सिंधी समाज के महामंडलेश्वर ने गुरु ग्रंथ साहिब लौटाने के लिए लिखा खुला पत्र,अमृतसर पहुंचे इंदौर गुरू सिंघ सभा के पदाधिकारी

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सिंधी समाज के महामंडलेश्वर ने गुरु ग्रंथ साहिब लौटाने के लिए लिखा खुला पत्र,अमृतसर पहुंचे इंदौर गुरू सिंघ सभा के पदाधिकारी

संजय गुप्ता, INDORE. सिंधी समाज द्वारा अपने दरबार और मंदिरों में रखे हुए पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लौटाने का इंदौर में लिया गया फैसला अब देशव्यापी हो गया है। इस मामले में सिंधु समाज के महामंडलेश्वर सांई हंसराम महाराज ने पूरे देश भर में समाज के लोगों को खुला पत्र लिखकर कहा है कि वे मंदिरों में रखे श्री गुरु ग्रंथ साहिब ससम्मान लौटा दें। द सूत्र से खास चर्चा में महामंडलेश्वर ने पत्र लिखे जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि इस बारे में अकाल तख्त से भी बात चल रही है। उधर विवाद के बीच इंदौर गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष रिंकू भाटिया भी अमृतसर पहुंच गए हैं। उन्होंने द सूत्र से कहा कि इंदौर में दोनों समाज के बीच कोई विवाद नहीं है। मैं इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए अमृतसर आया हूं।





हम नहीं चाहते सिंधी और सिख समाज में कोई टकराव हो, द सूत्र से बोले महामंडलेश्वर सांई हंसराम महाराज







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द सूत्र से बोले महामंडलेश्वर: हम नहीं चाहते सिंधी और सिख समाज में कोई टकराव हो 







ग्रुरू ग्रंथ साहिब  को लेकर सिख समाज से विवाद चल रहा है इस बारे में आपका क्या विचार है ? 



-हमने इस विषय पर 12 जनवरी को शांति से चर्चा की थी कि करना क्या चाहिए। ये आए दिन यह हमारे सनातनी मंदिर में आते हैं और कहते हैं कि यह मूर्तियां बुत हैं, उन्हें पाखंडी कहते हैं। इस तरह से एक साथ इतने लोग आश्रम में तलवार लेकर घुस आएं और कहें कि हम ग्रुरू ग्रंथ साहिब ले जाएंगे। तब हमने फैसला लिया कि इन्हें ससम्मान लौटा दिया जाए।





क्या मंदिरों और दरबार में गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा का ध्यान नहीं रखा जा रहा था ? 





-ग्रंथ और संत किसी की निजी संपत्ति नहीं होती है। श्री गुरूग्रंथ साहिब 36 महापुरुषों की पवित्र वाणी है। ये किसी का लिखा हुआ नहीं है, गुरू अर्जनदेव महाराज जी ने संकलन किया है। सिंधु समाज सालों से इसकी पूजा करता आया है। मंदिर में हमारे आराध्य देव की मूर्तियां, गद्दियां भी विराजित होती हैं। 



क्या आपने पूरे देश में सिंधु मंदिरों से गुरू ग्रंथ साहिब लौटाने को कहा है ? 



- हम नहीं चाहते कि अकाल तख्त, अखिल भारतीय सिख समाज और सिंधी समाज में किसी भी तरह का कोई टकराव या विरोधाभास हो। इसीलिए हमने कहा कि ऐसे क्यों शोर-शराबा करके ले जा रहे हो। हम खुद ही ससम्मान लौटा देते हैं। इसलिए हमने पूरे देश में  में पत्र जारी किया कि आप गुरुद्वारे में पत्र देकर आओ और ससम्मान लौटाकर आओ।





क्या इस मामले में इंदौर के सांसद को भी आगे आना चाहिए वे खुद सिंधी समाज के हैं ? 





