाम पर कमा लिए।
बेरोजगारों पर क्यों डाला गया आर्थिक बोझ
अभ्यर्थियों का साफ कहना है कि विभाग में कर्मचारी-अधिकारी पदस्थ हैं, उनका वेतन सरकार देती है। ऐसे में पहले से परेशान युवाओं से इस तरह की वसूली बेहद गलत है। नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के अध्यक्ष राधे जाट ने कहा कि सरकार को बेरोजगारों पर आर्थिक बोझ नहीं डालना चाहिए। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विभागीय शुल्क के नाम पर जो वसूली हुई वो गलत है, उसे अभ्यर्थियों को वापस लौटाया जाना चाहिए।
शिक्षक भर्ती को लेकर ये है विवाद
प्राथमिक शिक्षक भर्ती यानी वर्ग-3
प्राथमिक शिक्षकों के प्रदेश में करीब सवा लाख पद खाली हैं। विभाग सिर्फ 18527 पदों पर भर्ती कर रहा है। युवाओं का कहना है कि पद वृद्धि कर 51 हजार पदों पर भर्ती की जाएं। युवा ये मांग इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि ट्राइबल विभाग ने अपने स्कूलों में पद वृद्धि कर शिक्षकों की नियुक्ति की है। नियमानुसार रिक्त पदों के 5 प्रतिशत से ज्यादा पर नियुक्ति देने से पहले वित्त विभाग से अनुमति लेता है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने ये अनुमति नहीं ली या अनुमति लेने के सही प्रयास ही नहीं किए। जिसके कारण स्कूल शिक्षा विभाग रिक्त पदों का 5 प्रतिशत यानी 7429 पदों पर ही भर्ती कर रहा है। जबकि ट्राइबल ने वित्त से अनुमति लेकर 11098 पदों पर भर्ती कर दी।
माध्यमिक शिक्षक भर्ती यानी वर्ग-2
माध्यमिक शिक्षक भर्ती की द्वितीय काउंसलिंग 6 हजार पदों के लिए की गई। दिसंबर तक च्वॉइस फिलिंग भी हो गई, लेकिन नियुक्ति पत्र ही जारी नहीं हो पा रहे हैं। चयनित अभ्यर्थी 3 महीने से नियुक्ति पत्र के इंतजार में हैं पर विभाग आदेश ही अपलोड नहीं कर पा रहा है। अधिकारी भी खुलकर कुछ नहीं बता पा रहे हैं। जब भी अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र की बात करते हैं तो अधिकारियों का एक ही जवाब होता है, जैसे ही ऊपर से आदेश होंगे नियुक्ति पत्र जारी हो जाएंगे। कहीं से कोई स्थिति स्पष्ट नहीं होने से अभ्यर्थियों ने डीपीआई के सामने अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
उच्चतर माध्यमिक शिक्षक यानी वर्ग-1
माध्यमिक शिक्षक भर्ती की तरह ही उच्चतर माध्यमिक शिक्षक भर्ती को लेकर भी विवाद है। यहां भी द्वितीय काउंसलिंग के 2700 पदों के नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुए हैं। इसके अलावा मध्यम वर्ग 1039 पदों पर भर्ती करने की मांग कर रहा है। जिन 2700 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है विभाग इन्हें नए पद बता रहा है। मध्यम वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि नए पद के लिए नया विज्ञापन और नया एग्जाम लिया जाना चाहिए था। ऐसा नहीं हुआ है इसलिए विभाग को ट्राइबल डिपार्टमेंट की तरह ही प्रथम काउंसलिंग के बाद रिक्त रह गए पदों पर भर्ती करनी चाहिए। इस मामले में एक दर्जन विधायक सीएम को पत्र भी लिख चुके हैं।
जिस शिक्षक भर्ती के ये हाल, उससे कमाए 56.20 करोड़
प्रदेश में जिस शिक्षक भर्ती का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, उससे ही ईएसबी यानी इम्प्लॉय सलेक्शन बोर्ड (पहले नाम व्यापमं और पीईबी) ने 56 करोड़ 20 लाख 92 हजार रुपए कमाए हैं। उच्चतर माध्यमिक यानी वर्ग-1 की परीक्षा 2 लाख 20 हजार अभ्यर्थियों ने दी थी। माध्यमिक शिक्षक यानी वर्- 2 की परीक्षा 4 लाख 78 हजार 620 अभ्यर्थियों ने दी। वहीं वर्ग-3 यानी प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 7 लाख 99 हजार अभ्यर्थियों ने दी। इस संबंध में जब स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से बात की तो उन्होंने कहा कि ये सब कांग्रेस सरकार के समय शुरू हो गया था। आने वाली परीक्षाओं में अब ये दिक्कत नहीं रहेगी। हालांकि यहां पर सवाल अब भी वही खड़ा है कि जिन बेरोजगारों से विभागीय शुल्क के नाम पर स्कूल शिक्षा विभाग करोड़ों की वसूली कर चुका है, क्या उन अभ्यर्थियों को पैसा वापस लौटाया जाएगा।