भोपाल में बोले शिवराज- स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे गीता, रामचरित मानस और रामायण के प्रसंग, महापुरुषों का अपमान करने वाले बर्दाश्त नही

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Atul Tiwari
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भोपाल में बोले शिवराज- स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे गीता, रामचरित मानस और रामायण के प्रसंग, महापुरुषों का अपमान करने वाले बर्दाश्त नही

BHOPAL. मध्य प्रदेश में इस साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी पार्टियां (कांग्रेस-बीजेपी दोनों) इसकी कवायद में लग चुकी हैं। इस बीच 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती के मौके पर सुघोष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश के स्कूलों में गीता, रामचरित मानस और रामायण के अंश पढ़ाए जाएंगे। राम के बिना यह देश जाना नहीं जाता है। राम हमारे रोम-रोम में बसे हैं। इस देश में जब सुख होता है, तो राम का नाम लिया जाता है और दुख होता है तो भी राम का नाम लिया जाता है।



हमारे ग्रंथों में मनुष्य को संपूर्ण बनाने की क्षमता- शिवराज



शिवराज ने ये भी कहा- रामायण हो, महाभारत हो, वेद हों, उपनिषद हों, श्रीमद्भगवद्गीता, ये हमारे अमूल्य ग्रंथ हैं। इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक बनाने की मनुष्य को संपूर्ण बनाने की क्षमता है। इन पवित्र ग्रंथों की शिक्षा देकर हम अपने बच्चों को पूर्ण और नैतिक बनाएंगे। इनकी शिक्षा सरकारी स्कूलों में दी जाएगी। शिवराज के मुताबिक, आखिर भगवान राम को क्यों नहीं पढ़ाना चाहिए? तुलसीदास जी ने इतना महान ग्रंथ लिखा है, परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई, ऐसा ग्रंथ कहां मिलेगा। 



सृष्टि के कण-कण में भगवान विराजमान है, हर एक आत्मा परमात्मा का अंश है, हर घट में बस वही समाया हुआ है तो कौन दूसरा है। जिन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस जैसा ग्रंथ दिया है, उन्हें में प्रणाम करता हूं। ऐसे लोग जो हमारे इन महापुरुषों का अपमान करते हैं, वे सहन नहीं किए जाएंगे।



यूपी में सपा नेता के बयान से बवाल



कभी बसपा, बीजेपी में रहे और अब सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से एक बार फिर हंगामा हो गया। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए ने स्वामी प्रसाद ने कहा-   धर्म कोई भी हो, हम उसका सम्मान करते हैं, लेकिन धर्म के नाम पर जाति विशेष, वर्ग विशेष को अपमानित करने का काम किया गया है, हमारी उस पर आपत्ति है। रामचरितमानस में एक चौपाई लिखी है, जिसमें तुलसीदास शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। तुलसी कहते हैं कि ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान हो, उसका सम्मान मत करिए। क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं। ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है। 



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