रायसेन जिला अस्पताल में प्रसूता की मौत, परिजन ने महिला डॉक्टर पर लगाया रिश्वत मांगने का आरोप, सीएम हेल्पलाइन में की शिकायत

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Neha Thakur
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रायसेन जिला अस्पताल में प्रसूता की मौत,  परिजन ने महिला डॉक्टर पर लगाया रिश्वत मांगने का आरोप, सीएम हेल्पलाइन में की शिकायत

पवन सिलावट, RAISEN. मध्यप्रदेश रायसेन जिला अस्पताल में की एक महिला डॉक्टर पर मृतक के परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने डिलीवरी के दौरान 2 हजार रुपए की डिमांड की थी, पैसे नहीं देने पर डॉक्टर ने प्रसूता के इलाज में लापरवाही की। जिससे उसकी मौत हो गई। इस मामले की शिकायत परिजनों ने सीएम हेल्पलाइन में की है। मामला स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले का बताया जा रहा है।



मेटरनिटी यूनिट में तीन डॉक्टर पदस्थ



मध्यप्रदेश स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के गृह जिला रायसेन के जिला अस्पताल के मेटरनिटी यूनिट में तीन डॉक्टर पदस्थ हैं। रोजाना यहां दो दर्जन से अधिक गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी होती है। डॉ. सुनीता अतुलकर, मेडिकल आफिसर डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. शबाना मसूद पदस्थ हैं। यहां लंबे अरसे से इनकी मनमानी और लापरवाही गुटबाजी का जंगल राज चल रहा है। इन तीनों डॉक्टरों की बिना मर्जी के यहां पत्ता तक नहीं हिलता है। हाल ही में मेटरनिटी यूनिट की महिला डॉ. शबाना मसूद की मनमानी उदासीनता का ताजा मामला सामने आया है।



डिलीवरी के लिए मांगे 2 हजार



सीएम हेल्पलाइन में मृतका के पति रोहित ने सीएम हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत बताते हुए कहा- रायसेन जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. शबाना मसूद ने डिलीवरी के दौरान 2 हजार रुपए की मांगे थे। पैसे नहीं देने पर डॉक्टर ने उसकी पत्नी के इलाज में लापरवाही की, जिससे उसकी मौत हो गई।



जल्दी इलाज चाहिए तो जाएं प्राइवेट अस्पताल - डॉक्टर



प्रदेश के अधिकतर जिला अस्पतालों की व्यवस्था इन दिनों लचर दिखाई दे रही है, वजह मरीजों की अधिक संख्या में डॉक्टरों की कम संख्या। ऐसे में एक डॉक्टर पर रोजाना दर्जनों मरीज का इलाज करने का दबाव रहता है। कई मामलों में यह भी देखने को मिला है कि डॉक्टर साहब स्वयं मरीज से बोलते हैं कि जल्दी इलाज चाहिए तो प्राइवेट अस्पताल चले जाइए। ऐसे में सरकारी व प्राइवेट डॉक्टरों की मिलीभगत से निजी अस्पतालों में आयुष्मान के नाम से लाभ पहुंचाया जा रहा है।



भर्ती होने के बाद प्राइवेट अस्पताल करते है रेफर



रायसेन जिला अस्पताल में पहुंचने के बाद कई बार डॉक्टर बिना मरीज को देखे ही निजी अस्पताल रेफर कर देता है। जहां से आयुष्मान कार्ड का लाभ लेते ही मरीज को वापस सरकारी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जाता है। यह आरोप ओपीडी में आने वाले या भर्ती होने वाले मरीज व परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया है।

 


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