जबलपुर में हथियारों और गोलाबारूद की टेस्टिंग में उपयोग में लाई जाएगी मॉर्डन तकनीक, रक्षा कंपनियों के लिए बढ़ेंगी सुविधाएं

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में हथियारों और गोलाबारूद की टेस्टिंग में उपयोग में लाई जाएगी मॉर्डन तकनीक, रक्षा कंपनियों के लिए बढ़ेंगी सुविधाएं

Jabalpur. आयुध निर्माणियों और निजी क्षेत्र के रक्षा उत्पादों के परीक्षण के लिए लॉन्ग प्रूफ रेंज (एलपीआर) खमरिया को अपग्रेड किया जाएगा। संस्थान इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक अपनाने जा रहा है। हथियारों और गोलाबारूद के परीक्षण के बीच रियल टाइम रीडिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें ज्यादातर काम मशीनों के जरिए होगा। जिससे परीक्षण ज्यादा सटीक और कम समय में पूरा हो सकेगा। इस तकनीक की मांग कई सालों से चल रही है। 



रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एलपीआर में आर्म्स् और एमुनेशन का परीक्षण किया जाता है। आयुध निर्माणियों में बनने वाले ज्यादातर रक्षा उत्पादों की क्षमता और उसकी गुणवत्ता की जांच इसी रेंज में की जाती है। मेक इन इंडिया के तहत देश में हथियार बन रहे हैं, निजी क्षेत्र के हथियारों और गोलाबारूद का परीक्षण भी रेंज में हो चुका है। निजी क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा बढ़ाने रेंज को अपग्रेड कराने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। 



अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के लिए निजी कंपनियों से फीडबैक लिया जा रहा है। वे किस तरह की तकनीक का उपयोग कर रही हैं। उनके हथियारों के परीक्षण के लिए कौन से तकनीक जरूरी होगी। उसी आधार पर आधुनिक उपकरण बढ़ा दिए जाऐंगे। इससे पहले एलपीआर प्रबंधन ने पिट को भी अपग्रेड किया था। 



निजी क्षेत्र के लिए एलपीआर प्रबंधन खुदको अपग्रेड कर रहा है। पूरी योजना रक्षा मंत्रालय को भेजी गई है। अभी परीक्षण के दौरान ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसमें और इजाफा किया जाएगा। आगामी समय में ज्यादा क्षमता वाले रडार और ड्रोन रियल टाइम रीडिंग के लिए उपयोग में लाए जाऐंगे। रेंज की क्षमता बढ़ने के साथ ही बड़ी कंपनियां भी रेंज का उपयोग करने लगेंगी। 


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