मध्य प्रदेश में बिना निराकरण के ही बंद हो जाती हैं सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें, 10 महीने में सवा दो लाख शिकायतें फोर्स क्लोज्ड

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Rahul Sharma
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मध्य प्रदेश में बिना निराकरण के ही बंद हो जाती हैं सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें, 10 महीने में सवा दो लाख शिकायतें फोर्स क्लोज्ड

Bhopal. टीकमगढ़ में हाल ही में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि यदि कहीं कोई भ्रष्टाचार हो तो उसकी जानकारी मामा यानी सीएम तक भेजें, भ्रष्टाचारियों को छोड़ा नहीं जाएगा। सुनने में ऐसा लगेगा कि मानो मध्यप्रदेश में सुशासन की दिशा में यह एक बहुत बड़ा कदम है और एक आम जनता सीधे भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री को कर सकती है और उस पर कार्रवाई भी होगी। पर सीएम की यह बात सुनने में जीतनी अच्छी लगती है...जमीन पर इसका क्रियान्वयन उतना अच्छा है नहीं। प्रदेश में सीएम तक अपनी शिकायतों को पहुंचाने का सबसे बड़ा माध्यम सीएम हेल्पलाइन ही है...पर यहां बिना निराकरण के ही शिकायतें बंद कर दी जाती है। जनवरी 2022 से अक्टूबर 2022 तक 10 महीने की बात करें तो करीब सवा दो लाख शिकायतें फोर्स क्लोज्ड की गई है। 





भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा शिकायतों वाले विभाग निराकरण में भी फिसड्डी  





सीएम भले ही जनता से भ्रष्टाचार की शिकायतों को उन तक पहुंचाने की अपील कर रहे हो, लेकिन जिन विभागों में भ्रष्टाचार की सबसे अधिक शिकायतें होती है वे उनके निराकरण में भी फिसड्डी है। राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, गृह, नगरीय प्रशासन और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग शिकायतों के निराकरण में अन्य विभागों की तुलना में फिसड्डी है। हालांकि, इन शिकायतों में भ्रष्टाचार के अलावा सामान्य शिकायतें भी है। सितंबर 2022 तक गृह विभाग में 30,709 शिकायतें पेंडिंग थी, जिसके कारण निराकरण के मामले में इस विभाग की ग्रेडिंग सी थी। डी ग्रेड वाले विभागों में राजस्व 26,119 शिकायत पेंडिंग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास 39,600 शिकायत पेंडिंग, नगरीय प्रशासन में 43141 शिकायत पेंडिंग और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में 19,393 शिकायत पेंडिंग थी। 





भ्रष्टाचार की शिकायत फोर्स क्लोज्ड कर सके, इसलिए बदल दिया मोबाइल नंबर





सीएम हेल्पलाइन में जब शिकायत दर्ज की जाती है तो शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड कर लिया जाता है। इस रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के जरिए ही आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। साथ ही सीएम हेल्पलाइन के आपरेटर को इस नंबर पर आए ओटीपी को देने के बाद ही शिकायत संतुष्टीपूर्ण बंद होती है। सीधी जिले के प्रदीप सिंह ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम में धारा 6 और 7 के अंतर्गत हो रहे भ्रष्टाचार संबंधी  शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की। शिकायत करते समय प्रदीप सिंह ने अपना मोबाइल नंबर 8959000093 रजिस्टर्ड किया था, जिसे बदलकर 982622337 कर दिया गया। प्रदीप सिंह का आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि ओटीपी प्राप्त कर बिना कार्रवाई के ही भ्रष्टाचार की शिकायत को संतुष्टीपूर्ण बंद किया जा सके। प्रदीप सिंह ने बताया कि लोक सेवा गारंटी के तहत लोगों को सेवाएं देने की समय निश्चित है, यदि निश्चित समय में यह सेवाएं नहीं दी जाती है तो अधिकारी पर अर्थदण्ड लगाया जाता है और इस अर्थदण्ड को धारा 6 और 7 के तहत आवेदक को प्रतिकर के रूप में दिया जाना है, पर इसमें सब गोलमाल है और यह राशि दी नहीं जा रही है, जिसकी शिकायत उनके द्वारा सीएम हेल्पलाइन में की गई थी। 





