सोनकच्छ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित, कांग्रेस यहां जमीन से जुड़ी लेकिन बीजेपी का संगठन कमजोर

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Rahul Garhwal
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सोनकच्छ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित, कांग्रेस यहां जमीन से जुड़ी लेकिन बीजेपी का संगठन कमजोर

DEWAS. सोनकच्छ, देवास जिले की तहसील, इंदौर-भोपाल हाइवे पर बसा छोटा-सा कस्बा। सोनकच्छ विधानसभा सीट नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में बंटी हुई है। नगरीय इलाका हाइवे से सटा हुआ है और ग्रामीण इलाका हाइवे के दोनों तरफ। सोनकच्छ में एक शापित नगरी है जो जमीन पर भीतर दबी हुई बताई जाती है जिसका नाम है गंधर्वपुरी। गंधर्वपुरी ग्राम पंचायत बाकी पंचायतों से अलग है। यहां हाट बाजार है। गांव वालों को पीने के लिए आरओ का पानी मिलता है क्योंकि जमीन का पानी भारी था तो सरपंच ने कोशिश की कि आरओ का पानी मिले। बहरहाल, गांव के भीतर एक जगह ऐसी है जहां मूर्तियां ही मूर्तियां हैं और इन्हीं मूर्तियों को देखकर गांव वाले अंदाजा लगाते हैं कि यहां शापित नगरी है और वो जमीन के भीतर है।



जैन तीर्थ स्थल पुष्पगिरी



गंधर्वपुरी के अलावा एक और स्थान है जो सोनकच्छ में प्रसिद्ध है और वो है जैन तीर्थ स्थल पुष्पगिरी। इसकी स्थापना आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज ने 1997 में की थी। स्वास्थ्य, शिक्षा समेत कई सामाजिक कार्य संस्था के जरिए किए जा रहे हैं।



सोनकच्छ के सियासी मिजाज की बात की जाए तो..




  • 1957 से लेकर 1967 तक ये सीट जनसंघ के कब्जे में रही।


  • 1957 का चुनाव जनसंघ के भागीरथ सिंह ने जीता।

  • 1962 के चुनाव में दूसरी बार भागीरथ सिंह विधायक बने और फिर 1967 का चुनाव भी खूबचंद ने जीता।

  • 1972 में कांग्रेस के बापूलाल ने ये सीट जनसंघ से छीन ली।

  • 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने इस सीट पर बाजी मारी।

  • मौजूदा विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने पहला चुनाव 1985 में लड़ा था और जीत दर्ज की।

  • 1990 का चुनाव कांग्रेस हार गई।

  • 1993 का चुनाव भी कांग्रेस हार गई और बीजेपी के सुरेंद्र वर्मा ने यहां से जीत दर्ज की।

  • 1998, 2003 और 2008 का चुनाव सज्जन सिंह वर्मा ने ही जीता।

  • 2013 के चुनाव में बीजेपी के राजेंद्र वर्मा ने जीत दर्ज की।

  • 2018 में कांग्रेस ने वापसी की और सज्जन सिंह वर्मा सोनकच्छ से विधायक बन गए।



  • जातिगत समीकरण



    सोनकच्छ विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डालें, तो यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। 40 फीसदी मतदाता अनुसूचित तो वहीं 40 फीसदी वोटर्स ठाकुर हैं। कुल मिलाकर इन्हीं दो जातियों के वोटर्स प्रत्याशी की जीत में अहम रोल निभाते हैं।



    राजनीतिक समीकरण



    राजनीतिक समीकरण के लिहाज से देखे तो यहां कांग्रेस संगठन के जमीन पर कार्यकर्ता हैं। सज्जन सिंह वर्मा ने टोंक खुर्द और सोनकच्छ जनपद में अपने कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की है। दिलचस्प बात ये है कि सोनकच्छ सीट नगरीय और ग्रामीण इलाकों में बंटी हुई है। कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा को नगरीय इलाके से हार का सामना करना पड़ता है लेकिन ग्रामीण इलाकों से जीत होती है। कांग्रेस की 15 महीने सरकार के दौरान हालात कुछ ऐसे बने की कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई। इसलिए जानकारों की राय में इस बार कांग्रेस को यहां से मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। दूसरी तरफ बीजेपी की बात करें तो बीजेपी संगठनात्मक तौर पर यहां कमजोर नजर आती है। बहरहाल, ग्रामीण इलाकों में मजबूत पकड़ हासिल करने के लिए कांग्रेस के कुछ नेताओं पर बीजेपी की नजर है।



    सोनकच्छ की जनता के मुद्दे



    सोनकच्छ विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में खराब सड़क भी मुद्दा है और नल जल योजना समेत कई योजनाएं है जो धरातल पर नहीं हैं। हालांकि विधायक कांग्रेस का है और सरकार बीजेपी की, इसलिए जनता इन दोनों के बीच फंस रही है। द सूत्र ने सोनकच्छ के मुद्दों को लेकर इस जिले के पत्रकारों से बातचीत की तो यही बात निकलकर सामने आई।



    विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने बीजेपी सरकार पर फोड़ा ठीकरा



    सोनकच्छ की जनता विकास पर ही वोट देती है लेकिन विकास कहीं नजर होता नजर नहीं आता। द सूत्र ने इन तमाम मुद्दों को लेकर सज्जन सिंह वर्मा से बातचीत की तो उन्होंने सारा ठीकरा बीजेपी सरकार पर फोड़ने में कसर नहीं छोड़ी।



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