राजीव उपाध्याय, JABALPUR. मध्य प्रदेश में बीजेपी में शराब पर सियासत तेज होती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पूर्ण शराबबंदी को लेकर पहले से मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं पूर्व मंत्री और पाटन से बीजेपी विधायक अजय विश्नोई पूर्ण शराबबंदी के पक्ष में नहीं हैं। वे शराब को बुराई के रूप में देखते हैं। विश्नोई चाहते हैं कि शराब हर घर में ना बिके, बल्कि दुकानों में बिके।
वहीं, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराबंदी को लेकर आंदोलन छेड़े हुए हैं। 13 मार्च 2022 को भोपाल में एक शराब दुकान पर उन्होंने पत्थर चलाया था। फिर जून में ओरछा में एक शराब दुकान पर गोबर फेंका था। 2 अक्टूबर 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती भोपाल में नशामुक्ति को लेकर एक कार्यक्रम में एक मंच पर आए थे। इसमें शिवराज ने भी उमा की बात का समर्थन किया था।
अजय विश्नोई बोले- शराब सहज मिलेगी तो आदमी ज्यादा पी लेगा
विश्नोई ने द सूत्र से कहा कि शराब बुराई है इसमें कोई शक नहीं। सामाजिक बुराई है, इसमें भी कोई शक नहीं। आर्थिक और शारीरिक रूप से निष्क्रिय करती है, इसमें भी कोई शक नहीं, खासतौर पर तब, जब जरूरत से ज्यादा पी जाए। जरूरत से ज्यादा और सहज उपलब्ध होगी तो आदमी ज्यादा पी ही लेगा। ज्यादा पी लेगा तो लड़ाई भी करता है। मध्य प्रदेश में सहजता के साथ जो शराब उपलब्ध हो रही है, उस पर प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत है। मैं शराबबंदी की बात नहीं कह रहा। मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि शराब, दुकान से बाहर ना बिके।
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खाद की समस्या पर विश्नोई बोले- किसान नैनो यूरिया अपनाकर अपना और देश का भला करें
अजय विश्नोई के मुताबिक, किसानों की खाद की समस्या दूर हो चुकी है। मैंने दो दिन पहले वीडियो डाला था, जिसमें डीएपी की दिक्कत जा रही थी। बाकी यूरिया में कोई दिक्कत नहीं थी। डीएपी का रैक आ चुका है। उसका सोसाइटियों में पहुंचना शुरू हो गया है। मैं ये बात जबलपुर के संदर्भ में कह रहा हूं। जब जबलपुर में ये समस्या नहीं है तो प्रदेश में भी नहीं होगी। नैनो यूरिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शानदार प्रयोग है, जिसको अपनाने के लिए किसान को आगे आना चाहिए। ऐसा करके किसान अपने खेत, प्रदेश और देश की सेवा करेगा। नैनो यूरिया की 500 ML की बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर होती है। एक बोरी खरीदने के लिए सरकार को 1300 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, नैनो यूरिया की बोतल 240 रुपए में मिल जाती है। फिर ट्रेन से 52 हजार बोरी यूरिया लाने में खर्च भी ज्यादा लगता है। अगर किसान को 10 बोरी ले जाना हो तो ट्रैक्टर ट्रॉली लाना पड़ेगी। जबकि नैनो यूरिया की 10 बोतल आप बाइक में लेकर जा सकते हैं। इसमें सबकी बचत हो रही है।
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