राहुल शर्मा, BHOPAL. मास्टर प्लान शहर के विकास के लिए होता है या रसूखदार और नौकरशाहों के विकास के लिए...। यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि भोपाल मास्टर प्लान 2031 में लो डेन्सिटी एरिए में FAR यानी फ्लोर एरिया रेशो चेंज करने का प्रस्ताव है। यदि इस प्रस्ताव के साथ मास्टर प्लान लागू होता है तो बड़ा फायदा उन नौकरशाहों को मिलेगा, जिन्होंने लो डेन्सिटी एरिए में बंगले बना रखे हैं या इनकी जमीनें है। नया मास्टर प्लान लागू होने के बाद राजधानी के लो डेन्सिटी में बने आईएएस-आईपीएस अफसरों के करोड़ों के अवैध बंगले वैध हो जाएंगे।
इन बंगलों को क्यों कह रहे अवैध?
लो डेनसिटी में बने आईएएस—आईपीएस के बंगलों को अवैध इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि वर्तमान मास्टर प्लान के अनुसार, लो डेन्सिटी एरिया में मात्र 0.06 FAR ही मान्य है, जबकि अफसरों ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए तय FAR से ज्यादा निर्माण करवा लिया है, जो अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है। ऐसे में अफसरों को नए मास्टर प्लान के आने का इंतजार है। अफसरों ने नए प्लान में लो डेन्सिटी एरिया का FAR 0.75 प्रस्तावित किया है। नए प्लान के लागू होते ही अफसरों के बंगलों में हुए अवैध निर्माण खुद ब खुद वैध हो जाएंगे।
पहले समझिए डेन्सिटी एरिया होता क्या है?
तालाब या डेम के जलभराव क्षेत्र से कुछ दूरी या जो खाली हिस्सा होता है, उसे लो डेनसिटी एरिया कहते हैं। मास्टर प्लान में दिए गए एफएआर के अनुसार ही भवन निर्माण किया जा सकता है और लो डेनसिटी में इसे कम रखा जाता है। इसे इस तरह से समझिए के यदि तालाब या डेम के खाली क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक निर्माण हो गया तो बारिश के समय इन वॉटर बॉडी में पानी कहां से आएगा। वहीं तालाब या डेम के जलभराव क्षेत्र से कुछ दूरी तक जमीन दलदली हो जाती है। ऐसे में यहां बड़े निर्माण हुए तो दुर्घटना भी हो सकती है। यही कारण है कि लो डेन्सिटी में शर्तों के साथ निर्माण की अनुमति दी जाती है।
FAR बदलने के पीछे का यह है गणित
लो डेन्सिटी एरिया में वर्तमान में यहां 0.06 FAR है यानी 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर मात्र 600 वर्गफीट का ही निर्माण किया जा सकता है। इसमें सर्वेंट क्वार्टर और कार गैरेज का अलग से निर्माण करने की अनुमति मिलती है। लेकिन प्रदेश के सीनियर आईएएएस-आईपीएस अफसरों ने लो डेन्सिटी एरिया में 10 हजार वर्गमीटर के प्लॉट पर 5 हजार वर्गफीट से ज्यादा अवैध निर्माण करवा लिया। ऐसे में उनके करोड़ों के बंगले अवैध की श्रेणी में आ गए हैं। नया प्लान आता है तो इसमें प्रस्तावित एफएआर 0.75 मिल जाएगा। इससे वे 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर 7500 वर्गफीट का निर्माण करने कर सकेंगे। ऐसे में इन अफसरों के सारे अवैध निर्माण वैध हो जाएंगे।
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भोपाल के इन लो डेन्सिटी एरिया में इन नौकरशाहों के बंगले या जमीन...
