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संजय गुप्ता, INDORE. अमरावती (महाराष्ट्र) में अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट का दो दिवसीय धर्म सम्मेलन चल रहा है। यहां महामंडलेश्वर हंसराम ने सिंधियों से अपने अधिकारों की रक्षा एवं अपने हक के लिए अलग से राजनीतिक दल बनाने का आह्रवान किया। उन्होंने कहा कि इसमें अखिल भारतीय सिंधु संत समाज पूरा समर्थन करेगा। महामंडलेश्वर ने यह भी मांग की कि जहां पांच हजार सिंधी परिवार हैं, वहां पार्षद, विधायक एवं सांसद की टिकट सिंधी भाषी को िदया जाए।
इसलिए राजनीतिक दल का बनना बहुत जरूरी है
महामंडलेश्वर ने कहा कि अगर पृथक सिंधी प्रदेश होता है तो दस बीस सांसद, सौ दो सौ विधायक होते। हमारी आवाज सुनी जाती, लेकिन हमारे साथ छल हुआ जो अलग प्रदेश नहीं बना, इसलिए राजनीतिक दल का बनना बहुत जरूरी है। जब महामंडलेश्वर से पूछा गया कि पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। तब उन्होंनें कहा कि भारत सरकार को सिंध प्रदेश को ही हिन्दुस्तान में मिला देना चाहिए । हम वहां के सिंधियों को यहां नहीं लाएंगे बल्कि प्रदेश ही अलग बनाएंगे। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज एक ऐसा समाज है, जिसने धर्म एवं देश की खातिर अपनी जन्म स्थली कुर्बान कर दी, इसलिए हमें अपना प्रदेश चाहिए। इसके पहले महामंडलेशवर अलग से सनातन ग्रंथ बनाने की घोषणा कर चुके हैं। यही ग्रंथ अब गुरू ग्रंथ साहिब की जगह दरबारों में रखा जाएगा।
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सांसद ललवानी ने भी रखी थी मांग
19 सितंबर 2020 को संसद में इंदौर सांसद ने भी सिंधी में भाषण दिया था। यहां उन्होंने सात मांगे रखी थी। इसमें एक थी अलग से सिंध प्रदेश होने की मांग। इसके अलावा उन्होंने सिंधी कल्याण बोर्ड बनाने, राष्ट्रीय सिंधि अकादमी बनाने, सिंधी भाषा का टीवी चैनल शुरू करने, सिंधी यूनिवर्सिटी बनाने और चेटीचंड पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग थी। हालांकि वह अगले दिन ही इस बात से पलट गए और कहा कि सिंध में उन्होंने अलग प्रदेश की मांग की थी। अलग सिंध प्रदेश की मांग नहीं की। फिर भी किसी को ठेस लगी तो खेद है।
इंदौर में जो हुआ वह गलत था
महामंडेशवर ने सभा में फिर इंदौर की घटना का जिक्र किया, जिसमें निहंग द्वारा एक दरबार से गुरु ग्रंथ साहिब को उठा लिया गया था और इसे लेकर परिवार के साथ विवाद किया था। इस घटना के बाद इंदौर में सभी दरबारों से गुरु ग्रंथ साहिब लौटा दिए गए थे। बाद में यह मुद्दा बहुत उठा था और जगह-जगह पर यह गुरू ग्रंथ साहिब लौटा दिए गए थे।
यह भी धर्मसभा में बोला गया
महामंडेश्वर व अन्य संतों ने कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यता है और सिंधी समाज उसका अंश है। हम सबसे पुराने सनातनी हैं, लेकिन आजादी के बाद से समाज को पंथों में भटकाने का काम हो रहा है। एक तरह से यह धर्मांतरण है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। सिंधी दरबारों से गुरुग्रन्थ साहिब की विदाई के बाद अब सनातन ग्रंथ संकलन रखा जाएगा, जिसे आठ दस माह में तैयार कर लिया जाएगा।