INDORE: कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस लेती है इस परिवार का इम्तिहान, कमाल का संतुलन निभाता है

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Lalit Upmanyu
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INDORE: कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस लेती है इस परिवार का इम्तिहान, कमाल का संतुलन निभाता है

Indore. चुनाव बेटा लड़ता है और इम्तिहान पिता, भाई, चचेरे भाई और भांजे का होता है। इस बार फिर ऐसा ही कुछ हो रहा है। पूरा परिवार बीजेपी से भरा पड़ा है और बेटा कांग्रेस से मेयर का चुनाव लड़ रहा है। हालांकि तारीफ करना होगी इस परिवार की कि हमेशा ही परिवार बेहतर संतुलन स्थापित कर बेदाग निकलता है।



इंदौर में विष्णुप्रसाद शुक्ला (बड़े भैया) (Vishnu Prasad Shukla) का प्रतिष्ठित परिवार रहता है। कारोबार के साथ-साथ राजनीति में भी घुला-मिला यह परिवार हर चुनाव में किसी नटनी की तरह रस्सी पर चलता है ताकि बीजेपी और कांग्रेस में संतुलन बना रहे और परिवार पर कोई दाग न लगे। वजह साफ है। पूरा परिवार जन्मजात भाजपा से जुड़ा हुआ है, लेकिन एक बेटा कांग्रेस में है। संजय शुक्ला (Sanjay Shukla) । अभी विधायक हैं और बतौर कांग्रेस प्रत्याशी मेयर (Mayor) का चुनाव लड़ रहे हैं। अब सोचिए जिस घर में चारों तरफ अटलजी, आडवाणी जी के चर्चे होते हों उस घर में कांग्रेस का प्रत्याशी भी है। यहां पिता (बड़े भैया), भाई राजेंद्र शुक्ला (Rajendra Shukla) , भांजे बंटी अवस्थी (Banti Awasthi) और चचेरे भाई गोलू शुक्ला (Golu Shukla) के राजनीतिक और पारिवारिक संतुलन की कड़ी परीक्षा होती है। मतलब उस बीजेपी (BJP) का साथ दें जिसे जनसंघ के जमाने से जेब से सींचते आ रहे हैं या उस बेटे का साथ दें जिसे विरोधी दल कांग्रेस लगातार नई ऊंचाइयां दे रहा है और जो घर  में खेलते-कूदते रोज राजनीति की नई सीढ़ियां चढ़ रहा है। भाई राजेंद्र शुक्ला बीजेपी से पार्षद रह चुके हैं, विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं। चचेरे भाई गोलू शुक्ला युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं। भांजा विकास (बंटी) अवस्थी इस समय भाजपा की चुनाव संचालन समिति में सदस्य की हैसियत से भाजपा का कामकाज संभाल रहा है। इसी घर में पंजा छाप तिरंगा भी लहरा रहा है। 





कांग्रेस-बीजेपी मिलकर छह टिकट दे चुकी हैं शुक्ला परिवार को





परिवार की राजनीतिक प्रतिष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस (Congress) और बीजेपी दोनों पार्टियां मिलकर कुल छह बड़े टिकट दे चुकी हैं। ये प्रदेश में विलक्षण मामला हो सकता है कि दोनों दल जिस परिवार को लगातार टिकट दे रहे हैं। इनमें बीजेपी ने विधायक के तीन और कांग्रेस ने दो विधायक के और एक मेयर का टिकट  दिया है। हर बार परिवार कांग्रेस-बीजेपी के धर्मसंकट में उलझता है और हर बार बेदाग निकल जाता है। बड़े भैया को अस्सी के दशक में पार्टी ने दो बार विधायक का टिकट दिया। फिर बड़े बेटे राजेंद्र शुक्ला को 2003 में विधायक का टिकट दिया। तब संजय की परीक्षा थी क्योंकि वे तब तक कांग्रेस में स्थापित होकर पार्षद बन चुके थे। परिवार के लिए 2008 भाजपा के लिहाज से खाली रहा लेकिन कांग्रेस ने संजय शुक्ला को एक नंबर से टिकट दे दिया। वही धर्मसंकट सामने था। भाजपा का साथ दें या कांग्रेसी उम्मीदवार बेटे संजय का। परिवार की प्रतिष्ठा इतनी है कि ब्राह्मण समाज के भी नेता हैं, परिवार का वृहद कारोबार है साथ ही पूरे शहर में व्यक्तिगत रिश्ते भी बहुत हैं। बड़े भैया तो स्वास्थगत कारणों से घर पर ही रहते हैं, लेकिन बाकी लोग इम्तिहान से गुजर रहे हैं, हालांकि हर बार अंत भला तो सब भला होता है। 







 



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