BHOPAL. मध्यप्रदेश में 2023 के चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। ये खतरा कोई और नहीं आम आदमी पार्टी है। भले ही आम आदमी पार्टी ने पूरा जोर लगाने के बाद गुजरात में सिर्फ पांच सीटें हासिल की हों। लेकिन इस आंकड़े को छोटा मानकर नजरअंदाज करना मध्यप्रदेश में बीजेपी या कांग्रेस किसी भी दल पर भारी पड़ सकता है।
कई नेताओं के लिए बेहतर विकल्प आप
ये सही है कि आम आदमी पार्टी हर प्रदेश में पंजाब या एमसीडी जैसा करिश्मा नहीं दिखा सकती। लेकिन पूरी ताकत लगाने के बाद गुजरात में बीजेपी या कांग्रेस से पांच सीटें भी छीनने में कामयाब हुई है तो इसे कमतर नहीं आंका जा सकता। अब अरविंद केजरीवाल की पार्टी की नजर 2023 के चुनावी राज्यों पर है। इसमें छत्तीसगढ़ या राजस्थान में तो संभावनाएं कम हैं। लेकिन मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी जरूर झंडे गाड़ सकती है। नगरीय निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर चुकी आम आदमी पार्टी न सिर्फ आम मतदाता बल्कि बीजेपी और कांग्रेस के कई नेताओं के लिए भी बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
आम आदमी पार्टी ने की तैयारी
2023 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ताल ठोंक कर उतरने की तैयारी कर ली है। आगाज भी किया है ग्वालियर से। जो अब बीजेपी के ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है और कांग्रेस भी यहां मजबूत जमीन तलाश रही है। इस क्षेत्र से कार्यकर्ता जनसंवाद कार्यक्रम शुरू कर आप ने ये मैसेज क्लीयर कर दिया कि वो प्रदेश की हर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए ये खबर यकीनन टेंशन बढ़ाने वाली है। हालांकि गुजरात के नतीजों के बाद ये चुनावी तस्वीर स्पष्ट है कि आप कांग्रेस के लिए ज्यादा बड़ा खतरा साबित हो रही है। लेकिन क्या मध्यप्रदेश में भी आप इसी तासीर के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी या नुकसान बीजेपी को भी भुगतना पड़ सकता है। नतीजों के बाद नुकसान का आंकलन तो होगा ही। फिलहाल आप के क्राइटेरिया से ये साफ समझा जा सकता है कि इस बार नेताओं का असंतोष बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों को भारी पड़ेगा। क्योंकि हर असंतुष्ट नेता को एक नया विकल्प आसानी से मिल सकता है।
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मध्यप्रदेश में क्राइटेरिया क्लीयर कर चुकी आप
गुजरात में 5 सीट ही सही, महज नौ साल पहले सियासी मैदान में उतरने वाले नए यौद्धा के लिए ये छोटी उपलब्धि नहीं है। जिस पर इठलाते हुए आम आदमी पार्टी अब मध्यप्रदेश में अपना क्राइटेरिया क्लीयर कर चुकी है। कीप इज सिंपल की तर्ज पर आम आदमी पार्टी ने अपने दरवाजे हर नेता के लिए खुले रखे हैं। बस चंद शर्तें हैं जिन्हें पूरा कर कोई भी नेता वो चाहें बीजेपी का हो या कांग्रेस का, वो आम आदमी पार्टी का हिस्सा बन सकता है। इस बात से ये साफ है कि इस बार जिन विधायकों के या टिकट के ख्वाहिशमंदों का पत्ता कटा। वो आप की शरण में जा सकते हैं।
आप को नोटिस करेंगे मध्यप्रदेश के मतदाता !
