BHOPAL. रेत के अवैध कारोबार की पहली कड़ी में आपने देखा कि नर्मदा का सीना छलनी करने के लिए बेखौफ होकर माफिया किस तरह से बीच नदी से रेत निकाल रहा है। अब दूसरी कड़ी में हम आपको बताएंगे कि रेत के इस कारोबार का काला सच क्या है। सीहोर में करीब 30 स्वीकृत खदानें है, जिनसे शासन को करीब 150 करोड़ का सालभर में राजस्व मिलता है, जबकि सीहोर में रेत के अवैध खनन का कारोबार ही 350 करोड़ से ज्यादा का है। अब इसे समझते हैं। नर्मदा नदी से 1 नाव दिनभर में कम से कम 5 ट्रिप लगाती है और एक बार में दो ट्रॉली रेत निकाली जाती है। 1 ट्राली में 100 फीट रेत होती है, जिसकी कीमत 15 किमी दूर तक सप्लाई करने पर 2000 प्रति ट्रॉली होती है। इस हिसाब से 1 नाव से दिनभर में 10 ट्रॉली रेत यानी 1000 फीट रेत निकाली जाती है, जिसकी कीमत 20 हजार रुपए होती है। नर्मदा के अवैध खनन में अकेले सीहोर जिले में करीब 500 नाव लगी हैं, मतलब 1 दिन में 1 करोड़, 1 महीने में 30 करोड़ और 1 साल में करीब 365 करोड़ का अवैध खनन का कारोबार होता है।
पहले समझिए...क्यों नहीं हो पा रही कार्रवाई
नर्मदा नदी के अंदर से रेत निकालने का ये धंधा खुलेआम चल रहा है। सवाल यह कि कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। दरअसल जिन घाटों पर मां नर्मदा का सीना छलनी किया जा रहा है यह मुख्य मार्ग से 8 से 15 किमी अंदर है। इन घाटों के आसपास कोई जांच चौकी बनाई ही नहीं गई है, इसलिए यह गोरखधंधा खुलेआम दिनरात चलता है। यदि कभी कोई जांच होती भी है तो इसकी सूचना पहले ही माफियाओं को लग जाती है, जिसके बाद वे इन अवैध रेत की रॉयल्टी दूसरी स्वीकृत घाट की जारी कर देते हैं। चूंकि मुख्य मार्ग पर वाहन के आने के बाद यह पता लगाना संभव नहीं है कि रेत किस खदान या घाट से लाई गई है, इसलिए रॉयल्टी होने पर नर्मदा के बीच से निकाली गई रेत भी वैध हो जाती है।
एक महीने में 20 हजार रुपए की मजदूरी
नर्मदा नदी से रेत निकाल रहे मजदूरों ने बताया कि एक नाव में दो ट्रॉली रेत आती है। एक ट्रॉली का 600 रुपए उन्हें मिलता है, इसमें नाव का किराया 100 रुपए होता है, ऐसे एक बार में नदी से रेत निकालने पर कुछ 1 हजार रुपए मिल जाते हैं। जब उनसे पूछा गया कि दिनभर पानी में रहने से बीमार नहीं पड़ते तो उनमें से एक मजदूर ने कहा कि अब इसकी आदत हो गई है तो वहीं दूसरे मजदूर ने कहा कि उनके पास दूसरा कोई चारा भी नहीं है।
नर्मदा से रेत निकालने 158 अवैध रास्ते
द सूत्र की टीम बड़गांव के आगे नर्मदा के ही रास्ते आगे जाने वाली थी, लेकिन बीच में ही माफियाओं से रेत का परिवहन करने के लिए पूरी नर्मदा नदी पर ही एक अवैध रास्ता बना दिया, जिससे नाव आगे की ओर नहीं जा सकती थी। द सूत्र ने सच्चाई का पता लगाने मौके से ही जब गूगल अर्थ से सैटेलाइट इमेज देखी तो पता चला कि बड़गांव से डीमावर 8.5 किमी पर नदी के अंदर 158 अवैध रास्ते बनाए गए हैं। एक जगह तो ऐसी भी थी जहां नर्मदा नदी की चौड़ाई 710 मीटर थी और उसके अंदर 475 मीटर पर अवैध रास्ते बना दिए गए। मतलब इस जगह पर नर्मदा के बहने के लिए मात्र 235 मीटर ही जगह बची है।
नदी में रेत नहीं मतलब...बाढ़, सूखा और गंदा पानी
अब आप समझिए कि किसी नदी के लिए रेत क्या काम करती है। दरअसल रेत नदी के पानी के लिए फिल्टर की तरह काम करती है। रेत नहीं होने से पानी गंदा हो जाता है। जलीय जीव जंतु रेत में ही प्रजनन करते हैं। नदी में रेत नहीं होगी तो जलीय जीव जंतु धीरे धीरे विलुप्त हो जाएंगे, जिससे पानी की गुणवत्ता भी खराब होगी। रेत में पानी को पकड़कर रखने की क्षमता अत्याधिक होती है, जिसके कारण यह बाढ़ को नियंत्रित करती है और ग्राउंड वॉटर को रीचार्ज करती है। यदि नदी में रेत नहीं होगी तो बारिश में आसपास के इलाकों में बाढ़ की संभावना बढ़ जाएगी, वहीं गर्मी के दिनों में सूखा पड़ जाएगा।
गांव के लोग शामिल इसलिए कभी भी नदी में घुस जाते हैं
पूरे मामले में अवैध खनन को लेकर शासन की ओर से अजीब तर्क सामने आया। जब द सूत्र ने इस मामले में सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह अढ़ायच से बात की तो उन्होंने कहा कि नाव के माध्यम से रेत का जो खनन कर रहे हैं, वे वहां के स्थानीय लोग है। समय समय पर कार्रवाई भी की है। दिन-रात कभी भी वे नदी के अंदर घुस जाते हैं। फिर भी हम मॉनिटरिंग कर रहे हैं। खनिज विभाग में सिर्फ 4 लोग है, इसलिए हम रेवेन्यू, पंचायत के साथ मिलकर काम कर रहे है। वहीं जब इस मामले में खनिज मंत्री बजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि संज्ञान में जब आता है तो कार्रवाईयां की जाती है। नर्मदा के मामले में भी कार्रवाईयां की गई है।
सदन में सीएम ने दिए कार्रवाईयों के आंकड़े, फिर भी सवाल खड़ा होना लाजमी
14 मार्च को अपने वक्तव्य में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के आंकड़े गिनाए। सीएम ने सदन में कहा कि रेत माफियाओं को कुचलते हुए 14 हजार वाहन, 2 लाख 40 हजार घन मीटर रेत जब्त की है। 4 के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई, 34 के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। हम सीएम की मंशा पर सवाल खड़े नहीं कर रहे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नर्मदा नदी के संरक्षण के प्रति गंभीर हो सकते हैं पर जो स्थिति सामने आई है उससे सवाल खड़े होना तो लाजमी है। छीपानेर से जैत तक नर्मदा नदी के एक ओर बुधनी विधानसभा है तो दूसरी ओर हरदा और नर्मदापुरम जिले का हिस्सा। द सूत्र ने अपनी पड़ताल में करीब 8 घाटों को शामिल किया। इसे संयोग कहे या कुछ और पर हकीकत यह है कि इन इलाकों में जहां भी नर्मदा नदी के बीच से रेत निकालते हुए तस्वीर सामने आईं, वे सभी इलाके सीएम की अपनी खुद की विधानसभा बुधनी के ही थे।