बीजेपी का फरमाइशी विपक्ष है आप, इसलिए वो कांग्रेस पर ज्यादा हमलावर, एक्सपर्ट्स से जानिए एमपी में केजरीवाल-मान के भाषण के मायने

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Sunil Shukla
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बीजेपी का फरमाइशी विपक्ष है आप, इसलिए वो कांग्रेस पर ज्यादा हमलावर, एक्सपर्ट्स से जानिए एमपी में केजरीवाल-मान के भाषण के मायने

BHOPAL. आम आदमी पार्टी (आप) ने 14 मार्च को भोपाल में राज्य स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन और आमसभा का आयोजन कर प्रदेश में अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया है। पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvid Kejariwal) ने आमसभा में दिल्ली और पंजाब में मुफ्त बिजली, इलाज और स्कूल शिक्षा का बखान करते हुए मध्यप्रदेश की जनता से एक मौका मांगते हुए कहा कि हम यहां भी सब मुफ्त कर देंगे। इसके साथ उन्होंने और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (Bhagwant Mann) ने मप्र में विधायक बेचे और खरीदे जाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधा। लेकिन आप (AAP) के इन दोनों ही नेताओं ने बीजेपी (BJP)  के मुकाबले कांग्रेस (Congress) पर ज्यादा हमला बोला। केजरीवाल बोले- कांग्रेस दफ्तर पर लिख दें यहां एमएलए (MLA) बिकते हैं। मान ने कहा- मप्र में कांग्रेस को वोट दोगे तो सरकार बीजेपी की ही बनेगी। द सूत्र ने राजनीतिक विश्लेषकों से केजरीवाल और मान के भाषणों के निहितार्थ जानने की कोशिश की। सभी ने एकमत से यही राय दी कि आप मप्र के विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election 2023) में वही भूमिका अदा करेगी जो उसने गुजरात में निभाई है। यानी आम आदमी पार्टी कांग्रेस के वोट में सेंध लगाकर सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी की राह आसान करेगी।



कांग्रेस के लिए केजरीवाल, मान ने क्या कहा?



राजनीतिक विश्लेषकों का नजरिया जानने से पहले आइए नजर डालते हैं भोपाल में 14 मार्च को बीएचईएल दशहरा मैदान में आयोजित आप की जनसभा में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के भाषण में कांग्रेस के लिए इस्तेमाल किए गए जुमलों पर। केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस चेंज नहीं एक्सचेंज है। कांग्रेस कार्यालय पर लिख देना चाहिए कि यहां विधायक बिकते हैं। कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के कुछ लोग मुझसे मिलने आए थे। मैंने उनसे पूछा की मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या क्या है- महंगाई, बेरोजगारी या भ्रष्टाचार?  एक ने कहा, हमारे यहां सरकारें खरीदी और बेची जाती हैं। आज प्रदेश का हर नागरिक बेबस है। चुनाव होने के बाद एक पार्टी अपनी रेहड़ी निकाल कर निकलती है.. एमएलए ले लो... एमएलए.. 10 पर एक डिस्काउंट मिलेगा। इन लोगों ने लोकतंत्र और संविधान को बाजार बना दिया है। एमपी का हर नागरिक मामा यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाना चाहता है। पिछली बार हटा भी दिया था लेकिन इसको वोट दो या उसको सरकार तो बीजेपी की ही बनेगी। इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि मध्य प्रदेश की जनता ने पिछले विधानसभा चुनाव में वोट कांग्रेस को दिया लेकिन बाद में सरकार बीजेपी की बन गई। जनता अब कांग्रेस पर भरोसा नहीं करती है। जनता जानती है कि कांग्रेस को वोट देंगे तो सरकार बीजेपी की बनेगी।



आप वहीं चुनाव लड़ती है जहां बीजेपी-कांग्रेस में सीधा मुकाबला होता है 



अब जानते हैं आप के दिग्गज नेताओं के जुमलों पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय। जानेमाने पत्रकार और राज्यसभा टीवी के पूर्व सीईओ रहे राजेश बादल आम आदमी पार्टी को बीजेपी की मददगार करार देते हुए कहते हैं- " आप उन्हीं राज्यों के चुनाव में मैदान में उतरती है जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबले की संभावना होती है। दरअसल वो बीजेपी के लिए  फरमाइशी विपक्ष की भूमिका निभाती है। उसे वहीं भेजा जाता है जहां कांग्रेस को कमजोर करना होता है।" बादल अपनी बात के समर्थन में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा और गुजरात का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि इन राज्यों में कैसे आप ने कांग्रेस को किनारे लगाया है। इसके साथ ही वे यह सवाल भी उठाते हैं कि आप ने पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार क्यों नहीं उतारे ? इसीलिए क्योंकि वहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा नहीं बल्कि बहुकोणीय मुकाबला था। इन राज्यों में समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस के अलावा छोटी-छोटी कई पार्टियां चुनाव मैदान में थीं।



