Damoh. दमोह न्यायालय के विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह ने सात साल पुराने रिश्वत के मामले में कृषि उपज मंडी दमोह के मंडी निरीक्षक लक्ष्मी प्रसाद पिता बाबूलाल पटेल 61 वर्ष निवासी जगदीश वार्ड गढ़ाकोटा जिला सागर को, धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 20 हजार रुपये जुर्माना से दंडित किया है।
अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक हेमंत कुमार पाण्डेय द्वारा की गई। उन्होंने बताया कि दिनांक 24 जून 2015 को आवेदक राजेश व्यास ने आरोपी लक्ष्मी प्रसाद पटेल मंडी निरीक्षक कृषि उपज मंडी दमोह के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष उपस्थित होकर आरोपी द्वारा रिश्वत मांगने का शिकायती आवेदन पत्र दिया था। जिसमें बताया था कि आवेदक राजेश व्यास निवासी सागर नाका दमोह कृषि उपज मंडी दमोह में केंटीन एवं मुख्यमंत्री कृषक भोजनालय का संचालन करता है और वह मंडी परिसर की साफ सफाई का ठेका लिए हुए है। जिसका भुगतान प्राप्त करने के लिए मंडी निरीक्षक लक्ष्मी पटेल को अधिकृत किया गया। कृषि उपज मंडी में पदस्थ मंडी निरीक्षक लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने आवेदक राजेश व्यास से जून माह के बिल भुगतान के लिए एडवांस में एवं नई कैंटीन आवंटन के लिए 20 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।
आवेदक राजेश व्यास आरोपी को रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि उसे रंगे हाथ रिश्वत लिए हुए पकड़वाना चाह रहा था। जिसके बाद आवेदक राजेश व्यास ने 24 जून 2015 को लोकायुक्त कार्यालय सागर में पुलिस अधीक्षक को लिखित आवेदन दिया। उक्त शिकायत का सत्यापन लोकायुक्त पुलिस सागर द्वारा किया गया और 26 जून 2015 को आरोपी और आवेदक के मध्य रिश्वत का लेनदेन होना तय हुआ था। जिस पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रैप दल का गठन किया गया और आरोपी को आवेदक से 500- 500 के 40 नोट कुल 20 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा और समस्त कार्रवाई एवं विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988) दमोह के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय द्वारा प्रकरण के विचारण उपरांत अभियोजन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य एवं मौखिक साक्ष्य व प्रस्तुत न्याय दृष्टांत एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा 7 नवंबर को पारित निर्णय में आरोपी लक्ष्मी प्रसाद पटेल को दोषसिद्ध पाते हुए धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 20 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया गया।