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BHOPAL. कमलनाथ सरकार में बांधों का काम शुरू होने से पहले ठेकेदार को 877 करोड़ का एडवांस भुगतान करने वाले जल संसाधन विभाग के 5 अफसर ईओडब्ल्यू के बाद अब ईडी की जद में आ गए हैं। ईडी ने विभाग के ईएनसी को पत्र भेजकर इन अफसरों की पूरी जानकारी मांगी है। ईओडब्ल्यू इन अधिकारियों के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज कर चुका है। हैरानी की बात ये भी है कि ईओडब्ल्यू के एफआईआर दर्ज करने के अगले ही दिन एसई को एनवीडीए का सदस्य बनाकर वित्त का प्रभार दे दिया।।
ईडी ने मांगी 5 अफसरों की जानकारी
ईडी ने जल संसाधन विभाग के ईएनसी एमएस डाबर को पत्र लिखा है। पत्र में ईओडब्ल्यू की एफआईआर क्रमांक 35/2022 का हवाला दिया गया है। ईडी ने तत्कालीन प्रमुख अभियंता राजीव सुकलीकर, चीफ इंजीनियर शिरीष मिश्रा, एसई शरद श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर सागर डिवीजन अरविंद उपमन्यु और ईएनसी एनवीडीए पीके शर्मा की पूरी जानकारी मांगी है। ईडी इस मामले में मनी लांड्रिंग की जांच करेगा। ईओडब्ल्यू ने 31 मार्च 2022 को राजीव सुकलीकर, शिरीष मिश्रा, शरद श्रीवास्तव समेत 7 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके अगले ही दिन विभाग ने एसई पीके शर्मा को एनवीडीए का मेंबर बना दिया। जबकि चीफ इंजीनियर को ही एनवीडीए का मेंबर बनाया जा सकता है। पीके शर्मा,ईएनसी एनवीडीए हैं। इस बारे में जब द सूत्र ने एमएस डाबर से फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस बारे में उनको मैसेज भी किया गया लेकिन उसका भी कोई उत्तर नहीं आया।
ये है पूरा मामला
साल 2019 में तत्कालीन कामलनाथ सरकार में 3333 करोड़ की बांध और नहर निर्माण की 7 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं के काम शुरू होने से पहले ही जलसंसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता राजीव सुकलीकर, चीफ इंजीनियर शिरीष मिश्रा, एसई शरद श्रीवास्तव ने नियमों को दरकिनार कर ठेकेदार को 877 करोड़ का एडवांस भुगतान कर दिया। इन अधिकारियों ने काम पूरा होने के बाद भुगतान वाली शर्त को विलोपित कर ये भुगतान कर दिया। 2020 में शिवराज सरकार में ये मामला सामने आया। 2021 में इस मामले की जांच शुरु हो गई। मार्च 2022 में ईओडब्ल्यू ने इन अधिकारियों के खिलाफ एफआई आर दर्ज कर ली।
इन परियोजनाओं में हुआ घोटाला
- निरगुढ़ बांध एवं पाइप नहर योजना,बैतूल