Khandwa. प्रदेश सरकार महिलाओं के लिए लाड़ली बहना योजना लाई है, लेकिन खंडवा से सरकार और सरकार के नुमाइंदों के लिए मुंह चिढ़ाती तस्वीरें सामने आई हैं। यहां के जिला अस्पताल में लेबर पेन से कराहती प्रसूता को घंटों अस्पताल परिसर में यूं ही पड़े रहने दिया गया। महिला का पति कागजी खानापूर्ति में लगा रहा। आरोप है कि कागजी कार्यवाही पूरी हो जाने के बाद भी महिला को अस्पताल में दाखिला नहीं दिया गया और फिर उसने अस्पताल परिसर में ही एक बच्चे को जन्म दे दिया। बच्चे के जन्म लेने के बाद आनन-फानन में महिला को अस्पताल में एंट्री दे दी गई।
प्रबंधन ने बैठाई जांच
मामला सामने आने के बाद अस्पताल के अधिकारी मामले की जांच की बात कह रहे हैं। खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने सीएमएचओ और स्वास्थ्य अधिकारी को जांच करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर का कहना है कि पूरा का पूरा स्टाफ लापरवाह नहीं हो सकता। फिर भी यदि सभी जांच में दोषी पाए गए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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यह है मामला
खंडवा जिला अस्पताल में डोंगरी गांव से प्रसूता छाया को रात में लाया गया। यहां परिजन ने पर्ची कटवाई। लेकिन, फिर भी उन्हें भर्ती नहीं किया गया। परिजन ने कहा कि हम दो से तीन बार गए, लेकिन हमें कहा कि अभी बाहर ही घूमो, बाद में भर्ती करेंगे। पूरी रात प्रसूता ने परिजन के साथ अस्पताल कैंपस में ही गुजारी। पति रितेश और अन्य परिजन परेशान होते रहे। रात 10 से 11 बजे अस्पताल में आने के बावजूद सुबह 5 बजे तक डिलीवरी होने तक इनकी सुध नहीं ली गई। छाया ने यहां बेटे को जन्म दिया है। जिसे डॉक्टर्स की निगरानी में एसएनसीयू में रखा गया है।
यह है नियम
प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में किसी भी रोग के मरीज को इलाज देने से मना नहीं किया जा सकता। खास तौर पर प्रसूता महिला को सरकारी अस्पताल प्रवेश देने से मना नहीं कर सकते। यदि डिलीवरी की सुविधा न हो तो अस्पताल को मरीज को बड़े अस्पताल में रेफर करना होता है। लेकिन इस मामले में प्रसूता जिला अस्पताल की दहलीज पर ही घंटों पड़ी रही और उसकी किसी ने सुध नहीं ली।