अब विपक्ष भी अपने अनुकूल चाहती है बीजेपी 



राजेश बादल की राय में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए छोटी-छोटी पार्टियां खड़ी करना बीजेपी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। वो अब देश की राजनीति में जिस तरह का मॉडल खड़ा करने का प्रयास कर रही है उसमें वो विपक्ष को भी अपने ही अनुकूल बनाना चाहती है। इसी लिहाज से मैं आप को बीजेपी का फरमाइशी विपक्ष मानता हूं। भोपाल में केजरीवाल और मान का भाषण इसी बात की नजीर देता नजर आता है। नहीं तो क्या वजह है कि उस राज्य में जहां करीब 20 साल से बीजेपी सत्ता में हैं लेकिन आप के दोनों बड़े नेता कांग्रेस पर ज्यादा हमलावर नजर आते हैं। अब देखना ये है कि मप्र का आम मतदाता आप के साथ क्या और कैसा व्यवहार करता है। प्रदेश की राजनीति में आम आदमी पार्टी के तीसरे मजबूत विकल्प बनने के दावे पर राजेश बादल का कहना है कि इतिहास उठाकर देख लीजिए मप्र में कभी किसी तीसरी पार्टी का वजूद लंबा नहीं टिक पाया है।



आप की नजर बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के वोट पर 



मध्य प्रदेश में राजनीति की नब्ज पर गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और कभी प्रदेश बीजेपी के मुखपत्र चरैवेति के संपादक रहे जयराम शुक्ल को भी अरविंद केजरीवाल और भगवंत सिंह मान के चुनावी भाषण से यही नजर आता है कि आप की नजर बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के वोट पर है। नहीं तो आप के नेता प्रदेश में मार्च 2020 को कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के लिए कांग्रेस का मखौल उड़ाते नजर नहीं आते। शु्क्ल कहते हैं, "2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने जनादेश कांग्रेस के पक्ष में दिया था। लेकिन कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त कर कमलनाथ की सरकार कैसे गिराई गई ये जगजाहिर है, इसका दोष कांग्रेस के सिर मढ़ा जाना नैतिकता के लिहाज से ठीक नहीं है।" दिल्ली से लेकर गुजरात तक के  चुनाव नतीजे इस बात के गवाह हैं कि आप ने जिन भी राज्यों में चुनाव लड़ा है उसने कांग्रेस की ही लुटिया डुबोई है।



मप्र की बजाय छग-राजस्थान में ज्यादा ताकत से लड़ेगी आप  



जयराम शुक्ल की नजर में आम आदमी पार्टी शुरुआत से ही बीजेपी की बी टीम के रूप में भूमिका निभा रही है। उनकी मानें तो ये दोनों ही पार्टियां साबुन बनाने वाली एक ही कंपनी के दो अलग-अलग ब्रांड की तरह हैं। बकौल शुक्ल, "मेरा मानना है कि आप मप्र की बजाय छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ज्यादा ताकत के साथ लड़ेगी, क्योंकि यहां अभी कांग्रेस की सरकारें हैं।" मध्य प्रदेश में पिछले साल हुए नगरीय निकाय चुनाव में आप के प्रदर्शन को देखते हुए लगता है कि विधानसभा चुनाव में वो 5 से 7 प्रतिशत तक वोट हासिल कर सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव (2018) में उसने 208 विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और उसे  0.66 फीसदी वोट मिले थे। आप का दावा है कि 2022 में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में उसके वोट का प्रतिशत करीब 6 फीसदी बढ़ा है।



आप पहले कांग्रेस को टार्गेट करेगी इसके बाद बीजेपी को 



प्रदेश और देश की राजनीति पर हमेशा तथ्यों और तर्कों के साथ अपनी बात रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल का कहना है कि पहली बार मप्र में सभी 230 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने जा रही आम आदमी पार्टी का पहला लक्ष्य विपक्ष के तौर पर अपने पैर जमाना होगा। इसके लिए वो पहले कांग्रेस को ज्यादा टार्गेट करेगी। इसके बाद अगले चुनाव में वो सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी को चुनौती देगी। पंजाब में उसने ऐसी ही रणनीति अपनाई थी। इस लिहाज से भोपाल में केजरीवाल और मान के भाषण से यही संकेत मिलता है कि आप यहां पहले कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाकर खुद को ज्यादा मजबूत विपक्ष के रूप में साबित करने का प्रयास करेगी। इस लक्ष्य के लिए आप के नेता गुजरात चुनाव की तरह मप्र में भी कांग्रेस पर ज्यादा अटैक कर उसके ज्यादा से ज्यादा वोट काटने की कोशिश करेंगे। हो सकता है कि इस प्रयास के चलते वो सिंगरौली में नगर निगम महापौर के चुनाव में चौंकानें वाले नतीजे की तरह विधानसभा में भी अपना खाता खोलने में कामयाब हो जाए।



मप्र विधानसभा में खाता खोल सकती है आप 



 बोकिल का मानना है कि आप मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 10 प्रतिशत तक वोट हासिल कर सकती है। ऐसा हुआ तो वो प्रदेश में कांटे की टक्कर वाली कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी जिताकर चौंका भी सकती है। गुजरात विधानसभा चुनाव  में आप को 13 फीसदी वोट मिले थे और उसके पांच उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए। कुछ इसी तरह के नतीजे मप्र में भी देखने को मिल सकते हैं, लेकिन ये इस बात पर निर्भर करेगा कि आप के नेता आने वाले चुनाव में कितनी सक्रियता दिखाते हैं और विधानसभा के टिकट के लिए अपने प्रत्याशियों का चयन कितनी संजीदगी से करते हैं।

 


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