Narsinghpur. नरसिंहपुर जिले के लगभग दो हजार सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूल तथा 12 सौ से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों को आज 21फरवरी से 3 दिन तक लंच लाने की मजबूर होना पड़ा है। कई केंद्रों और स्कूलों में तो बच्चों की संख्या कम देखी गई, वजह है कि उनके घर सुबह नाश्ता या भोजन नहीं बन पाया। आंगनवाड़ी केंद्रों और सरकारी प्राइमरी, मिडिल स्कूलों में भोजन बनाने वाले करीब 5000 स्व सहायता समूह 21 से 23 फरवरी तक आवंटन नहीं मिलने से हड़ताल पर चले गए हैं। धरना प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान आकर्षित करा रहे हैं।
सांझा चूल्हा और मिड डे मील के तहत प्राइमरी और मिडिल स्कूलों तथा आंगनवाड़ी केंद्रों में भोजन बनाने का काम स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं रसोईए आदि करते हैं, लेकिन इन्हें पिछले 4 महीने से खाद्यान्न के अलावा राशि का आवंटन नहीं मिला है जिससे तंग आकर यह हड़ताल हो रही है। इसके पहले महिलाओं का स्व सहायता समूह ज्ञापन देकर जिला प्रशासन का भी ध्यान आकर्षित करा चुका है। लेकिन आवंटन नहीं होने से कई ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनवाड़ी केंद्र और सरकारी स्कूलों में सांझा चूल्हा तथा मिड-डे-मील व्यवस्था चरमरा गई। प्रांतीय संगठन के 21 से 23 फरवरी तक हड़ताल के आह्वान से केंद्रों और स्कूलों में भोजन बनना बंद हो गया है। सांझा चूल्हा के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों को और मिड डे मील के तहत प्राइमरी मिडिल स्कूलों के हजारों बच्चों को नाश्ता और भोजन मिलता है।
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न्यायालय के आदेश फिर भी कोताही
उच्च न्यायालय के यह स्पष्ट आदेश हैं कि किसी भी हालत में आंगनवाड़ी केंद्रों एवं स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था बाधित ना हो। बच्चों को निरंतर भोजन मिले लेकिन शासन की तरफ से समूहों को आवंटन देने में कोताही बरती जा रही है। जिससे विवश होकर समूह हड़ताल कर रहे हैं।
द सूत्र की खबर संज्ञान में, विधानसभा में उठ सकता है मामला
द सूत्र ने इसके पहले इस तथ्य का खुलासा किया था कि रसोइयों का मानदेय कम है, कई महीनों से मानदेय नहीं मिल रहा है, समूह से जुड़ी महिलाएं अगर अपनी बात करती हैं तो अधिकारी उन्हें तंग करते हैं। जिससे महिलाएं चेहरा ढक कर बात करने के लिए मजबूर हैं।