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SATNA. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले द सूत्र एक मुहिम चला रहा है। मूड ऑफ एमपी-सीजी (mood of mp cg) के तहत हमने जाना कि विधानसभा में मौजूदा हालात क्या हैं, जनता क्या सोचती है। अगले विधानसभा चुनाव में क्षेत्र का गणित क्या रहेगा। इसी कड़ी में हमारी टीम अमरपाटन विधानसभा सीट पर पहुंची-
अमरपाटन विधानसभा का इतिहास
सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा सीट प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शहर के आस-पास काफी पर्यटक स्थल हैं। इनमें मुकुन्दपुर व्हाइट टाइगर सफारी, मां शारदा देवी मंदिर और मार्कन्डेय आश्रम आदि प्रमुख हैं। लेकिन यह विधानसभा विकास में काफी पिछड़ी हुई है। साल 1980 में एक अखबार के संवाददाता और एजेंट के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले रामखेलावन पटेल यहां के विधायक और शिवराज सरकार में राज्यमंत्री हैं।
अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र का सियासी मिजाज
इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी के उम्मीदवार बारी-बारी से चुनाव जीतते आए हैं। साल 1957 में रामहित गुप्ता भारतीय जनसंघ से पहली बार जीते थे। वहीं साल 1962 में कांग्रेस के गुलशेर अहमद ने जीत दर्ज की थी। साल 2008 में पहली बार यहां से रामखेलावन पटेल की एंट्री हुई। इसके बाद साल 2013 में कांग्रेस के राजेंद्र कुमार सिंह को जनता ने मौका दिया। लेकिन साल 2018 में रामखेलावन को फिर जनता ने चुनकर भोपाल भेजा तो इस बार शिवराज सरकार में पटेल राज्यमंत्री बनाए गए। इस सीट पर अब तक 14 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें से 7 बार कांग्रेस, 5 बार बीजेपी और 2 बार भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार जीते हैं।
अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र का सियासी समीकरण
राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल को जाति फैक्टर से काफी सपोर्ट मिलता है। इस विधानसभा के लोगों का कहना है कि इलाके में पिछले 4 साल में कोई बड़ा काम नहीं हुआ है। अब ऐसे में यहां बीजेपी अगला चुनाव शिवराज-मोदी फैक्टर के साथ लड़ सकती है। वहीं कांग्रेस के बड़े नेता राजेंद्र सिंह अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। 4 बार के विधायक रह चुके राजेंद्र सिंह इलाके में सक्रिय नजर आ रहे हैं। राजेंद्र सिंह की ये सक्रियता रामखेलावन पटेल के लिए मुश्किलें खड़ी करेगी या जनता फिर रामखेलावन पर भरोसा जताएगी ये तो 2023 के चुनाव में ही पता चलेगा।
विधानसभा क्षेत्र का जातिगत समीकरण
इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 2 लाख 6 हजार 121 है। यहां ब्राह्मण-पटेल वोटरों का दबदबा है। ब्राह्मण वोट 50 हजार के आसपास हैं, तो 45 हजार वोटर ओबीसी वर्ग के हैं। इनमें पटेल और कुशवाहा शामिल हैं। 20 हजार वोटर चौधरी समाज के हैं और 35 हजार आदिवासी वर्ग के भी वोट हैं। 15 हजार गुप्ता, अग्रवाल और जैन समाज के वोटर्स हैं, तो वहीं 10 हजार क्षत्रिय वोटर हैं। इसके अलावा 10 हजार विश्वकर्मा और 5 हजार मुस्लिम वोटर भी हैं।
विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
इलाके में रोजगार एक बड़ा मुद्दा है। यहां आज भी लोगों को कामकाज के लिए पलायन करना पड़ रहा है। वहीं सरकारी स्कूलों के ठीक सामने शराब की दुकानें खुली हैं। जनता के लाख विरोध के बावजूद इसे आज तक हटाया नहीं जा सका। अमरपाटन में पाइपलाइन बिछाने के नाम पर सड़कें खोद दी हैं, जिससे लोगों का आना-जाना दूभर है। इलाके में स्वास्थ्य सेवाएं खुद ही वेटिंलेटर पर हैं। यहां के अस्पताल में एक महिला डॉक्टर नहीं है। प्रसूताओं को डिलीवरी के लिए रीवा या सतना जाना पड़ता है।
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