आम आदमी पार्टी जीत की गारंटी भले ही न दे रही हो। लेकिन एक ऐसा नाम तो बन ही चुकी है जिसे आजमाने में अब किसी दल के नेता को गुरेज नहीं होगा। और, क्या पता आप के साथ और अपने काम के दम पर वो नेता जीत हासिल कर ही ले। नगरीय निकाय के पहले फेज के नतीजों में ही आम आदमी पार्टी ने ये साफ कर दिया था कि अरविंद केजरीवाल की इस पार्टी को अब हल्के में नहीं लिया जा सकता। नगरीय निकाय चुनावों में सिंगरौली में आम आदमी पार्टी की रानी अग्रवाल महापौर चुनी गईं। यहां पर पांच पार्षद भी इसी पार्टी के हैं। इसके अलावा पूरे प्रदेश में 45 पार्षद भी नगर निगम और नगर पालिकाओं में इस पार्टी से जीते हैं। करीब 90 सीटों पर पार्षद पद में दूसरे नंबर पर आप रही है। भोपाल और बैरसिया में भी 3 वार्डों में आप प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। इससे साफ जाहिर है कि मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने भी आप को नोटिस करना शुरू कर दिया है।
आम आदमी पार्टी से टिकट पाना आसान
जो पार्टी मतदाताओं की पसंद बन रही है उसे सियासतदानों की नजर में चढ़ते कितनी देर लगेगी। फिर आप ने बीजेपी की तरह टिकिट वितरण को लेकर कोई सख्त क्राइटेरिया भी नहीं रखा है। यहां न उम्र की सीमा है न जाति का बंधन है। सिर्फ एक शर्त है आप में शामिल होने वाले नेता पर किसी तरह के करप्शन के इल्जाम नहीं होने चाहिए। और जो बिजली पानी सड़क शिक्षा और महिला उत्थान की बात करे वो आप में शामिल हो सकता है। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि 2023 के चुनाव से पहले बीजेपी अपने कई मंत्री और विधायकों के टिकट काट सकती है। ऐसे में उन नेताओं के लिए आप नया ठिकाना बन जाए तो हैरानी नहीं होगी।
जहां मार्जिन कम वहां हो सकता है आप का असर
चुनाव विश्लेषकों की मानें तो जिन सीटों पर हार जीत का मार्जिन बहुत कम रहा है उन सीटों पर आप की प्रेजेंस सीधा असर डालेगी। 2018 के चुनावी नतीजों के मुताबिक सोलह सीटें ऐसी थीं जिन पर हार जीत का मार्जिन एक परसेंट से भी कम था। एक से लेकर 5 परसेंट मार्जिन वाली सीटों पर आप बड़ा खेल कर सकती है। इसके अलावा आप उन तबकों की भी खास पसंद बन सकती है जो बीजेपी का वोटबैंक नहीं है लेकिन अब कांग्रेस को भी चुनना नहीं चाहते। मसलन अल्पसंख्यक समुदाय जो आम आदमी पार्टी को चुन सकता है।
गठबंधन में बंधकर चुनाव नहीं लड़ेगी आम आदमी पार्टी
फिलहाल आम आदमी पार्टी ये साफ कर चुकी है कि वो किसी गठबंधन में बंध कर चुनाव नहीं लड़ेगी। बीजेपी कांग्रेस के काबिल लेकिन ठुकराए हुए नेताओं के लिए तो आप के दरवाजे खुले ही हैं। पढ़े-लिखे युवा और महिलाओं पर भी आप की खास नजर है। रिटायर्ड अफसरों का भी दिलखोलकर स्वागत किया जाएगा। कुल मिलाकर मतदाताओं को नए, फ्रेश, ऊर्जावान और प्रॉमिसिंग चेहरों की च्वाइज देने पर आप का खास फोकस है।
मध्यप्रदेश की 2 दलीय राजनीति में आम आदमी पार्टी तीसरा विकल्प
मध्यप्रदेश में आमतौर पर दो दलीय राजनीति ही रही है। कांग्रेस बीजेपी के अलावा कभी कभी बसपा या सपा ने थोड़ी बहुत ताकत दिखाई है। अब आम आदमी पार्टी सत्ता का नया विकल्प बनकर प्रदेश में आ रही है। ये न सिर्फ मतदाताओं के लिए नया ऑप्शन होगा बल्कि नेताओं के लिए भी नया ऑप्शन जरूर होगा। जिसे नजरअंदाज कर रणनीति बनाना न बीजेपी के लिए संभव है न कांग्रेस के लिए। एमपी की सत्ता में नेताओं को तो नया विकल्प मिल सकता है। लेकिन ये नया विकल्प किसकी कुंडली पर भारी पड़ेगा ये देखना भी दिलचस्प होगा।