Jabalpur. जबलपुर में अपने तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को आयोजित कुटुंब मिलन सम्मेलन में स्वयंसेवकों के परिवारों से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने समाज के प्रति परिवारों के कर्तव्य के बारे में अपने उदबोधन के माध्यम से अनेक बातें कहीं। उन्होंने कहा कि समाज में कुटुंब के नाते एक उदाहरण प्रस्तुत करना हमारा कर्तव्य बन गया है. स्वभाषा, स्वदेशी का आचरण, देश-समाज के लिए अपने धन -साधनों का उपयोग, सबकी देखरेख, सब प्रकार के योग्य आचरण की आज आवश्यकता है.
एमएलबी मैदान में संघ कार्यकर्ताओं के परिवारों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि सारी व्यवस्था गृहस्थ आश्रम पर चलती है. ब्रह्मचर्य आश्रम जीवन की तैयारी है. वानप्रस्थी बुजुर्ग छोटों के लिए संवाद का स्थान बनते हैं. जगत का कल्याण करते हुए आत्म मोक्ष की साधना करने वाले त्यागी सन्यासी तो हमारा नैतिक आध्यात्मिक सब प्रकार का आधार हैं.ये तीनों आश्रम गृहस्थाश्रम पर आश्रित हैं, इसलिए गृहस्थाश्रम को धन्य कहा गया है. दुनिया के प्रबुद्ध लोग भारतीय कुटुंब व्यवस्था का गहराई से अध्ययन करने के लिए प्रेरित हुए हैं.
भागवत ने कहा कि हमारे यज्ञ हवन, पारिवारिक कार्यक्रमों में उनकी भी भागीदारी होनी चाहिए. सब प्रकार के भेद समाप्त होने चाहिए. संघ की शाखा, संघ के कार्यक्रमों में किसी की जाति नहीं पूछी जाती. सब साथ खाते-पीते हैं, मिलकर काम करते हैं. हर घर में ऐसा वातावरण बनाना है.पर्यावरण संरक्षण को हर परिवार की जीवनशैली से जोड़ना है. एक माता शिक्षित होती है तो पूरी एक पीढ़ी शिक्षित होती है. सबको समान अवसर उपलब्ध करवाना है. अपनेपन का आधार धन, प्रतिष्ठा, सफलता आदि नही होना चाहिए. संघ के प्रत्येक स्वयंसेवक के कुटुंब को अपने आस पास सकारात्मक- रचनात्मक वातावरण का निर्माण करना है.
वर्तमान जीवनशैली की बात करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार में परस्पर संवाद होना चाहिए. दूर रहने वाले परिजनों को साल में एक दो बार एकत्रित होना चाहिए. नई पीढ़ी को अपने परिवार के इतिहास, पूर्वजों, सगे संबंधियों, कुल स्थान, तीर्थ आदि के बारे में बतलाना चाहिए.