प्रदेशभर में 7 सूत्री मांगों को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल, सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों से मांगी स्टाफ की जानकारी

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Neha Thakur
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प्रदेशभर में 7 सूत्री मांगों को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल, सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों से मांगी स्टाफ की जानकारी

BHOPAL. मध्य प्रदेश में 5 मई बुधवार से स्वास्थ्य सेवाओं पूरी तरह ठप्प नजर आएंगी। दरअसल, आज से प्रदेश के करीब 15 हजार सरकारी डॉक्टर 7 सूत्री मांग को लेकर हड़ताल पर रहेंगे। शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ की ओर से इस हड़ताल का ऐलान किया गया है। इस हड़ताल में सरकारी डॉक्टर इमरजेंसी, शैक्षणिक, प्रशासनिक और मेडिको लीगल कार्यों से भी दूर रहेंगे। वहीं, डॉक्टरों की हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने प्राइवेट अस्पताल से स्टाफ के बारे में जानकारी मांगी है। भोपाल में जीएमसी डीन ने 100 डॉक्टर मांगे हैं।





सरकार और डॉक्टरों के बीच नतजी रहा बेअसर





चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आवास पर मंगलवार को चिकित्सक महासंघ की बैठक हुई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, चिकित्सक संगठन के पदाधिकारी और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे। इस दौरान डॉक्टरों ने मंत्रियों को साफ कहा कि केन्द्र के समान डीएसीपी लागू कराने की मांग पहली है। यदि इस पर सरकार निर्णय नहीं लेती है, तो हड़ताल वापस नहीं ली जाएगी। मंत्री ने कहा कि कमेटी से एक-दो मीटिंग और कर लेते हैं, इसके बाद फैसला लेंगे। इस पर डॉक्टरों ने कहा कि बैठक करते-करते तो चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। यह कहकर डॉक्टर बाहर निकल आए।





डॉक्टरों की 95 फीसदी मांगे मानी





बैठक के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दावा किया कि डॉक्टरों की 95% मांगें मान ली गई हैं। मध्यप्रदेश शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के संयोजक डॉ. राकेश मालवीय का कहना है कि सरकार ने डॉक्टरों की मांगें नहीं मानी हैं। सरकार झूठ बोल रही है। अगर ऐसा है, तो हस्ताक्षर किया हुआ सहमति पत्र कहां है।





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हड़ताल में ये होंगे शामिल





बुधवार से शुरू होने वाली यह हड़ताल शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले हो रही है। इस हड़ताल में हेल्थ, मेडिकल एजुकेशन, गैस राहत, गृह विभाग, ईएसआई और जूनियर, एनएचएम संविदा डॉक्टर व बोंडेट डॉक्टर हड़ताल में शामिल हैं। इनके समर्थन में जूडा (जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन) भी समर्थन में उतर गया है।





जूनियर डॉक्टरों के भरोसे जेपी अस्पताल





डॉक्टरों की हड़ताल का असर बुधवार सुबह से ही अस्पतालों में देखने को मिला। राजधानी के जेपी अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक मरीजों को समय पर इलाज देने के लिए 6 जूनियर डॉक्टर्स (डीएनबी कोर्स) और 6 एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई गई है। वहीं,आयुष डॉक्टर्स की ड्यूटी भी अलग-अलग वार्ड में लगाई गई है। इसके अलावा शासन स्तर पर प्राइवेट अस्पतालों के स्टाफ की लिस्ट जुटाई जा रही है।  प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टर्स की संख्या, उनके नाम, फोन नंबर मांगे हैं। इसके अलावा आईसीयू, जनरल और एचडीयू में खाली बेड्स की संख्या भी मांगी है।





जबलपुर में 180 डॉक्टर हड़ताल पर





जबलपुर जिला अस्पताल एल्गिन सहित तमाम स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ करीब 180 डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। वहीं, रायसेन में 250 से ज्यादा डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन मंगलवार से ही शुरू कर दिया है। 





डॉक्टरों की यह हैं मांगें…







  • केंद्र, बिहार एवं अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के डॉक्टर्स के लिए DACP योजना का प्रावधान।



  • स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियां दूर हों।


  • चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए।


  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (MBBS) की MPPSC के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति / चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए।


  • जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि और ट्यूशन फीस जो कि देश में सर्वाधिक है को कम किया जाए।


  • विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र डॉक्टरों का वेतन समकक्ष संविदा डॉक्टरों के समान किया जाए।




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