मध्य प्रदेश में बीच सत्र में 5वीं-8वीं की बोर्ड परीक्षा पर सवाल, NCERT की किताबों के बिना बच्चे कैसे दें परीक्षा?

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Atul Tiwari
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मध्य प्रदेश में बीच सत्र में 5वीं-8वीं की बोर्ड परीक्षा पर सवाल, NCERT की किताबों के बिना बच्चे कैसे दें परीक्षा?

राहुल शर्मा, BHOPAL. मध्य प्रदेश में स्कूलों के बीच सेशन में 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर कराने का शिवराज सरकार का फैसला पेरेंट्स और बच्चों के लिए बहुत भारी साबित हो रहा है। करीब 7 लाख बच्चों की परेशानी ये है कि स्कूलों में हॉफ ईयरली एग्जाम शुरू हो गए हैं। इसके 20 फीसदी अंक फाइल एग्जाम में भी जुड़ेंगे लेकिन स्टूडेंट्स को बोर्ड परीक्षा के लिए जरूरी एनसीईआरटी की किताबें अभी तक नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में अभिभावकों को परीक्षा में अपने बच्चों का रिज़ल्ट बिगड़ने की चिंता सता रही है। इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी कर दिया है। 



29 सितंबर को आदेश, अक्टूबर में 16 दिन छुट्टी, 7 से शुरू हो गई छमाही परीक्षा



छात्रों के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने इसी साल 12 सितंबर को एमपी बोर्ड से संबंद्ध स्कूलों में 5वीं-8वीं कक्षा की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न से कराए जाने का आदेश जारी किया। इसके बाद 29 सितंबर को फैसला किया गया कि 7 नवंबर से हॉफ ईयरली एग्जाम शुरू होंगे, इसके 20% अंक फाइनल रिजल्ट में भी जोड़े जाएंगे। अक्टूबर का महीना फेस्टिवल सीजन का रहा। इसमें दशहरा, दीवाली समेत रविवार की छुट्टियों को भी जोड़ा जाए तो करीब 16 दिन स्कूल ही नहीं लगे। ऐसे में बच्चों के सामने नए पैटर्न  से पढ़ाई करना मुश्किल हो गया। यदि हॉफ ईयरली एग्जाम का रिजल्ट बिगड़ता है तो इसका असर फाइनल रिजल्ट पर भी पड़ेगा। 



बीच सेशन में फैसले से मार्केट में किताबों की किल्लत 



बोर्ड पैटर्न में एग्जाम का अर्थ यह भी है कि परीक्षा के लिए सभी पेपर एमपी बोर्ड से स्वीकृत किताबों के आधार पर बनेंगे। बोर्ड सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें चलाता है। जबकि प्राइवेट स्कूल संचालक ब्रांडेड पब्लिशर्स की महंगी किताबों को प्राथमिकता देते हैं। शैक्षणिक सत्र आधा बीत जाने के बाद अचानक लिए फैसले के कारण बुक सेलर भी एनसीईआरटी किताबों की बढ़ी डिमांड पूरी कर पाने की स्थिति में नहीं थे। इससे स्टेशनरी मार्केट में एनसीईआरटी की पुस्तकों की किल्लत बढ़ गई, 20 अक्टूबर तक तो ये पुस्तकें मार्केट में न के बराबर ही थीं। नर्मदापुरम के बुक डीलर अटल खंडेलवाल ने बताया कि ये स्थिति बीच सत्र में किताबों की डिमांड बढ़ने बनी। 



दो साल ऑनलाइन क्लास के बाद बोर्ड परीक्षा से छात्रों में टेंशन 



5वीं-8वीं कक्षा की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर होने से स्टूडेंट और पेरेंट्स में घबराहट की दूसरी बड़ी वजह पिछले दो साल यानी 2020 और 2021 में कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद होना भी है। इस दौरान क्लास ऑनलाइन होने के कारण शैक्षणिक स्तर में भारी गिरावट आई। इसे ऐसे समझें कि यदि कोई बच्चा 2019 में सेकंड क्लास में था तो कोविड महामारी के कारण 2020 में बिना स्कूल जाए ही क्लास थर्ड में प्रमोट हो गया। इसके बाद 2021 में भी बच्चा फोर्थ क्लास में ज्यादातर समय स्कूल नहीं गया और आनलाइन क्लास के भरोसे ही रहा।  जब अप्रैल 2022 में वो फिफ्थ क्लास में पहुंचा तो उसे सेशन शुरू होने के 6 महीने बाद बोर्ड पैटर्न पर एग्जाम देना है। यदि बोर्ड एग्जाम में बच्चा फेल हो जाता है तो उसे एक और मौका दिया जाएगा। लेकिन यदि वो उसमें भी फेल हो गया तो उसे फेल ही माना जाएगा यानी उसे अगली कक्षा में एडमिशन नहीं दिया जाएगा। 

 


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