मप्र में कोरोना के 65 नए पॉजिटिव मरीज, भोपाल में मिले सबसे अधिक 17 केस, स्वास्थ विभाग ने सावधान रहने दी चेतावनी

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Neha Thakur
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मप्र में कोरोना के 65 नए पॉजिटिव मरीज, भोपाल में मिले सबसे अधिक 17 केस, स्वास्थ विभाग ने सावधान रहने दी चेतावनी

BHOPAL. कोरोना मुक्त प्रदेश में बढ़ते पॉजिटिव केस एक बार फिर चिंता का कारण बन गए हैं। जहां देश के सभी राज्यों में कोरोना अपना पैर पसारने लगा है, वहीं राज्यों में बढ़ता मौत का ग्राफ स्वास्थ विभाग अधिकारियों की चिंता बढ़ा रहा है। स्वास्थ विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मप्र में बीते 24 घंटे में कोरोना के 65 नए पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इनमें भोपाल में सबसे ज्यादा 17 केस है, जबकि ग्वालियर में 13, इंदौर में 9 और सागर में 11 लोग संक्रमित मिले। इससे पहले शुक्रवार को प्रदेश में कोरोना के 107 नए मरीज मिले थे। इनमें से 44 मरीज भोपाल के ही थे। यह आंकड़े हमें लगातार सावधान होने के लिए चेतावनी दे रहे हैं।



सुप्रीम कोर्ट के 5 जज हुए संक्रमित



सुप्रीम कोर्ट में चल रही समलैंगिक केस की सुनवाई पांच सदस्यीय बेंच द्वारा की जा रही है। जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिंहा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। सेम सेक्स मैरिज पर सुनवाई कर रहे जज जस्टिस एस रवींद्र भट्ट कोविड से संक्रमित होने के कारण फिलहाल सुनवाई इन दिनों टल गई है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा कोविड के नए वैरिएंट से पीड़ित हैं। वहीं जस्टिस सूर्यकांत एक सप्ताह पहले ही कोविड संक्रमण से ठीक हुए हैं।



24 को होनी थी सुनवाई



सेम सेक्स मैरिज के पहले मामले की सुनवाई 24 अप्रैल यानी सोमवार को होनी थी, लेकिन शनिवार शाम को जानकारी सामने आई कि सोमवार को सुनवाई के दौरान दो जज जस्टिस संजय किशन कौल और रवींद्र एस भट्ट मौजूद नहीं रहेंगे, इसलिए सुनवाई टाल दी गई है। अभी अगली सुनवाई के लिए कोई तारीख तय नहीं है। बेंच के एक जज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अन्य 4 जजों ने खुद को क्वारेंटाइन कर लिया है।



गुरुवार को कोर्ट में क्या हुआ



20 अप्रैल को मामले में तीसरे दिन सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं को कहा था कि वे सोमवार (24 अप्रैल) तक अपनी-अपनी बातें कोर्ट में रख दें, ताकि केंद्र और अन्य जवाबदेह पार्टियां अगले हफ्ते में अपना पक्ष रख सकें। इस दौरान सुनवाई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी।



वकील केवी विश्वनाथन ने कहा- शादी को वंश वृद्धि के नजरिए से देखना गलत



याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच के सामने अपनी दलील में कहा, 'शादी को वंश वृद्धि के नजरिए से देखना पूरी तरह गलत है। वे कहते हैं कि आप लोग (समान लिंग वाले जोड़े) वंश वृद्धि नहीं कर सकते। क्या यह शादी को कानूनी दर्जा नहीं दिए जाने के पीछे वाजिब वजह हो सकती है? क्या बूढ़े लोग शादी नहीं करते हैं? क्या जो लोग बच्चे नहीं पैदा कर सकते हैं, उन्हें शादी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए?' क्या जो लोग बच्चे नहीं पैदा कर सकते हैं, उन्हें शादी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए?'


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