BHOPAL. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी है। बीजेपी 18 साल से सत्ता में काबिज है तो कांग्रेस सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है। अब एमपी कांग्रेस ने जीत के लिए कर्नाटक फॉर्मूला अपना लिया है। कर्नाटक में कांग्रेस ने '40% पेसीएम' नारा गढ़ा था। इसी की तर्ज पर मध्य प्रदेश ने सत्ता पक्ष को 50% कमीशन देने की बात कही है। इसको (50% कमीशन) लेकर कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर बाकायदा कैंपेन चला दिया है।
क्या था कर्नाटक में पेसीएम कैंपेन?
कर्नाटक चुनाव से पहले बेंगलुरु की दीवारों पर पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई के पोस्टर लगाए गए थे। कांग्रेस ने इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट Paytm जैसे PayCM के पोस्टर लगाए थे। पोस्टर में QR कोड के बीच में सीएम बोम्मई की तस्वीर छपी थी। इसमें लिखा था, "40 % accepted here।" इस आइडिए को लाने वाले थे- पूर्व आईएएस शशिकांत सेंथिल। कांग्रेस ने 'सकार को 40% कमीशन' कैंपेन पर ध्यान केंद्रित किया। इसमें ये था- कर्नाटक सरकार 40 फीसदी कमीशन लेकर काम करती है। इसे कर्नाटक में मिली जीत के पीछे की एक बड़ी वजह बताया गया।
MP में कांग्रेस ये मुद्दे उठाएगी
मध्य प्रदेश में 50% कैंपेन
इधर, एमपी कांग्रेस ने प्रचारित करना शुरू कर दिया है कि शिवराज सरकार 50 फीसदी कमीशन लेकर काम करती है। जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक में कांग्रेस को जीत दिलाने वाले रणनीतिकार मध्य प्रदेश चुनाव में भी जिम्मा संभालेंगे।
कर्नाटक में नंदिनी दूध का मुद्दा था, मध्य प्रदेश में सांची मुद्दा बनेगा
कर्नाटक चुनाव में लोकल ब्रांड नंदिनी मुद्दा बना था। प्रचार के दौरान अमित शाह ने कर्नाटक में अमूल दूध को बढ़ाने की बात कही थी, जिसका कांग्रेस ने जोर-शोर से विरोध हुआ था। सोशल मीडिया पर अमूल के खिलाफ और नंदिनी के सपोर्ट में जबर्दस्त कैंपेन शुरू हो गया था। अब मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस दूध के जरिए बीजेपी को जमीन पर लाने की कोशिश कर रही है। एमपी के नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह 30 मई को कहा कि सूबे के किसानों, दुग्ध उत्पादकों और एमपी दुग्ध संघ को बर्बाद करने की बड़ी साजिश रची जा रही है, ताकि गुजरात के अमूल को खुला मैदान मिल जाए। गुजरात के अमूल को बढ़ावा देने के लिए साजिश के तहत प्रदेश के ब्रांड सांची को बर्बाद किया जा रहा है। इसकी दुग्ध उत्पादक सोसाइटियों को बंद किया जा रहा है। किसानों को पैसे तक नहीं मिल रहे।
गोविंद सिंह ने ये भी आरोप लगाया कहा कि दूध की बिक्री के लिए नीतिगत निर्णय नहीं लिए जा रहे। एमपी के पशुपालकों और सांची से जुड़े नौजवानों को रोजगार से अलग करने की बड़ी साजिश के पीछे गुजरात का दबाव है, ताकि सांची को खत्म कर अमूल को स्थापित किया जा सके। इसी साजिश के तहत बड़ी संख्या में दुग्ध उत्पादक किसानों के रोजगार छिन रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो एक साल के भीतर मध्य प्रदेश की पहचान बन चुके सांची दूध, दही, घी और पेड़े देखने को नहीं मिलेंगे। ये दुर्भाग्य की बात है कि ऐसा गुजरात को खुश करने के लिए किया जा रहा है।
महाकाल लोक की मूर्तियों का मुद्दा
कांग्रेस उज्जैन स्थित महाकाल लोक में मूर्तियां टूटने की घटना को भी मुद्दा बना रही है। कांग्रेस ने इस घटना को लेकर शिवराज सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। कहा कि महाकाल लोक में मूर्तियों को लगाए जाने के नाम पर भ्रष्टाचार हुआ है। पवन पुत्र हनुमान जी ने ऐसी हवा चलाई जिससे भ्रष्टाचार की मूर्तियां टूट गईं। शिवराज सरकार धर्म के नाम पर प्रदेश को लूटने का काम कर रही है। 28 मई को उज्जैन में आई आंधी में महाकाल लोक में लगीं सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां टूट गईं।
मंत्री की बढ़ गई संपत्तियां
कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के मंत्रियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि बीजेपी सरकार में मंत्रियों की संपत्ति में कई गुना इजाफा हुआ। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह और उनकी पत्नी की संपत्ति में 10 साल में पचास गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। कांग्रेस ने मीडिया के सामने मंत्री के 2009 के चुनाव के समय चुनाव आयोग में दाखिल किए शपथ पत्र और 2018 में दाखिल किए गए संपत्ति के विवरण के दस्तावेज पेश किए। भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
10 साल में ऐसे बढ़ी भूपेंद्र सिंह की संपत्ति
चल संपत्ति
2009- 1 लाख 28 हजार जमा, 7 वाहन, 2 तोला सोना, एक रिवाल्वर, 7 पशु2013- चल संपत्ति का कुल मूल्य 1 करोड़ 30 लाख रुपए2018- चल संपत्ति का कुल मूल्य 2 करोड़ 86 लाख रुपए।
अचल संपत्ति
2009- 1 करोड़ 40 लाख की जमीन, एक मकान भोपाल में निर्माणाधीन2013- अचल संपत्ति का कुल मूल्य 3 करोड़ 57 लाख रुपए2018- अचल संपत्ति का कुल मूल्य 7 करोड़ 67 लाख रुपए।