मप्र विधानसभा में नरोत्तम ने फेंकी नियमों की किताब, बदले में सज्जन ने फाड़े पन्ने, स्पीकर के खिलाफ अविश्वास पर सदन में हंगामा

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Atul Tiwari
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मप्र विधानसभा में नरोत्तम ने फेंकी नियमों की किताब, बदले में सज्जन ने फाड़े पन्ने, स्पीकर के खिलाफ अविश्वास पर सदन में हंगामा

BHOPAL. विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से ऐसा आचरण हुआ जो संभवत: प्रदेश में पहली बार हुआ होगा। सदन में नियमों के साथ उनकी किताब की ही धज्जियां उड़ा दी गईं। 3 मार्च को सदन शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने स्पीकर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की। उनकी मांग पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नियमों का हवाला देते हुए नियम की किताब ही उनकी ओर उछाल दी। कांग्रेस विधायकों ने गर्भगृह में नरोत्तम मिश्रा को निलंबित करने की मांग की। सज्जन सिंह वर्मा ने वही नियमों की किताब के पन्ने फाड़कर स्पीकर के सामने बैठे सविचालय के कर्मचारियों के उपर फेंक दिए। हंगामे के बीच कार्यसूची में शामिल सरकारी कामकाज पूरा करने के साथ ही विधानसभा की कार्यवाही 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। 



कांग्रेस का निंदा प्रस्ताव,नरोत्तम के निलंबन की मांग 

 

शुक्रवार (3 मार्च) को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस ने स्पीकर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सारे कामकाज छोड़कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाए। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जिस स्पीकर के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, उनको आसंदी छोड़कर किसी और को आसंदी पर बैठाकर कार्यवाही आगे बढ़ानी चाहिए। इसी दौरान संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नियमों का हवाला दिया और कहा कि वे सारे सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन सब नियमानुसार होना चाहिए। इस पर कांग्रेस ने हंगामा शुरू कर दिया। 



नरोत्तम जिस किताब से नियमों का हवाला दे रहे थे, उसे ही सदन में उछाल दिया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने नरोत्तम मिश्रा के इस आचरण पर उन्हें सदन से निलंबित करने की मांग की। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित हो गई और प्रश्नकाल इस हंगामे में स्वाहा हो गया। सदन शुरू होते ही कांग्रेस विधायक गर्भगृह में पहुंच गए और नारेबाजी शुरु कर दी। नारेबाजी के साथ ही सज्जन सिंह वर्मा समेत कुछ और विधायकों ने उसी नियम की किताब के पन्ने फाड़कर स्पीकर के सामने कार्यवाही का विवरण लिखने वाले सचिवालय के कर्मचारियों की टेबल पर फेंक दिए। कांग्रेस नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी लेकर आई। कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव में 48 विधायकों के दस्तखत थे, जिनमें कमलनाथ शामिल नहीं थे।  



नरोत्तम ने सदन में मांगी माफी 



प्रश्नकाल के बाद सत्ता और विपक्ष के सदस्य सदन में वापस लौटे तो एक बार फिर हंगामा शुरू हो गया। नरोत्तम मिश्रा ने सदन में खेद जताकर अपनी सफाई दी। नरोत्तम ने कहा कि किताब उन्होंने फेंकी नहीं थी, बल्कि वो हाथ से गलती से गिर गई थी, फिर भी मैं इसके लिए खेद प्रकट करता हूं। इसके बाद भी कांग्रेस नरोत्तम के निलंबन पर अड़ी रही। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विपक्ष की मांग पर कहा कि उनके पास अभी प्रस्ताव ही नहीं आया। हंगामे के बीच स्पीकर ने कार्य सूची में शामिल सरकारी कामकाज को निपटाया और सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक स्थगित कर दी।  

        

मप्र विधानसभा में पहला मामला 

 

मध्यप्रदेश के इतिहास में संभवत: पहली बार विधानसभा में ऐसी घटना घटित हुई है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने खेद प्रकट कर दिया था। कांग्रेस विधायकों के किताब फाड़े जाने पर वे रिकॉर्डिंग निकालकर देखेंगे। इस मामले में सज्जन सिंह वर्मा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही हो सकती है। अध्यक्ष ने कहा कि नियमानुसार ही वर्मा के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। स्पीकर ने कहा कि विपक्ष ने नियमानुसार समय पर सूचना नहीं दी। लिहाजा अभी अविश्वास प्रस्ताव आया ही नहीं है।

 

जीतू के निवास पर जुटे कांग्रेस नेता

 

विधानसभा स्थगित होने के बाद कांग्रेस के नेता जीतू पटवारी के निवास पर पहुंचे। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बीजेपी सरकार के इस जंगलराज के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। जीतू पटवारी ने कहा कि हमने किसानों की बात की तो सरकार ने निलंबित कर दिया। कांग्रेस हमेशा गरीब,किसान और महिलाओं के सम्मान के लिए खड़ी है। वो बीजेपी के इस तानाशाही रवैये से डरने वाले नहीं हैं।



कमलनाथ बोले- सरकार चर्चा से भागती है



मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ के घर पर 2 मार्च देर शाम हुई बैठक में तय किया गया कि 3 मार्च को विधानसभा में स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। कमलनाथ ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष पर हमें भरोसा नहीं है। जब भी हम सदन में चर्चा कराने की बात करते हैं, भ्रष्टाचार से जुड़े प्रश्न पूछते हैं, तो सरकार चर्चा से भागने लगती है। सवाल केवल जीतू पटवारी का नहीं, बल्कि संसदीय मर्यादा का है। जीतू पटवारी का निलंबन पहले से तय था। यह साजिश के तहत हुआ है।



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कमलनाथ ने कहा कि यह अलोकतांत्रिक कदम है। विधानसभा अध्यक्ष को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकतरफा कार्रवाई विधानसभा की उच्च परंपराओं के अनुकूल नहीं है। वहीं, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि बीजेपी के इशारे पर तानाशाही तरीके से जीतू पटवारी को निलंबित किया गया है।



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नरोत्तम ने रखा था जीतू पटवारी के निलंबन का प्रस्ताव



कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को निलंबित करने का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रखा था। उन्होंने स्पीकर के आते ही कहा कि सदन को हम मंदिर कहते हैं। इस सदन की मर्यादा को खरोंचने की कोशिशें हो रही हैं। ये पीड़ादायक है। जीतू पटवारी पहले भी ऐसा करते रहे हैं। मामला विशेषाधिकार समिति के पास विचाराधीन है। मैं प्रस्ताव रखता हूं कि बाकी के सत्र के लिए जीतू पटवारी को निलंबित किया जाए, इसके बाद स्पीकर ने एक्शन ले लिया। कार्रवाई के बाद पटवारी बोले- मेरी बात सुनी जाए। इस पर नरोत्तम ने कहा कि निलंबित सदस्य भाषण नहीं दे सकता। इसके बाद सदन की कार्यवाही 3 मार्च सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।


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