BHOPAL. बीजेपी की विकास यात्रा वाकई फ्लॉप रही या इसे फ्लॉप साबित करने की पूरी कोशिश की गई। यात्रा का नाम भले ही विकास था, लेकिन इसका मकसद सिर्फ विकास नहीं था। इस यात्रा का मकसद समझना है तो बीजेपी की तरह थिंक टैंक बनना होगा। तब आप समझ जाएंगे कि एक फ्लॉप यात्रा के जरिए चुनाव में हिट होने के लिए बीजेपी ने किस कदर प्लानिंग की है।
लोगों की नाराजगी देख कांग्रेस ने यात्रा को फ्लॉप करार दिया
चुनावी साल में यात्राओं का दौर जारी है। राहुल गांधी थमे तो मध्यप्रदेश में शिवराज चल पड़े हैं। दलबल के साथ बीजेपी पूरी 230 विधानसभा सीटों पर विकास यात्रा लिए घूम रही है। यात्रा का मकसद बीजेपी के विकास का संदेश जन-जन तक पहुंचाना है, लेकिन बदले में बीजेपी को लोगों की नाराजगी मिल रही है। इसे देखकर कांग्रेस ने यात्रा को पूरी तरह फ्लॉप करार दे दिया है। पर, क्या वाकई बीजेपी ने एक फ्लॉप यात्रा की रणनीति तैयार की।
विकास यात्रा बनाम मंत्री-विधायक की रिपोर्ट यात्रा
जिस बीजेपी की चुनावी बिसात पर बड़े-बड़े नेता और पार्टियां फेल हो रही हैं। क्या, उस पार्टी ने इतनी कच्ची प्लानिंग तैयार की कि हर जगह से सिर्फ नाराजगी मोल लेकर वापसी का इरादा है। जी नहीं जनाब, जो दिख रहा है उसे ही आप सच मान रहे हैं तो आप गलत नहीं बहुत गलत है। पार्टी का नाम भले ही विकास यात्रा है, असल में ये हर विधायक की रिपोर्ट यात्रा है। जिसके सहारे बीजेपी को चुनाव से जुड़े कुछ बड़े फैसले लेने में आसानी होने वाली है और जीत की राह भी थोड़ी आसान होने वाली है।
विकास यात्रा का विरोध तो कहीं विधायक के प्रति जनता की नाराजगी
कोई यात्रा निकले तो ऐसी खबरें सुनने में आती हैं कि यात्रा का जोरदार स्वागत हुआ। लेकिन बीजेपी की विकास यात्रा जहां जहां जा रही है वहां से इसकी उल्ट खबरें ही सुनाई दे रही हैं। कहीं ये विकास यात्रा विरोध की शिकार हो रही है तो कहीं यात्रा में शामिल विधायक जनता की नाराजगी झेल रहे हैं। प्रदेशभर की 230 विधानसभा सीटों पर ये यात्रा 5 फरवरी से शुरू हुई है। जिसके जरिए हर विधानसभा सीट के अंतिम मतदाता तक पहुंच बनाना है। बीजेपी कोशिश है कि इस यात्रा में शामिल होकर मंत्री और विधायक भी आम मतदाता से कनेक्ट हो सकें।
ये देखने वाली बात है कि इस फ्लॉप शो में बीजेपी की रणनीति क्या होगी
जिन क्षेत्रों में ये शिकायत है कि जनप्रतिनिधि दिखते ही नहीं या आते ही नहीं उन क्षेत्रों में जनप्रतिनिधि सीधे अपनी जनता से रूबरू मिल सके। ये मुलाकातें हुईं भी लेकिन उतनी सम्मानजनक नहीं जितनी बीजेपी ने सोची होगी। कई जगह विधायकों पर लोगों ने जमकर नाराजगी उतारी और कहीं जलील तक कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस को फिर जमकर मौका मिला और विकास यात्रा को दोबारा फ्लॉप करार दे दिया गया। पर, अगर हम कहें कि बीजेपी खुद इस यात्रा को फ्लॉप ही जाहिर करना चाहती थी तो क्या आप मानेंगे।
इस यात्रा से बीजेपी के मंत्री-विधायकों की कमजोर कड़ी दिखाई दी है
ये सुनकर आपको ताज्जुब जरूर होगा। पर बीजेपी की इस राजनीतिक चाल को समझने के लिए गहरी सियासी समझ की जरूरत है। इस एक यात्रा से बीजेपी ने अपने ढेरों उल्लू सीधे कर लिए हैं। सड़कों को नापते-नापते वो विधायकों के दावों की गहराई को जान चुकी है। चुनावी समर में जिस एंटी इंकंबेंसी का डर था उसे काफी हद तक मिटा चुकी है या मिटाने के तरीके खोज चुकी है। जो काम किसी भी राजनीतिक दल के लिए बड़े-बड़े सर्वे नहीं कर पाते वो काम बीजेपी के लिए इस एक यात्रा ने कर दिया है। चाहते हुए या न चाहते हुए भी मंत्री और विधायकों ने अपनी कमजोर कड़ी अपने पार्टी के बड़े नेताओं के हाथ में रख दी है। जिसके आधार पर बीजेपी अब चुनाव से जुड़े कई बड़े फैसले बहुत ही आसानी से ले सकेगी।
विकास यात्रा शुरू होने के बाद से ही खबरों की सुर्खियों में है। सिर्फ उसकी कामयाबी को लेकर नहीं बल्कि, विकास यात्रा से जुड़े विवाद, लोगों की नाराजगी और विधायकों पर उतर रहे लोगों के गुस्से की खबरों को लेकर भी। यात्रा अभी जारी है और अब तक ऐसे ऐसे नजारे दिखाई दिए हैं जिनकी उम्मीद भी नहीं थी।
