BHOPAL. मध्यप्रदेश में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होना है। इसको लेकर वोटर लिस्ट के लिए लंबे समय से लगातार काम चल रहा है। लेकिन इसके बाद भी वोटर आईडी में बड़ी लापरवाही हुई है। प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा वोटर आईडी गलत पते वाले मिले हैं। इनमें सबसे ज्यादा आगर मालवा जिले के हैं। ये जिला 16 अगस्त 2013 को अस्तित्व में आया था, लेकिन बीते 10 साल में भी 4.50 से 5 लाख मतदाताओं के पते में जिला शाजापुर ही है, जबकि तहसील आगर है। इसी तरह 1 अक्टूबर 2018 को टीकमगढ़ से अलग होकर निवाड़ी जिला अस्तित्व में आया। यहां भी करीब एक लाख वोटर्स की आईडी में जिला टीकमगढ़ लिखा है।
भोपाल की कोलार तहसील से सामने आ चुका ऐसा मामला
इसी तरह का मामला पहले भोपाल में कोलार तहसील का सामने आ चुका है। यहां 1.50 लाख वोटर आईडी में कोलार नगर पालिका लिखा है, जबकि इस नाम की नगर पालिका अस्तित्व में है ही नहीं। मामले में फिलहाल चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि वोटर आईडी का उपयोग वोट डालने में होता है, इसलिए वोट डालने में तो कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
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पुनरीक्षण में गलतियों को नहीं सुधारा जाता
कोलार क्षेत्र में साढ़े 3 लाख मतदाताओं में से 1 लाख से ज्यादा के पते में आज भी नगर पालिका दर्ज है। जबकि कोलार नगर पालिका 2015 में नगर निगम में मिल चुकी है। हुजूर तहसील के बड़े भाग को काट कर कोलार तहसील के वोटर आईडी में आज भी ये गड़बड़ी बनी हुई है। चुनाव आयोग मतदाता सूची के पुनरीक्षण में मतदाताओं के नाम जोड़ने और घटाने का काम करता है, लेकिन उनके पते की गलतियों को नहीं सुधारा जाता। यहां कई वोटर के कार्ड में तो ग्राम पंचायत का दिया हैं क्योंकि कोलार नगरपालिका के गठन के पहले बड़ा हिस्सा ग्राम पंचायतों में था।
अधिकारियों ने ये कहा
एडिशनल सीईओ राजेश कौल का कहना है कि वोटर आईडी का मूल उद्देश्य वोट करने का है, इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है। बाकी परिचय पत्र और भी तो हो सकता है।