Jabalpur. हाल ही में एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सभी अस्पतालों के आग लगने से बचाव संबंधी उपायों की विस्तृत ऑडिट की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अग्निशमन विभाग की ओर से सभी अस्पतालों में मॉक फायर ड्रिल किया जाना चाहिए। वहीं मेडिकल के जनरल सर्जरी वार्ड में आग लगने की घटना सामने आ गई। हालात यह हैं कि मेडिकल, जिला अस्पताल, रानी दुर्गावती अस्पताल केबल जर्जर है। कई अस्पतालों में फायर एग्जिट नहीं हैं, अग्निशमन यंत्रों की कमी जैसी अनेक खामियां हैं। फिर भी स्वास्थ्य विभाग से लेकर नगर निगम का दमकल विभाग अग्नि सुरक्षा के मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। जबलपुर के दमोहनाका स्थित न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में अग्निकांड में 8 लोग भस्म हो गए थे। जिसके बाद फायर सेफ्टी को लेकर प्रशासन ने कार्रवाई का खूब दिखावा किया। लेकिन हालात में बदलाव नहीं आया। खुद सरकारी अस्पतालों की बिजली व्यवस्था जिसकी पोल खोल रही है।
मेडिकल अग्निकांड में जांच कमेटी नियुक्त
इधर नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में वार्ड नंबर 14 में डॉक्टर रूम में लगी आग की घटना की जांच 3 सदस्यीय कमेटी करेगी। अधीक्षक अरविंद शर्मा ने बताया कि जांच कमेटी में पीडब्ल्यूडी के दो इंजीनियर समेत एक वरिष्ठ चिकित्सक को शामिल किया गया है। इसके अलावा 4 नर्सिंग स्टाफ भी जांच में सहयोग करेगा। 2 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
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एजेंसियों में तालमेल की कमी
सरकारी अस्पतालों के रखरखाव का काम अलग-अलग एजेंसियां करती हैं। सरकारी अस्पतालों में भवन की मरम्मत का काम लोक निर्माण विभाग के पास रहती है वहीं विद्युतीकरण की जिम्मेदारी इसी विभाग के अलग विंग के पास है। तालमेल नहीं होना असली समस्या है। वहीं हर काम में भ्रष्टाचार भी एक बड़ी वजह है जिसके चलते बार-बार ऐसी घटनाएं घटित होती हैं। आग हादसों के बाद एक बार फिर जांच पड़ताल की रस्म अदायगी की तैयारी हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि वह टीम गठित कर जांच कराएगा। व्यवस्था दुरूस्त करने पत्राचार भी होगा।
सीएमएचओ डॉ संजय मिश्रा ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने पर टीम भेजकर मौका मुआयना कराया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी संसाधनों को उन्नत बनाने का प्रयास किया जाएगा।
उधर नगर निगम के दमकल विभाग के सहायक फायर अधीक्षक राजेंद्र पटेल ने बताया कि नए नियमों के अनुसार बड़े अस्पताल की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है। उनके आवेदन आने पर प्रक्रिया पूरी की जा रही है।