NEEMUCH. जब बेटा-बेटी बड़े हो जाते हैं तो माता-पिता को उनकी शादी की चिंता सताने लगती है। वे योग्य वर-वधु की तलाश करते हैं। देवी-देवताओं को मनाते है, मन्नतें करते हैं। जावद में बिल्लम बावजी के यहां भी लोग अपने बच्चों की शादी की मन्नत लेने आते हैं। मान्यता यह है कि यहां अर्जी देने के बाद से एक साल के अंदर शादी हो जाती हैं।
रंग पंचमी के बाद केवल 9 दिनों तक विराजमान रहते हैं देवता बिल्लम बावजी
जिला मुख्यालय नीमच से करीब 18 किमी दूर पुरानी धानमंडी जावद में कुंवारों के देवता बिल्लम बावजी की चल मूर्ति विराजित है। ऐसा माना जाता है कि रंगपंचमी से रंगतेरस तक इनके दर्शन एवं पूजा करने से कुंवारों की मनोकामना पूर्ण होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार कई शहरों व गांवों से कुंवारे लड़के-लड़की व उनके माता-पिता बिल्लम बावजी के दर्शन पूजा करके शादी की मन्नत मांगने आते हैं। जिनकी शादी हो जाती है वह जोड़े से आकर मन्नत उतारते हैं। ये यहां एक मीठा पान, नारियल और अगरबत्ती चढ़ाते हैं।
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पिछले 40 सालों से हो रही है बिल्लम बावजी की प्रतिमा की स्थापना
बताया जाता है कि पिछले 40 सालों से यहां बिल्लम बावजी की प्रतिमा की स्थापना की परंपरा लोग निभाते आ रहे हैं। जब से बिल्लम बावजी के आशीर्वाद से शादियां होने लगी तब से 9 दिनों में सैकड़ों लोग अन्य प्रदेशों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ से दर्शन करने और अर्जी लगाने आते हैं। एक रजिस्टर में सभी आने-जाने वाले लोगों का ब्यौरा लिखते हैं। पिछले वर्ष 800 से ज्यादा कुंवारे युवक-युवतियों ने अर्जी लगाई थी। जिनकी शादी हो जाती है, वे भी पति-पत्नी दर्शन के लिए आते हैं।