विकास यात्रा में ‘अब तक’
मुंगावली विधायक बृजेंद्र सिंह पर किसी मतदाता ने खुजली वाला पाउडर डाल दिया. यात्रा रोक कर विधायक को नहाना पड़ा उसके बाद यात्रा आगे बढ़ सकी।
खंडवा में बीजेपी का विकास रथ कच्ची सड़क के कीचड़ में धंस गया। विधायक देवेंद्र वर्मा से लोगों ने कहा रोड नहीं तो वोट नहीं। गांव की सरपंच भी यात्रा से दूर रहीं।
वनमंत्री विजय शाह यात्रा के दौरान भड़क गए और विवादित बयान दे डाला। एक शख्स से कहा कि दारू पीकर सभा को खराब करोगे तो पुलिस तुम्हारे पुट्ठे फोड़ देगी।
उमरिया के एक गांव में लोगों ने विकास यात्रा को बाहर से ही लौटा दिया। मानपुर विधानसभा में बीजेपी मुर्दाबाद के नारे लगे और महिलाओं ने यात्रा पर नाराजगी जाहिर की।
विधायक करण सिंह वर्मा को इछावर में विरोध का सामना करना पड़ा। बिजली और पानी की शिकायत लेकर ग्रामीण विकास यात्रा के काफिले के सामने धरना देकर बैठ गए।
पृथ्वीपुर और निवाड़ी से विकास यात्रा के दौरान राई नृत्य करवाने के वीडियो वायरल हुए।
पिपरिया विधायक ठाकुरदास नागवंशी का डीजे पर नाचने का वीडियो वायरल हुआ। गाने के बोल थे तुझको ही दुल्हन बनाऊंगा वरना कुंवारा मर जाऊंगा। विधायक का दावा वीडियो सामूहिक विवाह सम्मेलन का है।
विकास यात्रा के मंच पर अश्लील डांस का वीडियो वायरल हुआ। वीडियो कहां का है ये पता नहीं चला। मंच पर विकास यात्रा का बैनर साफ नजर आया। सामने तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं गाने पर डांसर डांस करती नजर आई।
विकास यात्रा में कुछ दिलचस्प नजारे भी दिखे। त्योंथर विधायक श्यामलाल द्विवेदी गले में सांप डाल बीन बजाते नजर आए। हालांकि, इसके जरिए भी लोगों ने नाराजगी दिखाने की ही कोशिश की।
उदयपुरा विधानसभा सीट पर विकास यात्रा के दौरान पूर्व विधायक राम किशन पटेल घोड़े पर सवार नजर आए।
हर जगह लोगों की नाराजगी और विवाद के इन नजारों को देखकर कांग्रेस भी बीजेपी पर चुटकी लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। ट्विटर पर तो जंग जारी है ही जुबानी जंग में भी कांग्रेस कमजोर नहीं पड़ रही।
कांग्रेस भी बीजेपी के गेम से अनजान नहीं होगी
इस विकास यात्रा के जरिए बीजेपी के इरादे सिर्फ जनता से कनेक्शन बनाना नहीं है। मकसद कुछ और है और बेहद गहरा भी। ऊपरी तौर पर तो बीजेपी भी यही दावा करती है कि 25 फरवरी तक चलने वाली इस यात्रा के जरिए डबल इंजन सरकार के फायदे लोगों को गिनाए जा रहे हैं और योजनाओं के बारे में बताया जा रहा है। असल हकीकत कुछ और है। सड़क नाप रही बीजेपी इस यात्रा के जरिए एक नया रोड मैप तैयार कर रही है। जिसकी मंजिल विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना है।
यात्रा के बहाने, सधेंगे कई निशाने!
- विधायकों और मंत्रियों की रिपोर्ट सीधे विधानसभा क्षेत्र में जाकर तैयार हो रही है।
माना जा रहा है कि बीजेपी के पास अभी पर्याप्त वक्त है। जिसमें वो लोगों की नाराजगी दूर करने के तरीके ढूंढ सकती है। यात्रा से हर सीट का असल हाल बीजेपी के सामने खुल रहा है। जिसके आधार पर माइक्रो लेवल की प्लानिंग करना और टिकट के लिए सही प्रत्याशी को चुनना आसान होगा।
कहीं ये बीजेपी के लिए एक सेफ्टी वॉल्व तो नहीं
खबरें तो ये भी हैं कि बीजेपी विधायक और मंत्री बेमन से यात्रा का हिस्सा बन रहे हैं। उन्हें अब तक ये इल्म हो जाना चाहिए कि ये रवैया उनके लिए आने वाले वक्त में कितना खतरनाक हो सकता है। जिसे महज एक पॉलिटिकल यात्रा समझा जा रहा है वो दरअसल बीजेपी के लिए एक सेफ्टी वॉल्व है। जो जनता के गुस्से के प्रेशर से बीजेपी को बचाने में काफी काम का साबित हो सकता है। फिलहाल चुनाव में सात महीने का समय है। इतना समय बीजेपी के लिए नए सिरे से रणनीति बनाने और उस पर अमल करने के लिए काफी है। कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस बीजेपी की यात्रा को फ्लॉप बताने में सारी ताकत लगा दे और बीजेपी चुनाव में हिट होने की तगड़ी योजना तैयार कर ले।