राहुल शर्मा, भोपाल। बिल्डर भले ही पैसे के दम पर सांठगांठ कर बाकायदा अनुमति लेकर अवैध निर्माण (Illegal Construction) कर ले, लेकिन प्रकृति जब न्याय करने आती है तो वह किसी को नहीं छोड़ती। ऐसा ही उदाहरण सेज (SAGE) ग्रुप के सागर प्रीमियम प्लाजा में देखने को मिला। सेज ने यहां नदी के दायरे में अतिक्रमण (Encroachment) कर फ्लैट बनाकर बेच दिए। आश्चर्यजनक रूप से इस अवैध निर्माण की पूरी लीगल परमीशन भी सेज के पास थी तो बैंक ने प्रॉपर्टी के लिए फाइनेंस (Finance) भी कर दिया। पिछले साल प्रकृति ने खुद न्याय कर लिया। 2020 में बारिश अच्छी हुई तो कलियासोत डैम के 13 गेट खुल गए। सागर प्रीमियम प्लाजा ने जिस ग्रीन बेल्ट पर निर्माण किया था, उसका एक हिस्सा नदी अपने साथ बहाकर ले गई।
जीवनभर की जमापूंजी हुई जीरो
राजधानी के टॉप-10 बिल्डरों में शुमार सेज ग्रुप की काली करतूत ऐसी रही, जिसने लोगों के जीवनभर की जमा पूंजी लील ली। 2020 नदी के तेज बहाव से जब सागर प्रीमियम प्लाजा का एक छोटा हिस्सा बहा, तब लोगों को समझ आया कि उन्होंने किस प्रॉपर्टी को खरीदा। बैंक फाइनेंस होने से लोगों को किस्त (EMI) तो भरनी ही पड़ रही है। पर उनकी यह प्रॉपर्टी नदी के दायरे में आने से अब कोई औने-पौने दामों पर भी खरीदने को तैयार नहीं है।
खतरा हमेशा बरकरार: नदी की जद में दर्जनों फ्लैट
2020 में नदी भले ही सागर प्रीमियम प्लाजा के एक हिस्से को बहा ले गई हो, पर खतरा टला नहीं है। कलियासोत रिवर राइट साइड की ओर 33 मीटर के ग्रीन बेल्ट का दायरा दर्शाने वाले पिलर को देखें तो इसकी जद में कई फ्लैट है। लोगों ने इन्हें सालों पहले 40 से 45 लाख में सेज ग्रुप से खरीदा। ये फ्लैट कभी भी नदी के बहाव में आकर बह सकते हैं। जिनके पास विकल्प था, वे फ्लैट खाली कर जा चुके हैं, जो सक्षम नहीं थे, वे डर-डरकर यहां रहने को मजबूर हैं। ...कल देखिए- कैसे चला साठगांठ का ये पूरा खेल....