पीएमओ से आई शिकायत पर भी कोई एक्शन नहीं





सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायतों को अधिकारी बिना किसी डर के सीधे फोर्स क्लोज्ड करने से भी परहेज नहीं करते हैं। आलम यह है कि पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय से आई शिकायत को लेकर भी अधिकारी कोई एक्शन नहीं लेते हैं। राजधानी भोपाल में सुनियोजित साजिश के तहत खत्म किए जा रहे जंगल और सरकारी जमीन पर नेता, नौकरशाह और रसूखदारों द्वारा किए जा रहे कब्जों को लेकर 15 अगस्त 2022 को पीएमओ को शिकायत की गई। जिसके बाद सीधा एक्शन न लेकर प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग ने शिकायत क्रमांक PMOPG/E/2022/0216699 कार्रवाई करनें के लिए मध्यप्रदेश सीएम हेल्पलाइन के डायरेक्टर को ट्रांसफर की, पर इस शिकायत पर कोई कार्रवाई कभी की ही नहीं गई। 





मोबाइल छीनकर पुलिस ने बंद कर दी सीएम हेल्पलाइन की शिकायत 





नरसिंहपुर में तो एक शख्स ने जब पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की तो उस पर ही पुलिस ने केस दर्ज कर दिया। दरअसल नरसिंहपुर के अभिषेक राय ने एक आपराधिक प्रकरण में शिकायत की थी, लेकिन जब पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की तो उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में इसकी शिकायत क्रमांक 15612089 दर्ज कर दी। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत हुई तो पुलिस ने शिकायतकर्ता को यह कहकर बुलाया कि आप आ जाइए प्रतिवादी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना है, लेकिन अभिषेक राय जब थाने पहुंचे तो पुलिस ने उसे यह कहकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया कि उसके खिलाफ ही एफआईआर हुई है। यही नहीं थाना कोतवाली नरसिंहपुर के तात्कालिक थाना प्रभारी ने मोबाइल छीनकर पूरा डाटा डिलीट करते हुए सीएम हेल्पलाइन की गई शिकायत भी बंद कर दी जो अभिषेक राय ने पुलिस के खिलाफ की थी। जब उन्होंने थाना प्रभारी की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों तक की तो भी कार्यवाही नहीं हुई। जिसके बाद अभिषेक राय ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। तब जाकर एसपी ने थाना प्रभारी को निलंबित किया।





90 साल के वकील के खिलाफ भी कसा शिकंजा





जमीनी पारिवारिक विवाद में 89 वर्ष के अधिवक्ता शांतिलाल जैन के बेटों का अपने ही चचेरे भाई से विवाद चल रहा है। अधिवक्ता शांतिलाल जैन ने मारपीट और अन्य मामलों में जब एफ आईआरदर्ज कराई और कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में इसकी शिकायत की। इसके बाद पुलिस कार्रवाई की जगह उल्टा शांतिलाल जैन पर ही शिकायत वापस लेने का दबाव बना रही है। 





46 फीसदी शिकायतें L1 लेवल पर ही अटकी





भ्रष्टाचार और अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए आम लोग सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करते हैं ताकि न्याय हो सके, लेकिन अधिकारी इसे लेकर कितने गंभीर है यह आप अब समझ ही गए होंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 46 फीसदी शिकायतें L1 लेवल पर ही अटकी रहती है...मतलब जिन अधिकारियों के पास ये सबसे पहले जाती हैं वही कुछ नहीं करते। L2 लेवल पर 11 प्रतिशत और L3 लेवल पर 13 प्रतिशत शिकायतें अटकी रहती है। वहीं विभाग का सबसे वरिष्ठ अधिकारी मतलब L4 लेवल पर औसतन 30 फीसदी शिकायतें पेंडिंग होती है। इन पेंडिंग कम्प्लेंट्स में से सबसे ज्यादा ग्वालियर, भोपाल और इंदौर जैसे जिले शामिल है।



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