BHOPAL. ये मौसम है साहब, बदलता ही है, सो बदल गया। ओला-पानी वाले बादल छंट चुके हैं। सूर्य नारायण कहते प्रतीत हो रहे हैं कि संभल जाओ, कुछ दिनों में आग बरसने वाली है। खैर... ये सब तो सालों से होता आ रहा है, पर कमबख्त आदत ही नहीं बन पा रही। इस समय तो देश क्या, दुनिया में एक ही मुद्दे की धूम है। पिछले हफ्ते के लगातार 2 दिन राहुल गांधी के नाम रहे। पहले 2 साल की सजा हो गई, फिर सांसदी भी चली गई। कांग्रेस खेमा उन्हें हीरो बता रहा है, वहीं बीजेपी वाचाल, अहंकारी और उद्दंड करार दिए जा रही है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी राहुल ताल ठोकते दिखे। उनके पूरे कन्वर्सेशन का लब्बोलुआब यही था- 'मैं झुकेगा नहीं...।' इधर, मध्यप्रदेश में हाल ही में खत्म हुए बजट सत्र में भी कांग्रेस ने बीजेपी को दिखाया कि आगे की जंग आसान नहीं रहने वाली। पहले एक तेजतर्रार कांग्रेस विधायक का निलंबन, बीजेपी के आरोप, महू घटना पर कांग्रेस की लामबंदी और फिर विपक्ष का राजभवन का घेराव। कुल मिलाकर 'कमल' ब्रिगेड ने साफ कर दिया है कि बीजेपी के लिए मिशन 2023 केला गुटकने जैसा नहीं रहेगा। वहीं, बीजेपी भी कमलनाथ का गढ़ ढहाकर किला जीतने की कवायद कर रही है। इसके लिए बिगुल तो 'शाह' ने फूंक ही दिया है। खबरें तो कई पकीं, कई की खुशबू उड़ी तो कुछ पकते-पकते रह गईं, आप तो बस सीधे अंदर चले आइए...
एक्शन में भगवान, टेंशन में चंदा मामा
भगवानदास सबनानी भोपाल में बड़ा सिंधी सम्मेलन करने जा रहे हैं, इसके मुख्य अतिथि संघ सुप्रीमो मोहन भागवत होंगे। इस सम्मेलन में देश-प्रदेश के बड़े सिंधी कारोबारी भी शामिल होंगे। इस आयोजन को भगवान का शक्ति प्रदर्शन भी बताया जा रहा है। भगवान के इस एक्शन से बेचारे चंदा मामा टेंशन में आ गए हैं। भगवान के भागवत से सीधे तार जुड़ गए हैं तो चंदा मामा का करंट उड़ना तो बनता है। वजह 2023 में अपने समाज की संख्या के आधार पर विधायकी की दावेदारी ठोकना है। अब चंदा मामा क्या करेंगे, उनकी पहुंच तो बस मामा तक ही है। खैर, दिल्ली अभी दूर है, लेकिन राजनीति में कब कौन कहां बैठ जाए ये कहा नहीं जा सकता। ऐसे में चंदा मामा का टेंशन लेना तो बनता है।
हमीदुल्लाह का नाम देख चौंके भाई साहब
कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में एक हॉल का नाम हमीदुल्लाह देखकर भाई साहब चौंक गए। उन्होंने कहा कि अरे भाई ये नाम अब तक क्यों नहीं बदला गया। भाई साहब के साथ मौजूद नेता धीरे से बोले कि 1 साल पहले जब अंग्रेजों के गुलामी के प्रतीक मिंटो हॉल का नाम बदलकर कुशाभाऊ ठाकरे किया था, तभी इस हॉल का नाम भी बदल दिया जाना था। हालांकि वहां मौजूद किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं था। हम आपको बता दें भाई साहब यहां पर होने वाले प्रबुद्धजन सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लेने गए थे। दरअसल, इस आयोजन में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं।
इस हाथ दो, उस हाथ लो
आजकल नया स्टार्टअप शुरू हो गया है, नेताओं की काली कमाई की जानकारी पता करो और उसे विपक्ष के नेता को बेच दो। ऐसी एक खबर राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है। साउथ का एक व्यक्ति प्रदेश के बड़े नेताजी की 3 हजार करोड़ की काली कमाई के सबूत लेकर घूम रहा है। बंदे ने नेताजी के विरोधियों को ऑफर दिया है कि 25 करोड़ दो और सारे सबूत ले लो। बता रहे हैं बैठक हो गई है, लेकिन बात अभी सौदेबाजी में ही अटकी है। बहरहाल, चुनाव आने तक ऐसे कई ऑफर राजनीतिक बाजार में सुनने को मिलेंगे, लेकिन क्या कोई सौदा करके बड़ा धमाका कर पाएगा। ये देखना दिलचस्प होगा।
ब्राम्हण द ग्रेट पर मैडम का सवाल
प्रदेश के मुस्लिम आईएएस नियाज खान की ब्राम्हण द ग्रेट पुस्तक पर महिला आईएएस शैलबाला मार्टिन ने सवाल खड़े किए हैं। महिला आईएएस मार्टिन ने ट्वीट कर पूछा है कि किसी एक जाति को सर्वश्रेष्ठ बताने का वैज्ञानिक आधार क्या है? जाति के आधार पर किसी समूचे वर्ग को महान बताना क्या भेदभावपूर्ण नहीं है। महिला आईएएस के इस ट्वीट पर कुछ ब्राम्हण नेता नाराज हैं। हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मैडम ने हाल ही में ब्राम्हण से प्रेम विवाह किया है।
साहनी की श्रद्धांजलि सभा में पीपी का जिक्र
दिवंगत पूर्व मुख्य सचिव राकेश साहनी की श्रद्धांजलि सभा में कई आईएएस पुष्पेन्द्र पाल सिंह की श्रद्धांजलि का जिक्र करते नजर आए। आईएएस एसोसिएशन ने साहनी जी की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की थी, इसमें कर्मचारी संगठनों को भी बुलावा भेजा गया था। इसके बावजूद श्रद्धांजलि सभा में लोगों की मौजूदगी सीमित ही दिखी। कुछ अफसर आपस में खुसफुसाते हुए भी नजर आए कि पावर में रहते हुए हजारों लोग सलाम ठोकते हैं, लेकिन आदमी की सही पहचान अंतिम समय में ही होती है। कुछ अफसर माखनलाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पुष्पेन्द्र पाल सिंह का जिक्र करते नजर आए। सही मायने में लोगों के दिल में जगह तो पीपी सिंह बनाकर गए। उनके निधन के बाद सोशल मीडिया शोक संदेशों से पटा रहा, श्रद्धांजलि सभा भी यादगार रही।
ठेकेदारों की बल्ले-बल्ले
प्रदेश में ठेकेदारों की बल्ले-बल्ले हो गई है। अब घटिया सरकारी निर्माण करने वाले ठेकेदारों पर कोई हाथ नहीं डाल सकता। कारण है कि निर्माण की गुणवत्ता की तकनीकी जांच करने वाली चीफ टेक्निकल इंस्पेक्शन एजेंसी ही सरकार ने खत्म कर दी है। सरकार का कहना था कि घटिया निर्माण की जांच के लिए नई एजेंसी कार्य गुणवत्ता परिषद बनाएंगे, लेकिन ये कब तक बनेगी उसका कोई अता-पता ही नहीं है। कैबिनेट से नई एजेंसी का खाका मंजूर होने के बाद इसके ढांचे में फिर बदलाव किया जा रहा है। जब तक जांच एजेंसी नहीं तब तक ठेकेदारों की मौज है।