संजय गुप्ता, INDORE. चुनावी साल में नाराज युवाओं को मनाने के लिए पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नौकरियों के एक के बाद एक विज्ञापन जारी करा दिए, फिर घोषणा भी कर दी कि एक बार फीस भरने के बाद दूसरी परीक्षाओं के लिए फीस भरने का जरूरत नहीं होगी। सीएम के आदेश के बाद भी अलग-अलग परीक्षाओं का तो छोड़िए मप्र लोक सेवा आयोग एक ही परीक्षा में दो-दो बार फीस वसूली छोड़ने के तैयार नहीं है। आयोग किसी भर्ती परीक्षा में प्री के लिए अलग फीस ले रहा है तो मैंस के लिए अलग। एक राज्य सेवा परीक्षा से ही आयोग औसतन दस करोड़…जी हां दस करोड़ की आय करता है।
यह है मुख्यमंत्री का घोषणा और सामान्य प्रशासन विभाग आदेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी साल में 25 मार्च को जबलपुर में घोषणा करते हुए नौकरी की तलाश में जुटे लाखों युवा उम्मीदवारों को राहत देते हुए कहा था कि प्रदेश में होने वाले हर एग्जाम और इंटरव्यू के लिए केवल एक बार ही फीस भरनी होगी। इसके बाद आप जितनी चाहें उतनी परीक्षाएं दे सकते हैं। इस योजना का नाम है 'वन टाइम एग्जामिनेसन फीस स्कीम' होगा। उनकी घोषणा के बाद सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक एफ 12-05/2023/1-एक 20 अप्रैल 2023 जारी किया। इसके तहत मप्र कर्मचारी चयन मंडल भोपाल ने आदेश भी कर दिया कि 19 अप्रैल 2024 तक भरवाए जाने वाले परीक्षा फार्म में आवदेक को केवल एक ही परीक्षा शुल्क लगेगा, जो वह पहली बार आवेदन भरेगा। इसके बाद शुल्क की जरूरत नहीं होगी। केवल उसे निर्धारित पोर्टल शुल्क ही तय होगा।
मंडल ने बंद कर दिया शुल्क लेना
इस आदेश के बाद कर्मचारी चयन मंडल भोपाल ने परीक्षाओं के शुल्क लेना बंद कर दिया है और वह केवल एक ही बार परीक्षा शुल्क ले रहा है।
पीएससी में क्या हो रहा है?
- मप्र लोक सेवा आयोग में परीक्षा का न्यूनतम शुल्क 500 रुपए है और यदि इसकी मैसं भी होती है तो इसका शुल्क 800 रुपए है। आरक्षित वर्ग के लिए यह शुल्क घटकर 250 और 400 रुपए हो जाता है। इसके अलावा पोर्टल शुल्क अलग लगता है।
ये खबर भी पढ़िए...
इस तरह एक राज्य सेवा परीक्षा से मिल रही दस करोड़ की आय
राज्य सेवा परीक्षा में औसतन तीन लाख उम्मीदवार बैठते हैं। इसमें आरक्षित वर्ग के 60 फीसदी यानि 1.80 लाख करीब होते हैं, तब इनसे 250 रुपए के हिसाब से फीस 4.50 करोड़ रुपए होती है। वहीं अनारक्षित वर्ग के 40 फीसदी यानि 1.20 लाख हुए तो यह 500 रुपए के हिसाब से इनकी फीस 6 करोड़ होती है। यानि इसकी प्री से ही आयोग को 10.50 करोड़ मिल जाते हैं। अब मैंस होगी, इसमें औसतन दस हजार उम्मीदवार होते हैं। इसमें फिर 60 फीसदी आरक्षित वर्ग से यानि 6000 उम्मीवारों से 400 रुपए के हिसाब से 24 लाख रुपए लिए जाएंगे और 40 फीसदी अनारक्षित वर्ग यानि 4000 उम्मीदवारों से 800 की दर से 32 लाख रुपए लिए जाएंगे, यानि फिर 50 लाख से ज्यादा राशि ली जाएगी। वहीं एक ही उम्मीवार असिस्टेंट प्रोफेसर, सेट, प्राचार्य इन सभी की परीक्षा दे रहा है तो उसे इन सभी के लिए भी 500-500 रुपए अलग से देना है।
पीएससी अभी विचार ही कर रहा है
इस मामले में पीएससी प्रवक्ता डॉ. रविंद्र पंचभाई का कहना है कि सीएम द्वारा जो भी घोषणा की गई है, उसका प्रस्ताव राज्य शासन की ओर से आयोग को मिलेगा तब इस पर फैसला लिया जाएगा। प्री और मैंस के लिए अलग-अलग फीस लगती है इस सवाल पर पंचभाई का कहना है कि जो भी फैसला फीस को लेकर होगा तो इस पर भी विचार किया जाएगा कि किस तरह से फीस ली जाएगी।