Jabalpur. जबलपुर में मेकलसुता-गोदावरी कन्या मां नर्मदा के प्राकट्य उत्सव की धूम रही। देश की पवित्र नदियों में शुमार मां रेवा के भक्तों की तादाद जबलपुर में कम नहीं है। सुबह से ही नर्मदा तटों पर लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। यातायात के चलते लोग करीब 3 किलोमीटर तक पैदल चलकर नर्मदा तट ग्वारीघाट पहुंचे। इस दौरान जगह-जगह विविध धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। जिसमें भंडारे, महाआरती और प्रतिमा स्थापना के अनुष्ठान शामिल थे।
सात रंगों में नर्मदा का दिव्य स्वरूप
इस बार नर्मदा जयंती पर प्रशासन ने नर्मदा घाटों को अनेक चित्रों और रंगों से सजवाया है। जिसके चलते नर्मदा तट पर आलौकिक और दिव्य स्वरूप देखने को मिला। हालांकि भारी भीड़ के चलते कई बार अव्यवस्था और गंदगी का आलम भी देखा गया, लेकिन विभिन्न सामाजिक संगठनों और निगम प्रशासन ने गंदगी को साफ करवाने का बीड़ा उठा रखा है।
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जगह-जगह हुए आयोजन
बीते वर्षों में मां नर्मदा प्राकट्योत्सव के दौरान नर्मदा तटों पर उमड़ने वाली भीड़ के चलते शहर के हजारों नर्मदा भक्तों ने इस दिन नर्मदा दर्शन से परहेज कर लिया है। उनका मानना है कि वे अपने क्षेत्र में ही मां नर्मदा का प्राकट्य उत्सव धूमधाम से मनाते हैं और नर्मदा को निर्मल रखने का संदेश देते हैं।
50 से अधिक प्रतिमाओं की हुई स्थापना
नर्मदा जयंती के मौके पर शहर में अलग-अलग स्थानों पर 50 से ज्यादा नर्मदा प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। जहां दिन भर विविध अनुष्ठान चलते रहे। एक बात खास रही कि हर पंडाल में मां नर्मदा के निर्मलीकरण के संदेश देने का प्रयास समीतियों द्वारा किया गया है। समीतियों का यह भी दावा है कि चंद सालों में ही नर्मदा प्राकट्य उत्सव जबलपुर में दशहरे की तर्ज पर मनाया जाने लगेगा।
वृक्षारोपण और पॉलीथिन बैन से निर्मल होंगी रेवा
विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी नर्मदा जयंती पर अनेक आयोजन किये। सभी का कहना था कि नर्मदा के आसपास सघन वृक्षारोपण और पॉलीथिन के प्रयोग से बचकर हम मां नर्मदा के निर्मल जल रूपी आशीर्वाद का कर्ज चुका सकते हैं। बताया गया कि मां रेवा किस प्रकार अमरकंटक में माई की बगिया की दलदली भूमि से जल प्राप्त करके किस प्रकार इतनी वृहद हुई हैं। वे किसी ग्लेश्यिर के भरोसे नहीं हैं, उन्हें हर व्यक्ति को निर्मल बनाना होगा।