1. साक्षी ढाबे के सामने वाला एरिया में बसा दिया विस्परिंग पॉम्स
इस एरिए में नौकरशाहों ने पूरी एक वीआईपी कॉलोनी बसा रखी है, जिसका नाम है विस्परिंग पॉम्स। यहां ऐसे आलीशान बंगले हैं, जिन्हें देखकर आपकी आंखें खुली रह जाएंगी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) के मुताबिक, 5 एकड़ एरिया में ये कॉलोनी बनी है। यहां राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह, आईएएस अनुपम राजन, जीतेंद्र राजे, मलय श्रीवास्तव, विवेक अग्रवाल, रिटायर्ड आईएएस एसआर मोहंती समेत राधेश्याम जुलानिया का बंगला है या बंगले का निर्माण चल रहा है।
2. सूरज नगर और फायरिंग रेंज वाले एरिए में भी धड़ल्ले से निर्माण
पुलिस लाइन के पीछे फायरिंग रेंज वाला एरिया और लॉ एकेडमी के पीछे सूरजनगर वाला एरिया लो डेन्सिटी में आता है। सूरजनगर वाले एरिए में आईएएस विनोद कुमार, राकेश अग्रवाल, बीआर नायडू, सभाजीत यादव समेत अन्य अधिकारियों के बंगले और जमीने हैं। वहीं, पुलिस लाइन के पीछे फायरिंग रेंज वाला एरिए में रिटायर्ड डीजीपी नंदन दुबे और आईएएस केके सिंह समेत अन्य के बंगले या प्रॉपर्टी है।
6 फीसदी ही हो सकता है भूतल निर्मित क्षेत्र
आप यदि यह सोचते हैं कि नियम सबके लिए बराबर है तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आप गलत है। कहा जाता है ना कि लिफाफा देखकर मजमून का पता चल जाता है, वैसा ही इन बंगलों को देखकर अपना अंदाजा लगा सकते हैं कि इन आलीशान बंगलों के भीतर हर ऐशो-आराम की सुविधाएं मौजूद होंगी। अपने बंगले या फार्महाउस बनाने के लिए नौकरशाहों ने शहर से दूर इन जगहों को इसलिए चुना, क्योंकि यहां शोरशराबा नहीं है और प्राकृतिक सौंदर्य भरपूर है। वर्तमान मास्टर प्लान में भवन का भूतल निर्मित क्षेत्र अधिकतम 6 फीसदी मान्य की शर्त है। मतलब 10 हजार स्क्वेयर फीट प्लॉट है तो 600 स्क्वेयर फीट एरिया पर ग्राउंड फ्लोर होना चाहिए। लेकिन इन बंगलों को देखकर लगता है कि क्या वाकई इनका ग्राउंड फ्लोर 600 स्क्वेयर फीट है?
पुराने मास्टर प्लान से नहीं की जा सकती छेड़छाड़
लोकायुक्त से रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि पुराने मास्टर प्लान में जो प्रावधान कर दिए गए है, उनमें छेड़छाड़ नए मास्टर प्लान के लिए नहीं की जा सकती। नया मास्टर प्लान जो शहरी क्षेत्र बढ़ा है, उसके विकास के लिए होता है। ऐसे में तो पुराने मास्टर प्लान का कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा। FAR बदलने का प्रस्ताव गलत है।
सीएम की स्वीकृति होने तक अटका है मास्टर प्लान
भोपाल मास्टर प्लान 18 साल से अटका है। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने हाल ही में मीडिया से दावा किया कि एक महीने में नया मास्टर प्लान लागू कर दिया जाएगा। हालांकि इसके पहले भी तीन बार भूपेंद्र सिंह प्लान लाने का दावा कर चुके हैं, लेकिन मास्टर प्लान का फाइनल ड्राफ्ट उन्हीं के विभाग में डेढ़ साल से दबा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि जब तक मुख्यमंत्री खुद नहीं बोलेंगे, तब तक प्लान का फाइनल ड्राफ्ट हिलेगा तक नहीं। जनवरी 2021 से ये ड्राफ्ट नगरीय प्रशासन विभाग में धूल खा रहा है। सरकार ना तो इसे निरस्त कर रही और ना ही लागू कर रही है।