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संजय गुप्ता, INDORE. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) के काम करने के तरीके से लाखों उम्मीदवार अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं लेकिन इसकी शायद उन्हें परवाह भी नहीं रह गई है। अब पीएससी ने स्टेट इंजीनियरिंग परीक्षा 2021 और डेंटल सर्जन परीक्षा 2022 में गलती की है, आयोग इन परीक्षाओं के पहले घोषित रिजल्ट में ईडब्ल्यूएस के उम्मीदवारों को आरक्षण देना ही भूल गया। हद तो यह है कि उन्होंने अब इसका संशोधित रिजल्ट यह कहकर जारी किया कि 4 नवंबर को घोषित रिजल्ट में लिपिकिय यानि बाबू की गलती थी और पीएससी के विज्ञापन जारी करने के समय दिए गए नियम के तहत पीएससी अपने रिजल्ट को कभी भी संशोधित कर सकता है।
उम्मीदवार भुगतेंगे खामियाजा
इस नए रिजल्ट के बाद इंजीनियरिंग सेवा की चयन सूची में से नौ अभ्यर्थी बाहर हो गए हैं और 17 नए नाम जुड़ गए हैं। पीएससी ने इंजीनियरिंग सेवा के तहत सहायक इंजीनियर सिविल और सहायक इंजीनियर विद्युत के रिजल्ट में बदलाव किया है।
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कैविएट भी दायर कर दी
पीएससी को इस बारे में शिकायत मिली थी कि रिजल्ट में ईडब्ल्यूएस के आरक्षण नियम का पालन नहीं किया गया है। आयोग ने इसकी जांच की और इसके बाद इस शिकायत को सही पाया, जिसके बाद रिजल्ट संशोधित किया गया। वहीं अब बाहर हुए अभ्यर्थी कोर्ट नहीं चले जाएं, इसके चलते पीएससी ने हाईकोर्ट में कैविएट भी दायर कर दी है। यानि अब एक और रिजल्ट और भर्ती प्रक्रिया आयोग की गलती के चलते कानूनी विवाद में उलझ गया है।
87-13 के फार्मूल से हो रही है प्रक्रिया
यह चयन प्रक्रिया और रिजल्ट भी अभी हाईकोर्ट के अंतरिम निर्देश के बाद मप्र शासन के जारी पत्र के आधार पर 87-13 फीसदी के फार्मूले पर ही आगे बढ़ रही है। भर्ती केवल 87 फीसदी पदों पर होगी और बाकी 13 फीसदी पदों के लिए इतने ही प्रतिशत अनारक्षित और इतने ही प्रतिशत ओबीसी वर्ग को प्रोवीजनल रिजल्ट में रखा जाएगा, हाईकोर्ट यदि ओबीसी आरक्षण को 14 से बढाकर 27 फीसदी करने के निर्देश देता है तो फिर प्रोवीजनल रिजल्ट में से 13 फीसदी ओबीसी वालों को रख लिया जाएगा नहीं तो फिर अनारक्षित वाले 13 फीसदी इसमें चयनित हो जाएंगे।