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नासिर बेलिम रंगरेज, UJJAIN. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार में सुपर सीएम कहलाने वाले कद्दावर नेता और पूर्व विधायक महावीर प्रसाद वशिष्ठ को अपने ही बेटे की मनमानी से इंसाफ दिलाने की गुहार मीडिया से लगानी पड़ रही है। उनका आरोप है कि उनके बड़े बेटे प्रवीण वशिष्ठ ने परिवार के शिक्षण संस्थान (महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) पर कब्जा कर उन्हें बेदखल कर दिया है।
शासन-प्रशासन से जांच की मांग
महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने इस मामले में शासन-प्रशासन से भी जांच कराने की मांग की है। बताया जा रहा है कि करीब 250 करोड़ रुपए मूल्य के शिक्षा संस्थान को कर्ज से उबारने के लिए एमपी वशिष्ठ को दो मकान और 27 करोड़ की जमीन बेचनी पड़ी है।
बेटे ने एमआईटी में खरीद, फीस और सैलरी में किया बड़ा गोलमाल
उज्जैन के प्रतिष्ठित वशिष्ठ परिवार की आंतरिक कलह सतह पर आ गई है। दिग्विजय सिंह सरकार (1993-2003) में सुपर सीएम के रूप में शासन-प्रशासन को अपनी उंगलियों पर नचाने वाले महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने अपने निवास पर स्थानीय मीडिया को आमंत्रित कर अपने बेटे प्रवीण वशिष्ठ पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रवीण ने पिछले 10 सालों में शिक्षा संस्थान की राशि का दुरुपयोग किया है। ये राशि मनमाने तरीके से नियम विरुद्ध दूसरी मदों में खर्च की गई है। कॉलेज में कंप्यूटर, फर्नीचर खरीद के अलावा स्टूडेंट की फीस और टीचिंग स्टाफ की सैलरी में भी बड़ी राशि का गोलमाल किया गया है। संस्थान में नियम विरुद्ध कार्यों से वशिष्ठ परिवार और एमआईटी प्रतिष्ठान की छवि धूमिल हो रही है। इसी कारण से मैंने एमआईटी की हिस्सेदारी का बंटवारा करने का निर्णय लिया है।
दिग्विजय सिंह ने 2001 में किया था एमआईटी का उद्घाटन
वशिष्ठ ने बताया कि उनके द्वारा स्थापित संस्था प्रसार शिक्षण एवं सेवा संस्थान के अधीन संचालित एमआईटी (Mahakal Institute Of Technology) ग्रुप उज्जैन में भागेदारी के विभाजन कर दिया गया है। उज्जैन में एमआईटी की स्थापना करीब 2 दशक पहले प्रसार शिक्षण एवं सेवा संस्थान के तहत की गई थी। इसका उद्घाटन 26 जुलाई 2001 को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था। महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के बाद फार्मेसी, मैनेजमेंट कोर्स और आलोक इंटरनेशनल स्कूल भी शुरू किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रसार शिक्षण एवं सेवा संस्थान समिति में मैंने कोई पद इसलिए नहीं लिया क्योंकि मैं चाहता था कि मेरे पुत्र प्रवीण वशिष्ठ, राजेंद्र वशिष्ठ और आलोक वशिष्ठ प्रगति करें, उन्नति करें, आगे बढ़ें लेकिन प्रवीण का आचार, विचार और व्यवहार खराब हो गया। जब मुझे इसकी जानकारी लगी तो तब मैंने आपत्ति जाहिर की।
पारिवारिक मामले में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा- प्रवीण वशिष्ठ
एमपी वशिष्ठ ने बताया कि उन्होंने अपने वकील से सलाह मशविरे के बाद तीनों बेटों में विधिवत बंटवारा किया है। इसमें प्रवीण वशिष्ठ ‘पप्पू’ को महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (इंजीनियरिंग कॉलेज), राजेंद्र वशिष्ठ ‘राजू’ को फार्मेसी कॉलेज, प्रवाह पेट्रोल पम्प और आलोक वशिष्ठ को स्कूल और मैनेजमेंट कॉलेज दिया है। बंटवारे में सबसे अच्छा संस्थान प्रवीण (पप्पू) को दिया है, फिर भी वो असंतुष्ट है। इसके खिलाफ वो उन्हें कोर्ट में ले जाने की बात कर रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से एमआईटी में आर्थिक अनियमितताओं की जांच कराने की मांग की है। इस मामले में द सूत्र ने उनके बेटे प्रवीण वशिष्ठ से बात की तो उन्होंने अपने पिता के आरोपों के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता मेरे लिए बहुत श्रद्धा के पात्र हैं। ये हमारा पारिवारिक मामला है। इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं करूंगा।
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दिग्विजय सरकार ने वशिष्ठ की तूती बोलती थी
मध्यप्रदेश में 1993 से 2003 तक कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। इस सरकार में महावीर प्रसाद वशिष्ठ को सुपर सीएम माना जाता था। वे भोपाल में श्यामला हिल्स स्थित सीएम हाउस में बने चैंबर में सीएम के राजनैतिक सलाहकार की हैसियत से बैठते थे। वे तत्कालीन मुख्यमंत्री के गृह जिले यानी राजगढ़ के हर खास और आम वोटर का व्यक्तिगत रूप से ध्यान रखते थे। इसके लिए राजगढ़, राघौगढ़ और चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र के सभी वोटर का पूरा लेखा-जोखा उनकी जेब में रहता था। कांग्रेस सरकार में सीएम बनने के बाद दिग्विजय सिंह ने चाचौड़ा और उनके भाई लक्ष्मण सिंह ने राजगढ़ से चुनाव मैदान में उतरे तो उनके चुनाव प्रबंधन और जिताने में वशिष्ठ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।