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BHOPAL. कोविड महामारी के कारण दुनियाभर में 1.5 अरब से ज्यादा छात्रों की शिक्षा बाधित हुई है। कोविड महामारी के कारण दो साल तक स्कूल नहीं लगे, जिसके कारण देशभर में भी शिक्षा के स्तर में गिरावट देखी गई। हाल ही में जारी एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश में 64% स्टूडेंट मान रहे हैं कि कोविड महामारी से एजुकेशन लॉस हुआ, पर एमपी में इस नुकसान को रिकवर करने का कोई प्लान ही नहीं है। वहीं, ओडिशा में महामारी के कारण हुए लॉस को रिकवर करने के लिए लर्निंग रिकवरी प्रोग्राम यानी एलआरपी चल रहा है। रिपोर्ट से पता चला कि मध्य प्रदेश सरकार ने छात्रों के लिए ना तो किसी प्रकार का एलआरपी लागू किया है और ना ही इस कार्यक्रम के लिए उनके पास किसी प्रकार की कोई योजना है। ऐसे में छात्रों के लिए महामारी कोविड-19 के दौरान हुए सीखने के नुकसान से उबरना बहुत मुश्किल होगा।
5 जिलों के 350 स्कूलों का सर्वे, ऑनलाइन क्लास का लाभ छात्रों को नहीं मिला
कोविड-19 महामारी के कारण पिछले 2 सालों में पहली से आठवीं कक्षा तक के स्टूडेंट में सीखने की हानि की भरपाई करने के लिए एक सर्वे किया गया। रिपोर्ट में पाया कि महामारी में ऑनलाइन क्लास लगी तो जरूर, लेकिन इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने से या मोबाइल-लैपटॉप नहीं होने या उसे चलाने का अनुभव नहीं होने के कारण स्टूडेंट को फायदा नहीं मिला। ये रिपोर्ट समग्र क्रिया अनुसंधान और विकास (हार्ड) संगठन ने आत्मशक्ति एनजीओ के साथ मिलकर तैयार की। सर्वे मध्य प्रदेश के 5 आदिवासी बाहुल्य जिले अनूपपुर, छिंदवाड़ा, बैतूल, शहडोल और सिंगरौली की 187 पंचायतों के 350 स्कूलों में किया गया था।
एजुकेशन के मामले में मध्य प्रदेश से गंभीर ओडिशा के प्रयास
एजुकेशन लॉस रिकवर करने में एमपी से ज्यादा गंभीर ओडिशा है। जहां मध्य प्रदेश ने अभी इस ओर सोचना तक शुरू नहीं किया, वहीं ओडिशा सरकार ने एलआरपी यानी लर्निंग रिकवरी प्रोग्राम भी लागू कर दिया। इसके लिए हर दिन दो एक्स्ट्रा क्लॉस लगाकर स्टूडेंट को पिछली दो कक्षाओं के बारे में पढ़ाया जा रहा है। स्टूडेंट का मनोबल ना गिरे इसके लिए टीचर्स को स्पेशल ट्रेनिंग तक दी गई है। वहीं, इसके उलट मध्य प्रदेश में 32% छात्रों ने कहा कि उन्हें शिक्षक से कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा। भले ही पिछले 7 महीनों से स्कूल खुल गए हों, लेकिन मध्य प्रदेश में छात्रों के सीखने के नतीजों को उनके स्टेंडर्ड्स के अनुसार जानने के लिए अब तक किसी भी प्रकार का छात्र मूल्यांकन नहीं किया गया।
स्कूल वापस बुलाने के लिए 62.7% स्टूडेंट के पास टीचर ही नहीं पहुंचे
5 जिलों में कुल 118 ड्रॉपआउट हुए, जिसमें से 62.7% छात्रों के मामले में इन्हें स्कूल वापस बुलाने के लिए कोई भी शिक्षक नहीं आया। बाकी 37.3% स्टूडेंट ने बताया कि शिक्षक उनके पास आए और उन्हें स्कूल में फिर से शामिल होने के लिए कहा, लेकिन वे (बच्चे) स्कूल नहीं गए। रिपोर्ट के अनुसार, 40.7% माता-पिता अपने बच्चों को वापस स्कूल भेजने की कोशिश तक नहीं करते। वहीं 31.8% माता-पिता अपने बच्चों को प्रवास के दौरान अपने साथ ले जाते हैं, क्योंकि उनके घरों में अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए कोई नहीं बचा।
स्कूलों में बिजली, पानी और शौचालय तक की व्यवस्था नहीं
फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से पता चलता है कि 5.4% स्कूलों के परिसर में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। 6.9% स्कूलों में पीने योग्य पानी नहीं है। 4.6% स्कूलों में टॉयलेट की सुविधा नहीं है। 36.4% साफ-सफाई या क्षतिग्रस्त संरचनाओं के कारण स्कूल में शौचालयों का इस्तेमाल नहीं कर रहे। 30.8% स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं। 41.9% स्कूलों में चारदीवारी नहीं है। 39.3% स्कूलों में बिजली के कनेक्शन नहीं हैं।
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एलआरपी जल्द से जल्द लागू करने की सिफारिश
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि शैक्षणिक स्तर को सुधारने के लिए जल्द से जल्द मध्य प्रदेश में लर्निंग रिकवरी प्रोग्राम यानी एलआरपी लागू किए जाने की जरूरत है। आत्मशक्ति ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी रूचि कश्यप ने कहा कि केवल 3 महीने के छोटे कार्यक्रम से 2 साल के सीखने के नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। एलआरपी को तब तक जारी रखा जाना चाहिए जब तक कि छात्रों द्वारा कक्षा के अनुकूल सीखने का परिणाम हासिल नहीं हो जाता। एलआरपी जैसे किसी भी कार्यक्रम की सफलता के लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग अहम है। शिक्षक छात्रों के सीखने को प्रभावित करने वाली कई गैर-शिक्षण गतिविधियों में लगे हुए हैं। शिक्षकों को केवल छात्रों को पढ़ाने का काम सौंपा जाना चाहिए।