- कोई सांसद या नेता किसी समाज का होने के नाते समाज का काम नहीं करेगा। वे आवश्यकता समझेंगे तो आएंगे। मैंने तो उन्हें सूचना करा दी थी।  जब ये सब हुआ तब वे खुद इंदौर में ही थे, उन्हें पता है। मैं क्यों उनसे कहूं या दबाब डालूं। मैं तो बस यही चाहता हूं कि सिख समाज और सिंधी समाज के बीच कोई विरोधाभास न हो।





इस मसले अब आगे आपका क्या रुख रहेगा ? 





-अभी तो हम ससम्मान गुरू ग्रंथ साहिब लौटा रहे हैं। बाद में जब अकाल तख्त की कमेटी और अखिल भारतीय सिंधु समाज की समिति बैठेगी और जो फैसला होगा, तब देखेंगे। जब इंदौर में मंदिर में विवाद हुआ, तो हंगामा करने वाले  निहंग कहां से आए थे। सरकार का भी काम है कि वह देखे कि ये सब क्या हो रहा है। आखिर इस तरह की घटना कैसे हुई। तब सरकार और उसकी पुलिस और प्रशासन  कहां था। हमने इस मामले में अपनी बात लिखकर  राष्ट्रपति, पीएम, सीएम तक पहुंचाई है। हम भी इस देश के नागरिक हैं, सरकार हमारे सिंधी मंदिरों और संतों की जानमाल की रक्षा सुनिश्चित करे क्योंकि उन्होंने धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल किया है। 



कहां आपने पत्र भेजे हैं





अब मंदिरों और दरबार में कैसे पूजा अर्चना होगी ? 





- हम सनातनी हैं, चाहे भगवान झूलेलाल की तस्वीर लगाओ,राम की लगाओ, कृष्ण की लगाओ। हम नहीं चाहते हैं कि किसी एक को लेकर मैं कुछ बोलूं। अवतार, ग्रंथ और संत किसी एक के लिए नहीं होते हैं।





यह है पूरा विवाद







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इंदौर गुरू सिंघ सभा के पदाधिकारी इस मामले को लेकर अमृतसर पहुंचे हैं।







कुछ दिन पहले सिख समाज की संस्था शिरोमणि पंथ अकाली बुढ़ा दल के निहंगों का एक समूह इंदौर की पार्श्वनाथ कॉलोनी स्थित एक सिंधी मंदिर पहुंचा था। निहंग समूह ने कहा कि यहां श्री गुरुग्रंथ साहिब की मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है। इस दौरान विवाद की स्थिति बनी और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके अलावा राजमहल कॉलोनी में भी एक सिंधी गुरुद्वारे में  निहंग कमेटी का जत्था पहुंचा था, जहां से वे श्री गुरुग्रंथ साहिब अपने साथ ले गए। घटना के वीडियो वायरल होने से विवाद हो गया। निहंगों का मत है कि जब किसी स्थान पर श्री गुरुग्रंथ साहिब की पूजा की जाती है तो वह गुरुद्वारा बन जाता है। इसलिए उस स्थान पर गुरुद्वारों के लिए लागू नियमों का पालन होना चाहिए। जहां गुरुग्रंथ साहिब की पूजा होती है, वहां पूरी गरिमा के साथ पूजा की जानी चाहिए और मंदिरों से मूर्तियों को हटा दिया जाना चाहिए। लेकिन सिंधी समाज के लोग पूजा के स्थान पर ही गुरुग्रंथ साहिब को रखकर पूजते हैं। निहंगों से मिले अल्टीमेटम के बाद इंदौर के सभी सिंधी दरबारों में रखे हुए 92 गुरुग्रंथ साहिब गुरुद्वारे में जमा करवा दिए गए। 





रविवार को जांच के लिए आया था एसजीपीसी का दल





सिंधी समाज द्वारा श्री गुरुग्रंथ साहिब लौटाने का कदम क्यों उठाया गया, इसकी जांच के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के आदेश पर सिखों की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का एक दल रविवार को अमृतसर से इंदौर आया था।



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